रवि शंकर प्रसाद का जन्म बिहार के पटना में .. अगस्त सन .954 को मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. इनकी शादी डॉ माया शंकर के साथ हुई. इनकी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. आनर्स, एम. ए. (राजनीति विज्ञान) और एल. एल. बी. की डिग्रियां प्राप्त की हैं. रविशंकर के पिताजी का नाम ठाकुर प्रसाद पटना उच्च न्यालय में एक वकील थे. रविशंकर की पत्नी अभी पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं। रविशंकर की राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता से हुई. जब देश में आपातकाल के समय प्रमुख आन्दोलनकारी जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में बिहार में एक छात्र नेता के रूप में आन्दोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए. रवि शंकर प्रसाद कई सालो तक अखिल भारतीय विद्याथी परिषद् के साथ भी जुड़े रहे. कॉलेज के समय प्रसाद छात्र संघ चुनाव में सहायक महासचिव और कला और विधि संकाय के मेम्बर भी रह चुके हैं। अपने कालेज के दिनों में वह पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के सहायक महासचिव बने। लालू प्रसाद संघ के अध्यक्ष थे।
1980 से पटना उच्च न्यायालय में वकालत की प्रेक्टिस के बाद उन्हें 1999 में पटना उच्च न्यायालय का वरिष्ठ एडवोकेट बनाया गया और वर्ष .000 में वह उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ एडवोकेट बने। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ करोड़ों रूपए के चारा घोटाले में प्रसाद मुख्य अधिवक्ता थे। उन्होंने हवाला मामले में भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी की पैरवी की। 2010 में प्रसाद अयोध्या टाइटल मुकदमे में मुख्य अधिवक्ता रहे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश हुए। प्रसाद को वर्ष 2000 में केन्द्रीय कोयला एवं खनन राज्य मंत्री बनाया गया और जुलाई 2002 में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार दिया गया, जहां उन्हें फास्ट ट्रैक अदालतों की प्रक्रिया में तेजी लाने का श्रेय जाता है। बाद में राजग शासन में सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर उन्होनें रेडियो, टेलीविजन और एनीमेशन के क्षेत्र में सुधारों की शुरूआत की। उन्हें गोवा को भारतीय अन्तरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का स्थायी आयोजन स्थल बनाने का श्रेय भी जाता है।
भाजपा के 10 साल तक सत्ता से दूर रहने के दौरान रविशंकर प्रसाद पार्टी का प्रमुख सार्वजनिक चेहरा बने रहे। वह प्रमुख मामलों पर अपने विचार स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करते रहे और कई वर्ष तक पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रहे।
एक मंत्री के तौर पर :
सन 2002 प्रसाद को विधि और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री का अलग भार दिया गया. सुचना और प्रसारण राज्य मंत्री के समय रवि जी ने रेडियो और टेलीविजन तथा एनिमेशन में सुधार करने पर बल दिया था. 2000 में भारतीय मंडल के नेता के तौर पर उनको डरबन साउथ अफ्रीका भेजा गया था.
इस सम्मलेन में रवि गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के मंत्रि स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में भारतीय मेंबर के रूप में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात से मिलकर उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिये भेजा. रविशंकर ने इंटरनेशनल मंचो पर भारत का सिर ऊँचा किया है. रविशंकर को 2006 में हुए अमेरिका में सयुंक्त राष्ट्र महासभा भारत का प्रतिनिधित्व करने भेजा गया था।
क्या कहती है रविशंकर प्रसाद की कुंडली
- रवि शंकर प्रसाद का जन्म 30 अगस्त 1953 को सुबह 4 बज कर 40 मिनट पर पटना, बिहार के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ हैं।
- उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना हाई कोर्ट में वकील थे और जन-संघ के संस्थापक सदयस्यों में से एक थे। सिंह लग्न में जन्में रवि शंकर प्रसाद की कुंडली में लग्न में सूर्य और बुध के ‘निपुण योग’ ने उनके अपने पेशे वकालत में खूब प्रसिद्धि दिलाई। मेष के चंद्रमा और सिंह लग्न के रवि शंकर प्रसाद के लिए शनि और गुरु का सम्बंध योग कारक हैं।
- दशम भाव में बैठे गुरु की महादशा उनको 1998 से 2014 तक मिली जिसने उनको सुप्रीम कोर्ट में प्रतिष्ठित वकील, वाजपेयी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री का पद दे कर एक बड़ी राजनीतिक हस्ती बना दिया।
- रविशंकर प्रसाद की पत्रिका में वर्तमान में शनि की महादशा में केतु अंतर्दशा में मंगल की प्रत्यंतर्दशा दशा चल रही हैं ।
- उनका जन्म भरणी तक के चतुर्थ चरण का हैं।
- 10 जून 2014 से पराक्रम भाव में बैठे उच्च के शनि की महादशा उनकी कुंडली में चल रही है जो 10 जून 2033 तक चलेगी। शनि पर नीच के मंगल की बाहरवें घर से पड़ रही दृष्टि के चलते कानून मंत्री रहते हुए वह नेशनल जुडिशल कमीशन को लागू करवाने में असफल रहे। उनके कानून मंत्री रहते देश में न्यायिक व्यवस्था में कोई मुलभूत सुधार नहीं हो पाया अपितु लंबित कोर्ट केसों की संख्या में वृद्धि एक चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है, किन्तु उच्च के शनि की दशा के चलते वह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।
भरणी नक्षत्र के जातक
- भरणी नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में दूसरा स्थान प्राप्त है। इस नक्षत्र पर रोमांस के कारक ग्रह शुक्र और जोश एवं उत्साह के कारक ग्रह मंगल दोनों का ही प्रभाव पड़ता है। आचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जीके अनुसार जिन व्यक्तियों का जन्म भरणी नक्षत्र में होता वह धुन के पक्के होते हैं। एक बार जो ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। काम को लटकाने की बजाय जल्दी से जल्दी पूरा करना इनके व्यक्तित्व की खास विशेषता होती है।
- ‘भरणी’ का अर्थ ‘धारक’ होता है। दक्ष प्रजापति की एक पुत्री का नाम भरणी है जिसका विवाह चंद्रमा से हुआ था। उसी के नाम पर इन नक्षत्र का नामकरण किया गया है। भरणी नक्षत्र में यम का व्रत और पूजन किया जाता है
- यम इसके देवता है। यम या यमराज मृत्यु के देवता है। इन्हे सूर्य और संजना (छाया) का पुत्र माना जाता है। यम का अर्थ है “जुड़वा” पौराणिक कथाओ मे इन्हे यमी (यमुना) का जुड़वा भाई बताया है। यम का अर्थ रोकने वाला भी है अतः ये मानव जाति को रोकने वाले है। इन्हे नरक का स्वामी भी माना जाता है। यम न्याय के देवता व मृतात्मा के न्यायाधीश है। आत्मा काे उसके कर्म अनुसार फल देते है। मान्यता है कि यम विवासत का पुत्र है। यम योग की आठ शाखाओ मे प्रथम शाखा है।
- इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक बहुत ही चतुर होते हैं। दूसरों से पैसा निकलवाने की कला इनमें खूब होती है। इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है जिससे शत्रुओं को भी मित्र बना लेते हैं। लेकिन प्रेम प्रसंगों के कारण समाज एवं परिवार में अपमानित होना पड़ता है।
- कैरियर की दृष्टि से इनके लिए मनोरंजन, खेल, पुलिस, चिकित्सा विभाग उन्नति दायक होता है। कारोबार की दृष्टि से अनाज एवं मनोरंजन और खेल से संबंधित वस्तुओं का व्यापार लाभप्रद रहता है। इनके मन में जल क्षेत्र जैसे नदी, तालाब एवं समुद्र के प्रति भय बना रहता है।
- इस नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों में उनकी अग्नि ऊर्जा के कारण शासन करने की क्षमता होती है। भरणी नक्षत्र की प्रकृति चरम है जिस भी दिशा का चयन करती है उसकी पूर्ण ख़ोज-बीन करती है| भरणी नक्षत्र में शुक्र ग्रह की उर्जा समाहित है इसलिए यह नक्षत्र ज़बरदस्त गूढ़ ज्ञान से भरपूर है| इस नक्षत्र की मुख्य प्रतीक योनि या स्त्री जननेन्द्रियाँ है जो रचनात्मकता, कामुकता तथा जन्म व मृत्यु के चक्र को दर्शाती है| गर्भ की तरह भरणी नक्षत्र पोषण और विकास से संबंधित है तथा इसमें शीघ्र प्रकट होने की शक्ति है| भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों का एक मजबूत चरित्र होता है तथा वे जीवन के परिवर्तनों का सामना कर सकते हैं। उनकी सरलमति उन्हें कुछ नया सीखने व जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम बनाती है| यह नक्षत्र सबसे अधिक उत्साही व व्यग्र नक्षत्रों में से एक है फिर भी इसे समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- इस वर्ष में रविशंकर प्रसाद की जीवन साथी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाˇ होंगी। मानसिक रूप से अत्यधिक तनावग्रस्त रहेंगे और वैवाहिक जीवन में कुछ अनहोनी हो सकती है।
- खर्चों में बढोत्तरी की सम्भवना बनती हैं । पद खोने का खतरा रहेगा और रविशंकर प्रसाद के वरिष्ठों के रविशंकर प्रसाद के विरोध में जाने की भी संभावना है। आगामी समय में जीवन के हर मोड़ पर रविशंकर प्रसाद को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
- सावधानी पूर्वक, सोच सम्भलकर कार्य करें।