हिंदी फिल्मों के सुप्रसिद्ध कॉमेडियन जगदीप जी का बुधवार (8 जुलाई ..20) को मुंबई में निधन हो गया। वे 8. वर्ष के थे। जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था लेकिन हिंदी फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम जगदीप रख लिया था। वे एक्टर, एंकर ओर डान्सर जावेद और नावेद जाफरी के पिता थे। जगदीप के दोस्त प्रोड्यूसर महमूद अली ने बताया कि बांद्रा स्थित घर में रात करीब 8..0 बजे उनका निधन हो गई। वह वृद्धावस्था के कारण हुई बीमारियों से लंबे समय से परेशान चल रहे थे। जगदीप को गुरुवार (9 जुलाई 2020 को)  सुबह 11 बजे मुंबई के मुस्तफा बाजार मझगांव शिया कब्रिस्तान सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

मप्र के दतिया में जन्में थे जगदीप

     सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर जगदीप का जन्म 29 मार्च, 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया में एक वकील के घर पर हुआ था। जगदीप का जन्म ब्रिटिश इंडिया के दतिया सेंट्रल प्रोविंग में (अब मध्य प्रदेश) 29 मार्च 1939 को हुआ था. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन साल 1994 में आई ‘अंदाज अपना अपना’, 1975 में आई ‘शोले’ और 1972 में आई ‘अपना देश’ में उनके अभिनय को काफी सराहा गया। पिता के निधन बाद जगदीप की मां उन्हें मुंबई ले आईं थीं। मुंबई में उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। पैसा कमाने के लिए मां ने एक अनाथालय में खाना बनाने का काम शुरू कर दिया था। मां का इस तरह से काम करना जगदीप को बिलकुल पसंद नहीं आता था। इस वजह उन्होंने स्कूल छोड़कर सड़क पर सामान बेचना शुरू कर दिया था। जगदीप ने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर साल 1951 में फिल्म ‘अफसाना’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा और एक कॉमेडियन के तौर पर उन्होंने ‘दो बीघा ज़मीन’ से डेब्यू किया था।
     जगदीप ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट ‘मास्टर मुन्ना’ के रूप में बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से की थी। इसके बाद चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में ही उन्होंने ‘लैला मजनूं’ में काम किया। जगदीप ने कॉमिक रोल बिमल रॉय की फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से करने शुरू किए थे।शम्‍मी कपूर की फिल्म ‘ब्रह्मचारी’ से उनका कॉमेडियन बनने का सफर शुरू हुआ। फिल्म ‘अंदाज अपना-अपना’ में उन्‍होंने सलमान खान के पिता का रोल निभाया था। इसके अलावा फिल्म ‘पुराना मंदिर’ में मच्छर के किरदार और फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ में सलमान खान के पिता के रोल में भी उन्होंने दर्शकों का जबरदस्त मनोरंजन किया था. उन्होंने एक फिल्म का निर्देशन किया था जिसका नाम सूरमा भोपाली था. इस फिल्म में लीड किरदार भी उन्होंने खुद निभाया था. जगदीप ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत 1951 में बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से की थी. इस फिल्म में जगदीप ने बतौर बाल कलाकार काम किया था. इसके बाद भी उन्होंने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया जिनमें गुरू दत्त की आर पार, बिमल रॉय की दो बीघा जमीन जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं.
    फिल्म ‘हम पंछी एक डाल के’ में उनके काम को लोगों ने काफी सराहा था और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी जगदीप की तारीफ की थी. अब दिल्ली दूर नहीं’, ‘मुन्ना’, ‘आर पार’, ‘दो बीगा जमीन’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ के बाद जगदीप की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें मुख्य अभिनेता के तौर पर फिल्मों में काम मिलने लगा। इस फिल्म में उनकी एक्टिंग से भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इतना खुश हुए थे कि जगदीप के लिए अपना पर्सनल स्टाफ नियुक्त कर दिया था। जगदीप के बेटे जावेद जाफरी और नावेद जाफरी भी एंटरटेन्मेन्ट इंडस्ट्री से जुड़े रहे हैं. सोनी चेनल के बूगी वुगी से उन्होंने भी बहुत नाम कमाया ।जावेद तो अनेक फिल्मों में अदाकारी के साथ साथ बेहतरीन डांस डायरेक्टर भी हैं। अब जावेद के पुत्र भी हिंदी फिल्म में डेब्यू करने वाले हैं।
     जगदीप की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने तीन शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी का नाम नसीम बेगम, दूसरी पत्नी का नाम सुघ्र बेगम और तीसरी पत्नी का नाम नजीमा है. – जगदीप की तीन शादियों से 6 बच्चे हैं. बेटा हुसैन जाफरी (पहली पत्नी), जावेद जाफरी और नावेद जाफरी (दूसरी पत्नी), तो वहीं दो बेटियां शकीरा शफी और सुरैया जाफरी (पहली पत्नी) और मुस्कान (तीसरी पत्नी) हैं. उन्होंने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 2012 में वे आखिरी बार ‘गली गली चोर’ फिल्म में पुलिस कांस्टेबल की भूमिका में नजर आए थे।

सूरमा भोपाली के नाम पर फिल्म भी बनी

     1975 में आई शोले में निभाए गए सूरमा भोपाली के किरदार ने उन्हें बॉलीवुड में मशहूर किया था। इस किरदार के नाम पर 1988 में भी फिल्म बनी, उसमें भी मुख्य भूमिका जगदीप ने ही निभाई।  इसके अलावा ब्रह्मचारी, नागिन और अंदाज अपना-अपना जैसी फिल्मों में उनकी कॉमेडी को काफी पसंद किया गया। चाहने वालों में जगदीप सूरमा भोपाली के अपने इस किरदार के लिए ही मशहूर थे।जगदीप ने खुद को उस दौर में स्थापित किया, जब जॉनी वॉकर और महमूद की तूती बोलती थी।अपने हाव भाव से दर्शकों को हंसाने वाले जगदीप ने उस दौर में काम किया जब फिल्म उद्योग में महमूद, जॉनी वाकर, घूमल, केश्टो मुखर्जी जैसे कॉमेडियन मौजूद थे. ढाई सौ से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके जगदीप ‘शोले’, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं। पिछले साल जगदीप को मुंबई में हुए आइफा समारोह में भारतीय सिनेमा में अतुल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया था।

सूरमा भोपाली के रोल ने अमर कर दिया

     शोले का सूरमा भोपाली हमेशा से ही लोगों के जेहन में मौजूद रहने वाला चरित्र रहा है. आज भी अगर लोग जगदीप को याद करते हैं तो शोले में निभाया गया यह किरदार कभी नहीं भूलते. सूरमा भोपाली का रोल इतना फेमस हुआ कि इसी नाम से जगदीप ने एक फिल्म का निर्देशन भी किया था।

 

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