त्रिदिवसीय श्री शनि शान्ति यज्ञम्–.9 मई से .1 मई 2.12 तक

त्रिदिवसीय श्री शनि शान्ति यज्ञम्—–
सौ साल बाद आया हें ऐसा दुर्लभ योग-संयोग
एक ऐसा अद्भुत योग-संयोग जो करीब सौ वर्षों बाद घटित होने जा रहा है।
1- उच्च के शनि 2- शनि जयंती (अमावस्या) .- शनिवार, वक्र-शनि 4- सूर्य ग्रहण
तुला राषि में शनि उच्चस्थ प्रवेषरत है। इस बार शनि जयंती की पूर्व वेला शनिवार को आ रही है।
शनि जयंती की पर वेला पर भारत वर्षीय पूर्व भू-भाग में पूर्ण (खग्रास) सूर्य ग्रहण भी दिखाई देगा…
इसलिए संस्कृत छात्रावास (श्री जयंती प्रसाद वैदिक विद्याश्रम) के विद्वत् परिषद द्वारा एक उच्चतम स्तर का (विष्व शान्ति हेतु) त्रिदिवसीय शनि शान्ति यज्ञम् का आयोजन दिनांक – 19 मई से 21 मई 2012 तक किया जा रहा है।
जिसमें शनि साढ़े साती, शनि ढ़ैया, वक्र-शनि आदि ग्रह दोषों से पीडि़त जनों को विषेष लाभ प्राप्त हो सकेगा। इस अवसर पर आप कालसर्प एवं पितृ दोष/योग की शांति भी करवा सकते हें..

यज्ञ में यजमान बनकर पुण्य लाभार्जित करें।
कृपया पंजीयन/रजिस्ट्रेशन/नामांकन हेतु सम्पर्क करें-
श्री बनवारी लाल गौड़ (ज्योतिषाचार्य, भागवताचार्य)
संस्कृत छात्रावास
गोरे दाऊजी के पीछे, 24-ठ गौधूली पुरम, वृन्दावन
मो0- 09286166524, 09760404688, 08534033790
कार्यक्रम विवरण-
1-शनि शान्ति यज्ञम् (श्री शनिसिगणापुर पद्वति द्वारा)
दिनांक- 19.05.2012 दिन- शनिवार
समय- प्रातःकालीन वेला- प्रातः- 7 बजे से 11 बजे तक पूर्णाहुति- 12 बजे
सायंकालीन वेला- सांय- 5 बजे से 8 बजे तक पूर्णाहुति- 08 :30 बजे
2- कालसर्प दोष शान्ति यज्ञम् (श्री महादेव व्यास, महाकालेष्वर उज्जैन द्वारा)
दिनांक- 20.5.2012 दिन- रविवार, अमावस्या
समय- प्रातः- 8 बजे से 12 बजे तक पूर्णाहुति- 12 बजे
3- पितृदोष शान्ति यज्ञम् (आचार्य पं0 श्री विद्याधर शास्त्री, गया बिहार द्वारा)
दिनांक- 20.5.2012 दिन- रविवार, अमावस्या
समय- सांय- 5 बजे से 8 बजे तक पूर्णाहुति- 08 :30 बजे
4- व्यापार वृद्धि श्री यज्ञम् (गणपति होमम् दक्षिण होम पद्धति द्वारा )
दिनांक- 21.5.2012 दिन- सोमवार
समय- ब्रह्म मुहूर्त रात्रि-0 2 बजे से प्रातः सूर्योदय तक

नोट- यज्ञोपरान्त सभी यजमानों को व्यापार वृद्धि यन्त्रम् तथा सिद्ध श्री लक्ष्मी प्रदायक- श्रीयन्त्रम् भी प्रदान किया जायेगा।

स्वामी विशाल चैतन्य (पंडित दयानन्द शास्त्री )
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शनि 19 मई,2012 (शनिवार ) से राशि बदलकर तुला से कन्या में आएगा।

कलयुग के अधिपति नायक देवता न्यायाधीश के पद पर विराजित शनि 19 मई,2012 (शनिवार ) से राशि बदलकर तुला से कन्या में आएगा।

वैसे तो शनि करीब ढाई साल तक एक ही राशि में रुकता है लेकिन अभी शनि वक्री है और इसी वजह से यह पीछे की ओर राशि बदलकर कन्या में जाएगा।

ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार 19 मई 2012 की दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से वक्री शनि कन्या राशि में वापस प्रवेश करेगा। जो 26 जून 2012 की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से मार्गी होकर 1 अगस्त 2012 को वापस उच्च का होकर तुला राशि में लौट आएगा।

ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार शनि का वक्री होने का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। विशेषकर 19 मई से 1 अगस्त 2012 के मध्य में वक्री शनि का प्रभाव ज्यादा दिखाई देगा। इसके अलावा यह केवल प्राकृतिक आपदा का कारक बन सकता है। शनि का तुला राशि में वक्री होने से तूफान, चक्रवात, भूकंपन, बाढ़ आदि की संभावनाएं बन रही हैं। लोगों को मंहगाई का सामना कर पड़ सकता है। इसके अलावा व्यक्तिगत जीवन में यह किसी को परेशान नहीं करेगा। जिस राशियों में शनि का ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है उन्हें भी कुछ समय के लिए राहत होगी। अभी कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती है। मीन तथा कर्क राशि पर ढैय्या चल रही है।

अब 19 मई से एक अगस्त तक शनि कन्या राशि में रहेगा। इसकारण सिंह, कन्या, तुला राशि पर साढेसाती हो जाएगी।

मिथुन एवं कुंभ राशि पर पुन: ढैय्या का प्रभाव रहेगा। वृश्चिक, कर्क एवं मीन राशि शनि के सीधे प्रभाव से मुक्त हो जाएगी।

ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री अनुसार इन पांच राशियों पर शनि का सीधा असर रहेगा-

सिंह राशि के लिए —-यह स्थिति लाभकारी रहेगी।

कन्या राशि के लिए—इस राशी के लोगों को इस दौरान मिश्रित फल प्राप्त होंगे।

तुला राशि के लिए—इस राशी के लोगों को परिश्रम से लाभ प्राप्त होगा।

मिथुन राशि के लिए—इस राशी वालों को सम्मान मिलेगा और यात्राएं करवाएगा।

कुंभ राशि के लिए—इस राशी वालों को धन प्राप्ति तथा जमीन से लाभ प्राप्त होगा।

स्वामी विशाल चैतन्य (पंडित दयानन्द शास्त्री )
Mob.–
—09411190067(UTTARAKHAND);;
—09024390067(RAJASTHAN);;
— 09711060179(DELHI);;

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