जाने और समझे वर्तमान में अचानक बढ़ी आत्महत्या की प्रवृत्ति के कारणों को–
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ज्योतिषशास्त्र में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं जिनका प्रभाव हमारे जीवन और समाज पर होता है। इनमें . ग्रह राहु केतु हमेशा वक्री यानी उलटी चाल से चलते हैं और सूर्य एवं चंद्रमा हमेशा सीधी चाल से चलते हैं। बाकी 5 ग्रह व्रकी और मार्गी होते रहते हैं। 
सूर्य और चंद्रमा ऐसे दो ग्रह हैं जो कभी वक्री नहीं होते हैं। जबकि राहु और केतु सदैव वक्री चाल चलते हैं। साल 2.20 में पांच ग्रह वक्री होंगे। ये पांच ग्रह मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि हैं। 
इस वर्ष मई जून में ग्रहों का अजब संयोग बना है जब राहु केतु के अलाव चार और ग्रह वक्री यानी उलटी चाल से चलेंगें इसे ग्रहों की प्रतिगामी चाल भी कहते हैं। इस बीच काल सर्प योग भी प्रभावी रहेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहों की ऐसी स्थिति शुभ नहीं होती है। 
किसी भी वक्री ग्रह का प्रभाव राशि पर उसके संबंधानुसार पड़ता है। कोई भी ग्रह चाहें वक्री हो या फिर मार्गी, वह अपनी उच्च राशि में अच्छा फल देता है, जबकि नीच राशि में वह अशुभ फलकारी होता है।
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोनो के गंभीर संकट का सामना कर रही है ।
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विगत .1 मई को शनि अपनी राशि मकर में वक्री हो जाएंगे। इसके बाद 1. मई से शुक्र और फिर 14 मई 2020 से देव गुरु बृहस्पति भी वक्री हो चुके हैं। इसके अलावा, 18 जून को बुध उलटी चाल से चलने लगेंगे। 
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गौरतलब है कि 18 जून से 25 जून 2020 के बीच ये चारों ग्रह एक ही समय पर प्रतिगामी यानी वक्र रहेंगे। ग्रहों की यह स्थिति 15 जुलाई 2020 तक कालपुरुष कुंडली में बने काल सर्प दोष के साथ परस्पर व्याप्त होती है जिसका परिणाम चिंताजनक हो सकता है।
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बुध 18 जून 2020 से 12 जुलाई 2020 के बीच वृषभ राशि में वक्री रहेंगे। इस समय के दौरान कोरोनो वायरस के प्रभावों से निपटने के लिए नए विचार और समाधान सामने आ सकते हैं। पड़ोसियों देशों के साथ संवाद में व्यवधान आ सकता है। यह भी गौरतलब है कि 18 जून से 25 जून 2020 के बीच चार ग्रह – शनि, बृहस्पति, शुक्र और बुध – एक ही समय में प्रतिगामी गति में होंगे जो भ्रम और अराजकता पैदा कर सकते हैं।
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शनि 11 मई 2020 से 29 सितंबर 2020 तक मकर राशि में वक्री रहेंगे जो भारत की कुंडली के नौवें भाव में है। शनि का प्रतिगमन जिम्मेदारियों और काम के बोझ के साथ एक कठिन अवधि को दर्शाता है।
इसके बाद लगातार 34 दिनों तक गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु ये 5 ग्रह वक्री रहेंगे। 18 जून 2020 को बुध भी अपनी स्वराशि मिथुन में वक्री हो जाएगा। इस तरह 6 ग्रहों वक्री हो जाएंगे।शनि का प्रतिगमन जिम्मेदारियों और काम के बोझ के साथ एक कठिन अवधि को दर्शाता है।
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7 दिनों के लिए 6 ग्रह रहेंगे वक्री–

ज्योतिष में ग्रहों की दो स्थितियां बताई गई हैं। एक मार्गी और दूसरी वक्री। मार्गी में ग्रह सीधा चलता है यानी आगे बढ़ता है। जबकि वक्री स्थिति में ग्रह टेढ़ा या उल्टा चलता है यानी पीछे की ओर चलने लगता है। 18 जून से 25 जून 2020 तक 7 दिनों के लिए 6 ग्रह वक्री रहेंगे। इसके बाद 25 जून की रात शुक्र ग्रह वृषभ राशि में मार्गी हो जाएगा। इसके बाद पांच ग्रह वक्री रह जाएंगे।
अनुसार इन ग्रहों के वक्री होने से दुनियाभर में महामारी का असर कम हो सकता है। अर्थ व्यवस्था में सुधार के भी योग बन रहे हैं। 

21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण के दिन बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु वक्री रहेंगे. इसके चलते वैश्विक परिदृश्य में अनर्थ होने के संकेत मिल रहे हैं. कुछ देशों के बीच युद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन मंगल के कारण युद्ध टल सकता है. लेकिन राहु की उल्टी चाल राजनीतिक उथल-पुथल के संकेत दे रही है।
21 जून 2020 को लगने वाला यह ग्रहण स्वतंत्र भारत की कुंडली के दृष्टिगत देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के संकेत दे रहा है और लघु उद्योगों के पुनर्जीवित होने व रफ्तार पकड़ने की संभावनाओं को भी दर्शा रहा है। कृषि व बागवानी सेक्टर के लिए भी यह बहुत शुभ रहेगा। देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगेगी। रियल एस्टेट में शिथिलता रहेगी लेकिन हेल्थ व आईटी सेक्टर मजबूत होगा। विश्व में भारत की साख भी बढ़ेगा।
 ग्रह स्थितियां समाजिक विद्वेष, आर्थिक  मंदी, प्राकृतिक आपदा, भूकंप, विमान अथवा रेल दुर्घटना, अतिवृष्टि की ओर इशारा कर रही है. राहु कुछ राज्यों में अचानक सत्ता परिवर्तन करा सकते हैं। 21 जून 2020 को नवम स्थान में स्वगृही शनि व गुरू के बीच चांडाल योग का निर्माण कर रहा है. मिथुन राशि में एक साथ 6 ग्रह, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु वक्री रहेंगें. यह संयोग बहुत बड़ा अनिष्टकारी हो सकता हैं. कोरोना संकट के बीच राजनैतिक अस्थिरता,  समाजिक विद्वेष, आर्थिक  एवं स्वास्थ्य संबंधित समस्या को बढाने वाला हो सकता है.।

इस समय विशेषकर युवाआें को सावधानी रखनी होगी। क्योंकि ज्ञान के दाता गुरु आैर बुद्धि के दाता बुध के पीड़ित होने से इन दोनों के प्रभाव में कमी आएगी। इससे लोग डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में आवेश में आकर कोई फैसला न लें। किसी भी तरह की परेशानी हो तो प्रियजन और परिजन से सलाह जरूर लें,अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

ज्योतिषाचार्य पं. दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि इस समय अधिकांश ग्रहों की चाल वक्री हो गई है। इतना ही नहीं वक्री बृहस्पति राहु के साथ चांडाल योग बनाए हुए  है। ज्ञान का कारक ग्रह गुरु वक्री होकर चांडाल योग में राहु से पीड़ित है। इसके चलते कुछ मानवों पर ज्ञान का प्रभाव लगभग समाप्त हो जाएगा। बुद्धि दाता ग्रह बुध भी शत्रु राशि में वक्री होकर पीड़ित है तथा सूर्य भी पीड़ित हैं, जिसके कारण ज्ञान और विवेक की कमी होगी जिससे लोग खासतौर पर युवा वर्ग डिप्रेशन में आएगा और आत्महत्या के प्रयास तक करेगा।

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