क्या काले कपड़े ज्यादा पहनना शनि ग्रह को विनाश कराने का निमंत्रण देना हैं?

अगर शनि योगकारक है, अच्छा बैठा है कुंडली में तो येही काले कपडे आपकी अपार सफलता का राज़ बन जायेंगे और अगर शनि ख़राब है, तो ज्यादा काले कपडे पहनने से आपकी स्थिति सुधारना मुश्किल है | शनि की दशा या गोचर अनुकूल नहीं है तो भी काले कपडे नहीं पहनने चाहिए |


शास्‍त्रों के अनुसार नौ ग्रहों में से तीन ग्रह ऐसे हैं जिनके नाम से ही इंसान कांपने लगता है, ये तीन ग्रह हैं – शनि, राहू और केतु।

राहू और केतु तो फिर भी छाया ग्रह हैं जो अपने साथ बैठे ग्रह के अनुसार भी फल दे सकते हैं किंतु शनि के प्रकोप से बच पाना मुश्किल काम है। शनि के प्रकोप से तो इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी कांपते हैं। अगर शनि देव किसी से रुष्‍ट हो जाएं तो उस व्‍यक्‍ति को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। यदि कुंडली में शनि देव कमज़ोर स्थिति या नीच स्‍थान में बैठे हैं तो उस जातक को अपने जीवन में अनेक कष्‍टों का सामना करना पड़ता है।


एक कहावत है – सब रंग कच्चा , सावरिया रंग पक्का । जी हाँ , काला रंग पक्का होता है । इस पर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ सकता । इसीलिए कबीर को भी कहना पड़ा –

“कबीरा काली कामरी , चढ़ें न दूजो रंग । “

यह प्रधान रंग होता है , जो कई रंगों से मिलकर बना है । यह गर्मी का अवशोषक होता है । इसीलिए काले रंग की भैंस को गर्मी ज्यादा लगती है । काली भैंस दोपहर होने से पहले घर वापस आ जाती है । धूप में काले छाते की बजाय दूसरे रंग के छाते इस्तेमाल करने चाहिए । सर्दियों में काले कपड़े पहनना चाहिए ताकि वह गर्मी अवशोषित कर आपको गर्मी प्रदान करे । गाँव के घरों में मिट्टी के बर्तनों के पेंदे में मिट्टी लगा दी जाती है , जो आग पर जल कर काला हो जाता है । इससे गर्मी ज्यादा अवशोषित होती है , खाना जल्दी पकता है ।

धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से भारत के अधिकतर हिस्सों में इस रंग को शुभ नहीं माना जाता। क्योंकि यह रंग हमारे मनोभावों को दूषित करता है। इस रंग को बार-बार देखने से आँखों में भ्रम की स्थिति पैदा होता है। जो लोग काले रंग का ज्यादा इस्तेमाल करते है वे बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते है (short temper)। इसलिए इस रंग का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।

काले रंग को लाख बुरा कहो लेकिन बालों के जरा से श्वेत होते ही उन्हें नियमित रूप से काला कर युवा बने रहने का भ्रम पालने वालों का सर्वत्र बहुमत है. ‘काले कजरारे’ नैनों पर झूमने वाले नैनो की जरा सी लाली से ही सहम जाते हैं. अनेक रोगों के ईंजन यानी मधुमेह से बचना हो तो काले जामुन आपकी मदद कर सकते हैं. पूर्वोत्तर भारत में काली पूजा का प्रचलन है तो हमारे कृष्ण कन्हैया काले (सांवले) और रामजी भी काले (सांवले).

प्रकाश बांटने वाला दिया काला तो दिन भर कड़ी मेहनत के बाद विश्रांति प्रदान करने वाली रात्रि काली. घनघोर वर्षा लाने वाले बादल काले, मधुर गीत सुनाने वाली कोयल काली तो एक जमाने में खूब धूम मचाने वाले एचएमवी (हिज मास्टर्स व्हाइस) के रिकार्ड प्लेयर (तवे) भी काले ही होते थे.

ग्रेनाइट तो काला पसंद लेकिन काला रंग अशुभ! इसके जरूर कुछ कारण होने चाहिए. क्या आप जानते हो कि पुस्तक धार्मिक हो या पाठ्यक्रम की, साहित्य की हो या कानून की. मनोरंजन हो या लोकरंजन की, दुनिया की हर पुस्तक की छपाई काली स्याही से होती है. बात बिल्कुल स्पष्ट है कि काले अक्षर ज्ञान बांटते हैं परंतु कुछ लोगों के लिए यही काले अक्षर भैंस बराबर होते हैं. ऐसा लगता है काले अक्षर को भैंस बराबर मानने वालों की दृष्टि में काला और काल सहोदर हैैं. यह भी संभव है कि का(क्या) और ला के मेल से बने होने के कारण वे काले के प्रति आशंकित हो कि वह न जाने कैसा काल ले आये?

यदि कालेधन में कुछ गलत है तो आप नियमों को उदार बनाकर उनका निदान कर सकते हो. पर हां, जिनके मन काले हैं उनका कुछ नहीं किया जा सकता. ऐसे लोग जो किसी भी कीमत पर समय, काल, परिस्थिति के अनुसार कुछ सीखने या सुधरने के लिए तैयार ही न हो उनकी तुलना उस जेड ब्लैक काले रंग से की जाती है जिस पर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ता. निश्चित रूप से ब्रह्मांड के ब्लैक होल सरीखे मैले मन वाले धूर्त लोगों के कारण ही ‘काला’ रंग बदनाम हुआ है।

जब कोई नया मकान बनता है तो उसे लोगों की नजर (नकारात्मकता) से बचाने के लिए काले रंग का मुखौटा लगाया जाता है. इसी प्रकार छोटे सुंदर बच्चों के माथे पर काला टीका लगा दिया जाता है. ऐसा करने वालों को मानना है कि देखने वाले की नजर काले रंग पर टिक जाती है जिससे उनकी नकारात्मकता का बुरा प्रभाव नष्ट हो जाता है. लेकिन प्रश्न तो है कि क्या काला रंग वास्तव में अशुभ है?

काला रंग चूँकि अवशोषक होता है ,अतएव यह कुछ भी परावर्तित नहीं कर सकता है ; जब कि सफेद रंग अपने पास कुछ भी नहीं रखता -परावर्तित हीं करता है । काला रंग अवशोषित करता है तो इससे नकारात्मक ऊर्जा भी आती है और मनुष्य मौन रहना शुरू कर देता है । यह मौन कष्ट देने लगता है । इसलिए हमारे शास्त्रों में शुभ कार्यों में काला कपड़ा पहनना वर्जित है ।

कूपित शनि से प्रभावित व्‍यक्‍ति के जीवन में उथल-पुथल मची रहती है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए ज्‍योतिषशास्‍त्र में कई उपाय भी बताए गए हैं।

मान्‍यता है कि शनिवार के दिन शनि देव का तेल व काले तिल चढ़ाने से वे प्रसन्‍न हो जाते हैं। इसके अलावा शनि देव का प्रसन्‍न करने के लिए ज्‍योतिषशास्‍त्र में और भी कई उपाय बताए गए हैं।

शनि देव के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए काले कपड़ों के दान का महत्‍व भी बताया गया है।
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इसलिए शनि देव को पसंद है काला कपड़ा–

ज्‍योतिषशास्‍त्र में शनि देव को श्‍यामवर्ण बताया गया है एवं काला रंग आलस का प्रतीक होता है। अशुभ शनि को शुभ बनाने के लिए लोहे और काली चीज़ों का दान किया जाता है। ज्‍योतिष में हर ग्रह का एक प्रिय रंग है एवं प्रत्‍येक ग्रह को प्रसन्‍न करने के लिए उससे संबंधित वस्‍तु का दान किया जाता है। इसलिए अशुभ शनि के प्रभाव को कम करने के लिए काली चीज़ों का दान किया जाता है क्‍योंकि शनि देव का काला रंग पसंद है। काली चीज़ों का दान करने से शनि का दोष कम हो जाता है।

आपको लग रहा होगा की रंगों का असर इतना कैसे पड़ता है जीवन में, तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ हमारे जीवन में हर रंग का असर पड़ता है | 


शास्‍त्रों के अनुसार नौ ग्रहों में से तीन ग्रह ऐसे हैं जिनके नाम से ही इंसान कांपने लगता है, ये तीन ग्रह हैं – शनि, राहू और केतु।

राहू और केतु तो फिर भी छाया ग्रह हैं जो अपने साथ बैठे ग्रह के अनुसार भी फल दे सकते हैं किंतु शनि के प्रकोप से बच पाना मुश्किल काम है। शनि के प्रकोप से तो इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी कांपते हैं। अगर शनि देव किसी से रुष्‍ट हो जाएं तो उस व्‍यक्‍ति को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। यदि कुंडली में शनि देव कमज़ोर स्थिति या नीच स्‍थान में बैठे हैं तो उस जातक को अपने जीवन में अनेक कष्‍टों का सामना करना पड़ता है।

कूपित शनि से प्रभावित व्‍यक्‍ति के जीवन में उथल-पुथल मची रहती है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए ज्‍योतिषशास्‍त्र में कई उपाय भी बताए गए हैं।

मान्‍यता है कि शनिवार के दिन शनि देव का तेल व काले तिल चढ़ाने से वे प्रसन्‍न हो जाते हैं। इसके अलावा शनि देव का प्रसन्‍न करने के लिए ज्‍योतिषशास्‍त्र में और भी कई उपाय बताए गए हैं।

शनि देव के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए काले कपड़ों के दान का महत्‍व भी बताया गया है।
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इसलिए शनि देव को पसंद है काला कपड़ा—

ज्‍योतिषशास्‍त्र में शनि देव को श्‍यामवर्ण बताया गया है एवं काला रंग आलस का प्रतीक होता है। अशुभ शनि को शुभ बनाने के लिए लोहे और काली चीज़ों का दान किया जाता है। ज्‍योतिष में हर ग्रह का एक प्रिय रंग है एवं प्रत्‍येक ग्रह को प्रसन्‍न करने के लिए उससे संबंधित वस्‍तु का दान किया जाता है। इसलिए अशुभ शनि के प्रभाव को कम करने के लिए काली चीज़ों का दान किया जाता है क्‍योंकि शनि देव का काला रंग पसंद है। काली चीज़ों का दान करने से शनि का दोष कम हो जाता है।


शास्त्रों में शनिदेव को व्यक्ति के भाग्य संवारने वाला माना गया है। यह भी मान्यता है कि शनि को शांत करने से मनुष्य जीवन को कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

काले वस्त्र पहनने से निकटवर्ती लोग भी प्रभावित होते हैं । यदि अनिष्ट शक्तियों से पीडित दो व्यक्ति काले वस्त्र पहनें, तो यह दो अनिष्ट शक्तियों में सूक्ष्म काली शक्ति का आदान-प्रदान करने में सहायक होता है । तथापि यदि कोई व्यक्ति इसी परिसर में प्रामाणिक रूप से साधना करने के प्रयास कर रहा हो, तो उस व्यक्ति द्वारा काले वस्त्र पहनने से तमोगुण में वृद्धि होने के कारण उसपर भी विपरीत परिणाम होने की संभावना रहती है; क्योंकि अनिष्ट शक्तियां लोगों को तीव्रता और गंभीरता से साधना करने से परावृत्त करने पर अपना ध्यान केंद्रित करती हैं ।


मनुष्य मस्तिष्क लाल , हरा , नीला तीन रंगों को हीं पहचानता है । इन तीन रंगों से हीं बहुत से रंग बनाए जाते हैं । हमारी आँखों के कलर कोन इन तीन रंगों को हीं पहचानते हैं । इन तीन रंगों से बने अन्य रंग भी पहचान में आते हैं । बाकी भी रंग हैं , पर हमें नज़र नहीं आते ।काला रंग भी इन्हीं तीनों रंग के सम्मिश्रण से बना है .

काले खाद्य पदार्थ यथा – काला अंगूर , काला तिल , काली दाल , काली मिर्च , ब्लैक बेरी व ब्लैक डार्क चॉकलेट आदि विटामिन C , K और फाइबर का प्रमुख स्रोत होता है , जो हृदय रोग , कैंसर आदि में लाभदायक होता है ।

काले रंग को लेकर कुछ सामाजिक बुराईयाँ भी आ गईं हैं । काले रंग की वजह से नस्ल भेद व रंग भेद टिप्पणियाँ की जाती हैं । काली बहु जला दी जाती है । सबको गोरी बहु हीं चाहिए । काली बहु का यदि मन सुंदर है तो वह काले मन वाली गोरी बहु से बेहतर है । इतिहास में पद्मिनी और द्रोपदी दो परम सुंदरियाँ हुई हैं , पर इनका रंग काला था । अब तो वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध कर दिया है कि काले लोग गोरों की तुलना में काफी सकारत्मक होते हैं। काली चमड़ी वालों को कैंसर भी नहीं होता । काले कपड़े पहन कर आदमी सुंदर दिखता है – इसलिए मुम्बई में देवानंद को काले कपड़े पहनने पर बैन लगा था । काले कपड़े पहनने के बाद देवानंद को देखने भीड़ उमड़ पड़ती थी ।

काले रंग में महानता छिपी होती है। बल्कि दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि महानता काले रंग में ही अधिक खिलती है। धार्मिक ग्रंथों में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि भगवान श्रीकृष्ण, शिव या श्रीराम आदि ने कभी अपने काले होने का दुःख व्यक्त किया हो। महानता के रंग का काले रंग के साथ अद्भुत संयोग होता है। पीले रंग के सिंह पर महाकाली, सफ़ेद रंग के हिमालय पर विराजमान काले शिव और गले में काला नाग, काले चूहे पर बुद्धि के देवता काले हाथी का मस्तक धारण किए भगवान श्रीगणेश।

काला मुर्गा , काली बोतल तांत्रिकों के लिए बहुत हीं प्रिय बस्तुएं रही हैं । हर शनिवार को काले कुत्ते को पेड़ा खिलाना कल्याणकारी माना जाता है । मकर संक्रांति को काला तिल , काली दाल दान करना फलदायक माना जाता है । भादो के महीने के .6 दिन कौवों को जिमाया जाता है । ये पितरों के प्रतीक माने जाते हैं । बच्चों को नज़र गुजर से बचाने के लिए काला टीका माथे पर लगाया जाता है । गोरी औरत काले पति के साथ इसलिए बाहर निकलती है कि उसका पति उसके लिए काले टीके का काम करता है और उसे नज़र नहीं लगती –

काले संग निकली की न लग जाय नज़रिया ।

कृष्ण , राम , शिव व शनि आदि सभी काले थे , पर इन लोगों ने धवल कल्याण कारी कार्य किए थे । इसीलिए राम – मर्यादा पुरषोतम , कृष्ण – 16 कलाओं में माहिर , शिव – नील कंठ तथा शनि – रिपुदमन कहलाए । इतिहास गवाह है कि इन लोगों के अनुगामी आज भी लाखों / करोड़ों में हैं ।

काले रंग का गुण दोष की विवेचना देश काल व परिस्थिति पर निर्भर करती है । नेता को काला झंडा दिखाने पर नेता नाराज़ होते हैं और वही नेता देवी को काला झण्डा चढाते हैं तो देवी खुश होती हैं । काला धन के लिए बाबा रामदेव जी UPA के कार्य काल में बहुत हो हल्ला करते थे , पर बाबा आज मौन हैं । यह भी देश , काल व परिस्थिति की हीं बात है कि वो अब नहीं कहते कि 5.0 व 1000 के नोट बन्द होने चाहिए । वे कहते थे कि इन नोटों से काले धन को बढ़ावा मिलता है । अब तो उनसे भी बड़े नोट चलन में आ गये हैं । बाबा वहीं हैं , पर परिस्थिति भिन्न हो गयीं हैं ।

कोई चीज काली है या आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, कुछ भी लौटाती नहीं,सब कुछ सोख लेती है। तो अगर आप किसी ऐसी जगह हैं, जहां एक विशेष कंपन और शुभ ऊर्जा है तो आपके पहनने के लिए सबसे अच्छा रंग काला है क्योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा अवशोषित करना चाहेंगे, आत्मसात करना चाहेंगे। जब आप दुनिया से घिरे होते हैं, लाखों-करोड़ों अलग-अलग तरह की चीजों के संपर्क में होते हैं, तो सफेद कपड़े पहनना सबसे अच्छा है, क्योंकि आप कुछ भी ग्रहण करना नहीं चाहते, आप सब कुछ वापस कर देना, परावर्तित कर देना चाहते हैं।

काला रंग बाहर से ही नहीं, भीतर से भी अवशोषित करता है। अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों के संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे घटने-बढऩे लगेगी कि वह आपके भीतर के सभी भावों को सोख लेगी और आपकी मानसिक हालत को बेहद अस्थिर और असंतुलित कर देगी। आपको एक तरह से मौन-कष्ट होने लगेगा यानी ये कष्ट आपको इस तरह होंगे कि आप इनको जाहिर भी नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर आप किसी ऐसी स्थिति में काला रंग पहनते हैं, जो शुभ ऊर्जा से भरपूर है तो आप इस ऊर्जा को अधिक से अधिक ग्रहण कर सकते हैं, जो आपके लिए अच्छा है।

शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को रात के समय काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए, काले कपड़ों को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है और रात का समय नकारात्मक शक्तियों का समय होता है जब वे खुले में घूमती हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति रात के समय मेें काले कपड़े पहनता है तो वह जल्दी ही नकारात्मक शक्तियों के वश में आ जाता है। जिसके चलते व्यक्ति को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण रात के समय काले कपड़े पहनना शास्त्रों में अनुचित बताया गया है।

ऑफिस के दरवाजे पर लटकाएं यह काले रंग का कपड़ा, आपके व्यवसाय में होगी वृद्धि।

रात के समय काले कपड़े पहनने से वास्तुदोष उत्पन्न होता है, इसके चलते घर के सदस्यों को आर्थिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसका असर परिवार के सदस्यों पर भी पड़ता है, इससे परिवार के सदस्यों के बीच झगड़ा होता रहता है।

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