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जानकारी के लिए कुछ ज्योतिष की ज्ञानवर्धक बातें- (संकलन) ✍🏻✍🏻🏻🏻🏻🏻 बिस्तर पर बैठकर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?   आजकल तेजी से बढ़ती महानगरीय संस्कृति के कारण हमारी रोजमर्रा के जिंदगी में बहुत तेजी से कई परिवर्तन हुए हैं। कुछ आदते ऐसी है जो अब हमारी लाइफ का एक हिस्सा बनती जा रही हैं जैसे सुबह देर से उठना रात को देर से सोना,...
जानिए भारत की संस्कृति से जुडी कुछ आवश्यक बातें -- दो पक्ष तीन ऋण चार युग  चार धाम चार पीठ  चार वेद कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष ! देवऋण , पितृऋण , ऋषिऋण ! सतयुग , त्रेतायुग , द्वापरयुग , कलियुग ! द्वारिका , बद्रीनाथ , जगन्नाथपुरी , रामेश्वरमधाम ! शारदा पीठ ( द्वारिका ) ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी), शृंगेरीपीठ ! ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !   चार आश्रम चार अंतःकरण पञ्च गव्य पञ्च देव  पंच तत्त्व छह दर्शन ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास ! मन , बुद्धि...
क्या हैं योग ??? जानिए योग को योग - एक जीवन शैली हैं --पंडित "विशाल" दयानन्द शास्त्री जब भी आप योग के बारे में सुनते हैं तो आप इसके बारे में अपने दिमाग में एक खाका तैयार करते हैं कि आखिर यह आपके लिए क्या है। योग का नाम आते ही कुछ के दिमाग में कांटों के बिस्तर पर बैठा फकीर...
सौर वर्ष और चांद्र वर्ष में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चान्द्रमास की वृद्धि कर दी जाती है। इसी को अधिक मास या अधिमास या मलमास कहते हैं। सौर-वर्ष का मान ३६५ दिन १५ घड़ी २२ पल और ५७ विपल हैं। जबकि चांद्रवर्ष ३५४ दिन २२ घड़ी १ पल और २३ विपल का...
जानिए तिल चौथ ( संकष्टी चतुर्थी 2015 ) का महत्व --- भारतीय संस्कृति में वैसे तो बारहों महीनों में कोई न कोई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार होता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी...
जानिए तिल चौथ ( संकष्टी चतुर्थी 2015 ) का महत्व --- भारतीय संस्कृति में वैसे तो बारहों महीनों में कोई न कोई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार होता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी...
आइये जाने की क्या हैं नागबलि-नारायण बलि..??? नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना...
आइये जाने की क्या हैं नागबलि-नारायण बलि..??? नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना...
WHAT IS KAALSARP DOSH OR PITRA DOSH..??? (KNOW MORE ABOUT KALSARP DOSH OR PITRA DOSH) Kaal Sarp Dosha implies many meanings in Sanskrit, but there is danger and a threat to life associated with the word. Of its many meanings, we can safely conclude that Kaal means time, and Sarp means snake or serpent. Kaal Sarp Dosh can cast its inauspicious...
आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा क्या हैं.?? इसके क्या प्रभाव एवं लाभ हैं..??? आश्विन मास की पूर्णिमा वर्षभर में आनेवाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। इसे शरद पूर्णिमा या कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा का पूजन करना लाभदायी रहता है। मनुष्य की कामनाओं को पूर्ण करने वाली ,पूर्ण चन्द्र से युक्त ,अधूरेपन से पूर्णता की...

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