वास्तु अनुसार ऐसे और यहाँ पर रखिये जरुरी सामान—-

वास्तु शास्त्र जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाए रखने के लिए अचूक उपाय बताता है। इसी वजह से इन दिनों वास्तु का क्रेज बढ़ता जा रहा है। सभी अपने घरों में वास्तु के अनुसार बताए गए टिप्स का उपयोग करते हैं। सभी वस्तुओं के साथ ही घर में पैसा, सोना-चांदी आदि रखने के लिए भी विशेष स्थान बताया गया है। पैसा और ज्वेलरी को कुबेर देव के स्थान पर रखना बेहद फायदेमंद रहता है। कुबेर देव का स्थान उत्तर दिशा में माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कुबेर देव का वास उत्तर दिशा में बताया गया है। साथ ही कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष भी माना जाता है। अत: वे धन के रक्षक भी हैं। इसी वजह से इनके स्थान में हमारा धन रखने से वह सुरक्षित रहता है।

सूर्य की ऊर्जा को अधिक समय तक भवन में प्रभाव बनाए रखने के लिए ही दक्षिण और पश्चिम भाग की अपेक्षा पूर्व एवं उत्तर के भवन निर्माण तथा उसकी सतह को नीचा रखे जाने का प्रयास किया जाता है। प्रात:कालीन सूर्य रशिमयों में अल्ट्रा वॉयलेट रशिमयों से ज्यादा विटामिन ”डी” तथा विटामिन ”एफ” रहता है। वास्तु शास्त्र में भवन का पूर्वी एवं उत्तरी क्षेत्र खुला रखने का मुख्य कारण यही है कि प्रात:कालीन सूर्य रशिमयों आसानी से भवन में प्रविष्ट हो सकें। इसी प्रकार दक्षिण और पश्चिम के भवन क्षेत्र को ऊचां रखने या मोटी दीवार बनाने के पीछे भी वास्तु शास्त्र का एक वैज्ञानिक तथ्य है। क्योकि जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दक्षिण दिशा में करती है तो उस समय पृथ्वी विशेष कोणीय स्थिति लिए होती है। अतएव इस भाग में अधिक भार होने से सन्तुलन बना रहता है और सूर्य के अति ताप से बचा जा सकता है। इस प्रकार इस भाग में गर्मियों में ठण्डक और सर्दियों में गरमाहट बनी रहती है।

खिड़कियों और दरवाजें के बारे में भी वास्तु शास्त्र वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखता है। इसलिए भवन के दक्षिण या पश्चिम भाग में पूर्व या उत्तर की अपेक्षा छोटे एवे कम दरवाजे खिड़कियाँ रखने के लिए कहा जाता है, ताकि गर्मियों में इस क्षेत्र में कमरों में ठण्डक तथा सर्दियों में गरमाहट महसूस की जा सके।

वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर को आगनेय यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए। इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि इस क्षेत्र में पूर्व से विटामिन युक्त प्रात:कालीन सूर्य की रशिमयों तथा दक्षिण से शुद्ध वायु का प्रवेश होता है, क्योंकि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दक्षिणायन की ओर करती है। अत: इस कोण की स्थिति के कारण भवन के इस भाग को विटामिन ”डी” एवं विटामिन ”एफ” से युक्त अल्ट्रा वॉयलेट किरणें अधिक समय तक मिलती हैं। इससे रसोईघर में रखी खाद्य सामग्री लम्बे समय तक शुद्ध रहती है।

वास्तु शास्त्र पूजाघर या आराधना स्थल को उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में बनाने के लिए भी वैज्ञानिक तथ्य देता है। पूजा के समय हमारे शरीर पर अपेक्षाकृत कम वस्त्र या पतले वस्त्र होते हैं, ताकि प्रात:कालीन सूर्य रशिमयों के माध्यम से विटामिन ‘डी` हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से प्रविष्ट हो सके। उत्तरी क्षेत्र में हमें पृथ्वी की चुम्बकीय ऊर्जा का अनुकूल प्रभाव प्राप्त होता है। इस क्षेत्र को सबसे अधिक पवित्र माना गया है, क्योंकि इसके द्धारा अंतरिक्ष से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है। यही मुख्य कारण है कि मंदिरों एवं साधना स्थलों के प्रवेश द्वार इन्हीं दिशाओं में बनाए जाते हैं।

हमारे वायुमण्डल में .. प्रकार के मैग्नेटिक फील्ड पाए जाते हैं वैज्ञानिकों के मतानुसार, इनमें से चार प्रकार के मैग्नेटिक फील्ड हमारी शारीरिक गतिविधियों को ऊर्जा प्रदान करने में अत्यंत सहायक होते हैं। वास्तु शास्त्र ने भी अपने क्रिया-कलापों में इनकी व्यापक सहायता ली है।

हमारे घरों पर कई तरह के दस्तावेज और जरूरी कागजात में होते है जिन्हे हम अपनी सुविधानुसार संभालकर रखते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हर एक जरूरी कागज या दस्तावेज का हमारे अतीत, वर्तमान या भविष्य से एक महत्वपूर्ण रिश्ता होता है-
* विभिन्न प्रकार के प्रशंसा पत्र, बच्चों के मेरिट सर्टिफिकेट आदि को हमेशा अपने घर के ड्राइंग रूम, लॉबी या स्टडी रूम की उत्तर दिशा में रखना चाहिए। फेंगशुई के अनुसार इस प्रकार के सर्टिफिकेट या प्रशंसा पत्रों में लगातार वृद्धि होगी, जिससे समाज में आपकी स्थिति सम्मानजनक होगी ही। साथ ही बच्चे भी अपनी कक्षा या रुचि के क्षेत्र में नाम कमाएंगे।
* प्रॉपर्टी से संबंधित कागजात दो प्रकार के हो सकते है- एक तो ऐसी प्रॉपर्टी के पेपर जिन्हे हम अपने पास रखना चाहते हैं। ऐसी संपत्ति के कागजातों को सदैव घर की दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में पूर्व या उत्तर मुखी आलमारी या सेफ आदि में रखना चाहिए। स्थायित्व की द्योतक ये दिशाएं हमारी संपत्ति को सहेज कर रखने में मददगार सिद्ध होंगी। दूसरे मकान या प्लॉट से जुड़े ऐसे कागजात जिन्हे हम बेचकर उसके पैसे को किसी और निर्माणकारी कार्य या बिजनेस आदि में लगाना चाहते है। इस प्रकार के कागजातों को मकान की अस्थिर दिशा यानी उत्तर एवं पश्चिम दोनों दिशाओं के मिलान से उत्पन्न वायव्य दिशा में बनी अलमारी, संदूक या सेफ में रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि इन अलमारियों का मुख पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में ही रहे। विपरीत दिशा में अलमारियों का मुख होने से प्रॉपर्टी के नुकसान देकर बिकने की संभावना बढ़ सकती है।
* धन के लेन-देन से संबंधित कागज-पत्र, फाइलें, चेकबुक, क्रेडिट कार्ड, एफडी आदि को उत्तर दिशा में बने किसी सुरक्षित कमरे की दक्षिण दिशा के साथ बनी उत्तरमुखी अलमारी, कप बोर्ड, शेल्फ या कैबिनेट में ही रखें, जिससे कि हमारे धन पर सदा कुबेर की कृपा बनी रहे। उत्तर दिशा में धन के स्वामी कुबेर का वास होता है, ऐसा वास्तु शास्त्र में बताया गया है। अत: धन से संबंधित कागजों की कोई भी अलमारी दक्षिण या पश्चिम दिशाओं में मुख किए हुए न हो।
* यदि आप चाहती है कि कोर्ट से संबंधित केस या मुकदमे जल्द से जल्द निबट जाएं व फैसला आपके पक्ष में ही हो, तो ऐसे कागजों व फाइलों को मकान की पश्चिमोत्तर दिशा में बनी पूर्व या उत्तर-मुखी अलमारी में ही रखें। इन्हे दक्षिण-पश्चिम दिशा के नैऋत्य कोण में कभी न रखें अन्यथा केस लंबा समय ले सकता है।
* स्मरण रहे कि कभी भी धन या संपत्ति से संबंधित कागजात व मुकदमे से संबंधित फाइलें एक साथ मिलाकर एक ही अलमारी या बॉक्स में न रखे जाएं।
* शुभ-सूचक कागजात, जन्म-कुंडलियां, विवाह से संबंधित कार्ड और मधुर यादों से संजोए पत्र, धार्मिक संस्थाओं द्य सामाजिक संस्थानों द्वारा दिए गए सम्मान-पत्र आदि को सदा पश्चिमी दीवार पर बनी किसी पूर्वमुखी अलमारी में रखें।
* पत्र-पत्रिकाओं की प्रेरणादायक कटिंग, कोलाज, रोचक स्तंभ, कुकिंग, बुनाई-कढ़ाई, ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण पत्रिका आदि का संग्रह हमेशा मकान की पूर्व या उत्तर दिशा के किसी कमरे या घरेलू लाइब्रेरी में इस प्रकार करना चाहिए कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें देखना सुगम हो। ऐसी अलमारियां उस कमरे की दक्षिणी या पश्चिमी दीवारों पर बनी होनी चाहिए।
* मन को उद्विग्न करने वाले दस्तावेज, पत्र या किसी के नाराजगी, क्रोध, शिकवे-शिकायतों व आलोचनाओं से भरे पत्राचार से संबंधित कागजों को यथासंभव नष्ट करते रहना ही उचित है। उन्हे रखे रहना नुकसानदेह ही होता है।
* विभिन्न सुअवसरों पर या धार्मिक या सामाजिक त्योहारों पर आदान-प्रदान किए जाने वाले ग्रीटिंग काड्र्स के कोलाज आदि को किचन एवं टॉयलेट को छोड़कर किसी भी कमरे, स्थान, लॉबी या ड्राइंग रूम आदि में संजोया जा सकता है।
सभी अपने घर में कैश यानि नकद रुपए और ज्वेलरी अवश्य ही रखते हैं और इन्हें अलग से सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है। वास्तु में इनके लिए सबसे सुरक्षित और शुभ स्थान बताया गया है। इस जगह ज्वेलरी और पैसा रखने से घर में बरकत बनी रहती है और धन की कमी नहीं रहती।
घर में पैसा और ज्वेलरी रखने के लिए उत्तर दिशा में ही तिजोरी या लॉकर बनवाना चाहिए। तिजोरी में कुबेर देव की प्रतिमा या फोटो भी लगा सकते हैं। यह आपके धन को सुरक्षित रखते हुए घर में बरकत बनाए रखेगा।
जिस व्यक्ति के घर का सामान हमेशा बिखरा रहता है उसे कई मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक तनाव, परेशानियां झेलना पड़ती है। फेंगशुई और वास्तु की मान्यता है कि घर का सामान हमेशा व्यवस्थित और साफ-स्वच्छ होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार कमरे में बिखरी वस्तुएं सबसे अधिक नेगेटिव प्रभाव देती है। बिखरा सामान घर की सभी पॉजीटिव एनर्जी को नष्ट कर देता है। बुरे प्रभाव को बढ़ा देता है। इसका प्रभाव घर में रहने वाले सभी सदस्यों के रिश्ते पर भी पड़ता है। बिखरे सामान की तरह रिश्ते भी बिखर जाते हैं, सभी को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। मन-मुटाव बढ़ जाता है। साथ ही परिवार में धन संबंधी परेशानियां भी खड़ी हो जाती हैं। जिस घर का सामान व्यवस्थित नहीं होता वहां से धन की देवी महालक्ष्मी चली जाती है और दरिद्रता अपने पैर पसार लेती है। ऐसे घर में निर्धनता बढ़ती है। इससे हमारे स्वास्थ्य को भी कई के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है। घर में धूल-मिट्टी और गंदगी बढ़ जाती है।
वास्तु के अनुसार कमरे में रखी गयी सभी चीजें अच्छे से रखना चाहिए जिससे घर की सुंदरता बढ़े। जहां घर को अच्छे से सजाकर रखा जाता है वहां सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। धन संबंधी समस्याएं भी वहां नहीं आती। परिवार के सभी सदस्यों के रिश्तों में प्रेम बढ़ता है।

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