पिछले कई दिनों से चल रहे सम-सप्तक योग का अंत हो चूका हैं सूर्य, मंगल, गुरु, और शनि अपनी राशि मे स्थापित हो चुके हैं अतः यह कहा जा सकता हैं कि .7 अगस्त ..20 से लोगो की इम्युनिटी मे अचानक वृद्धि देखने को मिलेगी और जो कोरोना के मामले पिछले .0 दिनों से अचानक बढे थे उनमे विराम लग सकता हैं ।
अब कोरोना का अंत काफ़ी निकट हैं। हम देख सकते हैं वैक्सीन भी आने वाली हैं और लगभग हर जगह वैक्सीन अंतिम दौर के परीक्षण मे पहुँच चुकी हैं। यह भी देखने को मिल रहा हैं की अब लोग स्वतः ठीक होने लगे हैं।
लीला की शुरुआत की थी अपने अपने घर पहुँच कर वो उसे विराम लगाएंगे।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार आगामी 23 सितम्बर 2020 के बाद से और गति मिलेगी इस साल के अंत तक लगभग हम कोरोना के भय से लगभग दूर हो चुके होंगे। इसके तहत एक ओर जहां सूर्य और बुध का परिवर्तन होकर सिंह में जाना कोरोना के लिए काल के समान होने की संभावनाएं बना रहा है। वहीं अर्थव्यवस्था का प्रमुख ग्रह शुक्र का 17 नवंबर 2020 को तुला में गोचर अर्थव्यवस्था को कुछ मजबूती देने की संभावना को पुख्ता करता दिख रहा है।
समझें समसप्तक योग को
- समसप्तक योग दो या दो से अधिक ग्रहों के योग से मिलकर बनता है।
- जब भी कोई दो ग्रह एक दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों के बीच समसप्तक योग बन जाता है।
- दूसरे शब्दों में कहें तो जब ग्रह आपस में अपनी सातवीं पूर्ण दृष्टि से एक-दूसरे को देखते हैं तब समसप्तक योग बनता है।
- यह वैसे तो एक शुभ योग होता है, लेकिन शुभ-अशुभ ग्रहों की युति के कारण इसके शुभाशुभ फल में भी बदलाव आता है।
- इस योग का फल इस बात पर निर्भर करता है कि यह किन ग्रहों की युतियों, किन लग्न और किन-किन ग्रह योगों से बन रहा है।
- इस योग में ग्रहों की मैत्री, शत्रुता, समस्थिति, मारक, भावेश, अकारक, कारक भाव जैसी शुभ-अशुभ योग स्थिति मायने रखती है।
- यह स्थिति जातक की कुंडली में बनने वाले समसप्तक योग की स्थिति पर निर्भर करेगी कि किस तरह की स्थिति से यह योग बन रहा है।
- केंद्र त्रिकोण के ग्रहों के संबंध से यह योग बनने पर शुभ फल देने वाला होता है।
- केंद्रेश त्रिकोणेश की युति में ग्रहों का आपसी नैसर्गिक रूप से संबंध भी शुभ होना जरूरी होता है।
- इस योग की जैसी स्थिति कुंडली, लग्न आदि के द्वारा बनेगी वैसे ही इस योग के शुभ-अशुभ फल होंगे।

यह रहेगी गोचर की समयावधि
- दरअसल लग्जरी, वाहन, विदेश यात्रा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वैवाहिक या प्रेम संबंध के कारक देव शुक्र 17 नवंबर 2020, मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर, कन्या से तुला राशि में गोचर करेगा और 11 दिसंबर 2020, शुक्रवार सुबह 05 बजकर 04 मिनट तक इसी राशि में स्थित रहेगा। चूंकि शुक्र स्वयं तुला राशि का स्वामी है, इसलिए तुला राशि वालों के लिए यह गोचर विशेष रूप से शुभ रहने वाला है।
-
जो मांगलिक कार्य रुके थे अब संभव हो सकेंगे। धीरे धीरे स्थिति सामान्य होने लगेगी।
-
व्यापार और बाजार फिर से पटरी पर आने लगेगा। जिनकी नौकरी पर तलवार लटक रही थी उन्हें अब भय से मुक्ति मिलेगी। जिनका रोजगार छिन चूका था वो पुनः उसे प्राप्त करेंगे।
-
देश की अर्थव्यवस्था पुनः विकसित होने लगेगी। अतः ग्रह स्थिति अब सकारात्मक सन्देश दे रही हैं।
-
अतः सकारात्मक सोच के साथ अपना जीवन पुनः शुरू करें। और अपने दिल और दिमाग़ से महामारी का भय दूर कर ले। अब सब ठीक होता जायेगा।
-
फरवरी 2021 को एक बार फिर 6 ग्रह एक राशि मे एकत्र होंगे उसके बाद विश्व और समाज के लिए नई दिशा का निर्धारण होगा।
-
विश्व स्तर पर UNO और WHO जैसी नई संस्था का गठन संभव होगा।
-
पुराने संगठनों को अंत होना लगभग तय हैं। तब तक कई देशो का नक्शा बदल चूका होगा। कुछ का शायद अस्तित्व भी ख़त्म हो जाए और नये देशो का उदय हो। इसके बाद हम शायद भूल भी जाए की 2020 मे हमने मौत और भय का तांडव झेला था।
-
अतः सकारात्मकता के साथ जीवन को जीना शुरू करें। नये सपनो और नई मंजिलों का निर्धारण करें। सब ठीक हो रहा हैं और सब ठीक होगा इस विचार के साथ एक नई पारी की शुरुआत करें।
“आप सभी स्वस्थ रहे, संपन्न रहे इसी मंगल कामना के साथ”