जानिए क्यों और कैसे वास्तु दोष भी बन सकता है कैंसर का कारण—
प्रिय पाठकों/मित्रों, वास्तुशास्त्र में दिशाओं को बहुत महत्व दिया गया है। दिशाओं को ध्यान में रखकर ही वास्तु का निर्धारण किया जाता है। माना जाता है कि पूर्व दिशा ऊंची हो तो घर में दरिद्रता एवं अशांति का वास होता है। मकान मालिक दरिद्र बन जाता है और संतान अस्वस्थ तथा मंदबुद्धि होती है। अगर पूर्व दिशा के वास्तु का ध्यान न रखा जाए तो निम्न परेशानियां हो सकती हैं…..।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा में खाली जगह रखे बिना निर्माण करने पर या तो पुत्र, संतान की कमी होती है या संतान विकलांग जन्म लेती है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि पूर्व दिशा में गंदगी, कचरा होने पर धनहानि की घटनाएं ज्यादा घटती है। यदि मिट्टी के टीले हो तो धन एवं संतान की हानि होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा में निर्मित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेयमुखी हो तो दरिद्रता, अदालती चक्कर, चोरी का भय बना रहता है। पूर्व दिशा का शयन कक्ष होने पर घर का मुखिया चिंतित व अशांत रहने लगता है। यदि पूर्व दिशा में रसोईघर हो तो घर परिवार व मुखिया की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। पूर्व में शयन कक्ष व उसमें पूजा घर हो तो पति-पत्नि में मतभेद, अशांति व विवाद रहता है।
प्रिय पाठकों/मित्रों, आजकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी सामान्य रूप से सुनने को मिलती है। कैंसर कई कारणों की वजह से होता है। गलत खानपान या फिर लाइफस्टाइल की वजह से भी कैंसर होता है। विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी कैंसर से जुड़ी कई बातों को बताता है।वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि वास्तु शास्त्र में दिशाओं के लेकर कुछ दोष बताए गए है जो कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है। आज हम आपको एेसे ही कुछ वास्तु दोष के बारे में बताने जा रहे है जिससे कैंसर होता है। विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी कैंसर से जुड़ी कई बातों को बताता है. वास्तु शास्त्र में दिशाओं के लेकर कुछ दोष बताए गए है जो कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है |वास्तु शास्त्र के अनुसार एक व्यक्ति जिस घर में निवास कर रहा है, वहां की दिशाएं ही उसे कैंसर देने के लिए जिम्मेदार हैं। दरअसल घर की दिशाओं का गलत प्रयोग ही उसके लिए कैंसर जैसी परेशानी लाता है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि आप वास्तु शास्त्र की विधा को गहराई से समझ लें, तो यह पाएंगे कि हमारे जीवन की कई सारी परेशानियां इसी से ठीक की जा सकती हैं. क्योंकि संकट कैसा भी हो, वास्तु शास्त्र हमें उसके संकेत देता है. हमारे घर, ऑफिस या आसपास की कौन सी वस्तुएं या कैसी ऊर्जा हमें परेशान कर रही है, इस सबकी जानकारी देता है हमें वास्तु शास्त्र। इतना ही नहीं, हमारे रिश्तों में आ रही तरकार को भी वास्तु शास्त्र भांप लेता है. विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी केंसर की बीमारी से जुड़ी कुछ ख़ास बात बताता है. वास्तु शास्त्र में दिशाओं के कुल 6 ऐसे दोष बताए गए है, जो व्यक्ति को कैंसर जैसे जानलेवा रोग देने के लिए ज़िम्मेदार है |
विकास और सुख–साधनों की बढ़ती भरमार ने जहाँ मनुष्य के जीवन को कई मायने में आसान बनाया है, वहीं उन्हीं सुविधाओं के कारण बहुत सी ऐसी तकलीफे भी मानव शरीर को दबे पाँव आकर जकड़ लेती है, जिनका असर भले ही देर से पता लगे लेकिन वह जीवन भर के लिए जुड़ जाती है। कैंसर भी एक ऐसा ही रोग है जो या तो व्यक्ति के जीवन के साथ ही समाप्त होता है अथवा लम्बे उपचार के बाद भी रोगी व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता।वर्तमान में बन रहे घरों की बनावट पुराने जमाने की तरह आयताकार ना होकर अनियमित आकार की हो रही है, जिसमें घर का कोई कोना दबा होता है तो कोई कोना बाहर निकाला होता है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि आपके घर का कोई भाग ऊंचा तो कोई भाग नीचा रह जाता है। ऐसे अनियमित बनावट के कारण घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इसी कारण घर में रहने वाले लोगों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे रोगों में कैंसर रोग भी शामिल है।इसी प्रकार वास्तुदोष निवारण बिमारियों में एक तरह से परहेज की तरह काम कर बीमारी को बढ़ने से रोकने में सहायक होता है और मरीज पर ईलाज और दवाईयाँ भी अपना अच्छा प्रभाव देने लगती है । इससे मरीज को आयु में वृद्धि होती है। अत: जिन घरों में कोई कैंसर का मरीज है उन्हें अपने घर के वास्तु दोषों को दूर करवाना चाहिए ताकि मरीज अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सके वहीं जिन घरों में पहले से ही इन वास्तुदोषों का निवारण करा लिया जाये तो कैंसर जैसे रोग से बचा भी जा सकता है।
वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के इस दौर में क्या किसी व्यक्ति के घर का वास्तु भी उसके परिवार को कैंसर जैसे रोग से ग्रसित कर सकता है ? अथवा वहीं उचित वस्तु क्या उस परिवार को कैंसर जैसे रोग से बचा सकता है। इस विषय पर मैंने (वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने) अपने वर्षों के अध्यन्न में यह पाया है कि जिन घरों में कैंसर के मरीज हैं उनके घर के अन्दर एक साथ दो या दो से अधिक वास्तुदोष घर के दक्षिण—पश्चिम या नैऋत्य कोण में होते हैं। ईशान कोण में वास्तुदोष किसी भी प्रकार का हो सकता है |
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि जिन लोगों को कैंसर होते हैं उनके घर में कम से काम दो वास्तु दोष जरूर होते हैं। इनमें एक वास्तुदोष ईशान कोण वाले भाग में जरूर होता है, जैसे- घर का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या जरुरत से ज्यादा ईशान कोण का बढ़ा हुआ होना या घर की अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण का ऊँचा होना शामिल है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार शरीर के किस में कैंसर होगा यह निर्भर करता है घर के दूसरे वास्तुदोष पर जो कि, घर के दक्षिण पश्चिम दिशा या आग्नेय, वायव्य और नैऋत्य कोण में कहीं होता है।
जैसे— चार दीवारी एवं भवन का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या अन्य दिशाओं की तुलना में ऊंचा होना टॉयलेट का होना आदि।
मैंने (वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने ) कैंसर से पीड़ित कई लोगों का वास्तु विश्लेषण किया है और उन घरों में विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष पाये हैं जो विभिन्न प्रकार के कैंसर के कारण बनते हैं । वे इस प्रकार हैं —
—-ईशान कोण और पश्चिम नैऋत्य में वास्तु दोष होने से आँत का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचे या बढ़ा हुआ होने पर होता है।
किसी भी घर में यदि कैंसर का मरीज हो तो मेरी यह सलाह है कि मरीज का योग्य डॉक्टर से उचित इलाज अवश्य करवाते रहें। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें, परन्तु साथ ही किसी योग्य वास्तु कंसलटेन्ट को बुलाकर मकान को अवश्य दिखलायें ताकि, मकान में जो वास्तु दोष है उन्हें दूर कर उससे होने वाले कुप्रभाव को समाप्त किया जा सके और वास्तु दोष दूर होने से उस मरीज की बीमारी बढ़ना रूक जायेगी और मरीज को राहत मिलेगी। किसी भी असाध्य रोग के मरीज के लिए अपने निवास स्थान के वास्तुदोष को दूर करना उसी प्रकार लाभदायक रहता है जैसे— डायबिटिज के मरीज को डायबिटिज कन्ट्रोल करने के लिए दवाइयाँ तो लेनी ही पड़ती है पर साथ में विशेष रूप से परहेज में उसे मीठा खाने से रोका जाता है ताकि ब्लड शुगर और न बढ़े।
–—ब्रेन कैंसर :— वायव्य, उत्तर, ईशान व पूर्व दिशा का ऊंचा होना एवं आग्रेय, दक्षिण, नैऋत्य पश्चिम में भूमिगत पानी का स्रोत होना या नीचा होना या बढ़ा हुआ होना, इसका कारण बनता है।
—-ब्लड कैंसर — ईशान कोण दूषित होना, नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत जैसे टंकी, बोर,कुओं इत्यादि का होना या नीचा होना व अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण ऊंचा होने पर होता है।
—-पेट का कैंसर— ईशान कोण दूषित होना पश्चिम और, पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, यही भाग किसी भी प्रकार ईशान कोण की तुला में नीचा या बढ़ा हुआ होने पर हुआ होने पर होता है।
—-किड़नी का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना, पश्चिम और नैऋत्य कोण में पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा होने पर ।
—गर्भाशय (यूट्रस) का कैंसर—महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर तब होता है जबकि घर के दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होता है। इसके अलावा दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य का भाग किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होता है।इसका कारण ईशान कोण दूषित होना भी हो सकता हैं |
—-छाती एवं फैफड़े का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना या उत्तर एवं उत्तर वायव्य का बंद होना पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होने पर ।
—-सिर, गले व मुंह का कैंसर :— आवश्यकता से अधिक ऊँचा और बढ़ा हुआ ईशान कोण होना एवं पश्चिम अधिक नीचा होने पर ।
इन सब दोषों व रोगों से बचने के लिए किसी विद्वान वास्तु विशेषज्ञ की सलाह तथा उपाय अवश्य करने चाहिए ई
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जानिए कैसे मिट जाते है “नीम से” सब वास्तु दोष—
वास्तु शास्त्र इसके रचयिता भगवान विश्वकर्मा की मानव को अभूतपूर्व देन है. ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है. किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है।
ये छोटे छोटे उपाय आपको और आपके परिवार को बीमारियों से दूर रखेंगे…
./ घर में सुबह-शाम कर्पूर और लौंग जलाएं। पूजा करने के बाद घर में कर्पूर और लौंग जलाकर आरती लें और घर में इसका धुंआ फैलाएं। लौंग आयुर्वेदिक गुणों की खान है। जब हम लौंग और कपूर को साथ में जलाते हैं तो लौंग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट घर के वातावरण के साथ मिलती है और वायु द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करती है जो दिमाग को शांत रखने में मदद करता है।
./ हमेशा सप्ताह में एक बार पूरे घर की सफाई करें। बिस्तर और चादर रोजाना झाड़ें। इससे घर में गंदगी नहीं रहती और बीमारियों के फैलने का डर खत्म हो जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार रोजाना घर साफ करने से घर की सारी नकरात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
./ नीम एक प्राकृतिक औषधि है जो कई सारी बीमारियों को खत्म करने का काम करती है। ये शरीर में उपस्थित यह कैंसर-कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती है। लेकिन नीम खाने में बहुत कड़वा होता है। ऐसे में नीम की पत्तियों को अगर आप खा नहीं सकते तो सप्ताह में दो बार नीम की पत्तियां जलाकर घर में धुंआ करें। इससे घर के सारे जीवाणु भी नष्ट हो जाएंगे और वास्तुदोष भी चल जाएगा।
प्रिय पाठकों/मित्रों, वास्तुशास्त्र में दिशाओं को बहुत महत्व दिया गया है। दिशाओं को ध्यान में रखकर ही वास्तु का निर्धारण किया जाता है। माना जाता है कि पूर्व दिशा ऊंची हो तो घर में दरिद्रता एवं अशांति का वास होता है। मकान मालिक दरिद्र बन जाता है और संतान अस्वस्थ तथा मंदबुद्धि होती है। अगर पूर्व दिशा के वास्तु का ध्यान न रखा जाए तो निम्न परेशानियां हो सकती हैं…..।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा में खाली जगह रखे बिना निर्माण करने पर या तो पुत्र, संतान की कमी होती है या संतान विकलांग जन्म लेती है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि पूर्व दिशा में गंदगी, कचरा होने पर धनहानि की घटनाएं ज्यादा घटती है। यदि मिट्टी के टीले हो तो धन एवं संतान की हानि होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा में निर्मित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेयमुखी हो तो दरिद्रता, अदालती चक्कर, चोरी का भय बना रहता है। पूर्व दिशा का शयन कक्ष होने पर घर का मुखिया चिंतित व अशांत रहने लगता है। यदि पूर्व दिशा में रसोईघर हो तो घर परिवार व मुखिया की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। पूर्व में शयन कक्ष व उसमें पूजा घर हो तो पति-पत्नि में मतभेद, अशांति व विवाद रहता है।
प्रिय पाठकों/मित्रों, आजकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी सामान्य रूप से सुनने को मिलती है। कैंसर कई कारणों की वजह से होता है। गलत खानपान या फिर लाइफस्टाइल की वजह से भी कैंसर होता है। विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी कैंसर से जुड़ी कई बातों को बताता है।वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि वास्तु शास्त्र में दिशाओं के लेकर कुछ दोष बताए गए है जो कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है। आज हम आपको एेसे ही कुछ वास्तु दोष के बारे में बताने जा रहे है जिससे कैंसर होता है। विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी कैंसर से जुड़ी कई बातों को बताता है. वास्तु शास्त्र में दिशाओं के लेकर कुछ दोष बताए गए है जो कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है |वास्तु शास्त्र के अनुसार एक व्यक्ति जिस घर में निवास कर रहा है, वहां की दिशाएं ही उसे कैंसर देने के लिए जिम्मेदार हैं। दरअसल घर की दिशाओं का गलत प्रयोग ही उसके लिए कैंसर जैसी परेशानी लाता है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि आप वास्तु शास्त्र की विधा को गहराई से समझ लें, तो यह पाएंगे कि हमारे जीवन की कई सारी परेशानियां इसी से ठीक की जा सकती हैं. क्योंकि संकट कैसा भी हो, वास्तु शास्त्र हमें उसके संकेत देता है. हमारे घर, ऑफिस या आसपास की कौन सी वस्तुएं या कैसी ऊर्जा हमें परेशान कर रही है, इस सबकी जानकारी देता है हमें वास्तु शास्त्र। इतना ही नहीं, हमारे रिश्तों में आ रही तरकार को भी वास्तु शास्त्र भांप लेता है. विज्ञान के साथ ही वास्तु शास्त्र भी केंसर की बीमारी से जुड़ी कुछ ख़ास बात बताता है. वास्तु शास्त्र में दिशाओं के कुल 6 ऐसे दोष बताए गए है, जो व्यक्ति को कैंसर जैसे जानलेवा रोग देने के लिए ज़िम्मेदार है |
विकास और सुख–साधनों की बढ़ती भरमार ने जहाँ मनुष्य के जीवन को कई मायने में आसान बनाया है, वहीं उन्हीं सुविधाओं के कारण बहुत सी ऐसी तकलीफे भी मानव शरीर को दबे पाँव आकर जकड़ लेती है, जिनका असर भले ही देर से पता लगे लेकिन वह जीवन भर के लिए जुड़ जाती है। कैंसर भी एक ऐसा ही रोग है जो या तो व्यक्ति के जीवन के साथ ही समाप्त होता है अथवा लम्बे उपचार के बाद भी रोगी व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता।वर्तमान में बन रहे घरों की बनावट पुराने जमाने की तरह आयताकार ना होकर अनियमित आकार की हो रही है, जिसमें घर का कोई कोना दबा होता है तो कोई कोना बाहर निकाला होता है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि आपके घर का कोई भाग ऊंचा तो कोई भाग नीचा रह जाता है। ऐसे अनियमित बनावट के कारण घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इसी कारण घर में रहने वाले लोगों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे रोगों में कैंसर रोग भी शामिल है।इसी प्रकार वास्तुदोष निवारण बिमारियों में एक तरह से परहेज की तरह काम कर बीमारी को बढ़ने से रोकने में सहायक होता है और मरीज पर ईलाज और दवाईयाँ भी अपना अच्छा प्रभाव देने लगती है । इससे मरीज को आयु में वृद्धि होती है। अत: जिन घरों में कोई कैंसर का मरीज है उन्हें अपने घर के वास्तु दोषों को दूर करवाना चाहिए ताकि मरीज अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सके वहीं जिन घरों में पहले से ही इन वास्तुदोषों का निवारण करा लिया जाये तो कैंसर जैसे रोग से बचा भी जा सकता है।
वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के इस दौर में क्या किसी व्यक्ति के घर का वास्तु भी उसके परिवार को कैंसर जैसे रोग से ग्रसित कर सकता है ? अथवा वहीं उचित वस्तु क्या उस परिवार को कैंसर जैसे रोग से बचा सकता है। इस विषय पर मैंने (वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने) अपने वर्षों के अध्यन्न में यह पाया है कि जिन घरों में कैंसर के मरीज हैं उनके घर के अन्दर एक साथ दो या दो से अधिक वास्तुदोष घर के दक्षिण—पश्चिम या नैऋत्य कोण में होते हैं। ईशान कोण में वास्तुदोष किसी भी प्रकार का हो सकता है |
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि जिन लोगों को कैंसर होते हैं उनके घर में कम से काम दो वास्तु दोष जरूर होते हैं। इनमें एक वास्तुदोष ईशान कोण वाले भाग में जरूर होता है, जैसे- घर का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या जरुरत से ज्यादा ईशान कोण का बढ़ा हुआ होना या घर की अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण का ऊँचा होना शामिल है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार शरीर के किस में कैंसर होगा यह निर्भर करता है घर के दूसरे वास्तुदोष पर जो कि, घर के दक्षिण पश्चिम दिशा या आग्नेय, वायव्य और नैऋत्य कोण में कहीं होता है।
जैसे— चार दीवारी एवं भवन का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या अन्य दिशाओं की तुलना में ऊंचा होना टॉयलेट का होना आदि।
मैंने (वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने ) कैंसर से पीड़ित कई लोगों का वास्तु विश्लेषण किया है और उन घरों में विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष पाये हैं जो विभिन्न प्रकार के कैंसर के कारण बनते हैं । वे इस प्रकार हैं —
—-ईशान कोण और पश्चिम नैऋत्य में वास्तु दोष होने से आँत का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचे या बढ़ा हुआ होने पर होता है।
किसी भी घर में यदि कैंसर का मरीज हो तो मेरी यह सलाह है कि मरीज का योग्य डॉक्टर से उचित इलाज अवश्य करवाते रहें। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें, परन्तु साथ ही किसी योग्य वास्तु कंसलटेन्ट को बुलाकर मकान को अवश्य दिखलायें ताकि, मकान में जो वास्तु दोष है उन्हें दूर कर उससे होने वाले कुप्रभाव को समाप्त किया जा सके और वास्तु दोष दूर होने से उस मरीज की बीमारी बढ़ना रूक जायेगी और मरीज को राहत मिलेगी। किसी भी असाध्य रोग के मरीज के लिए अपने निवास स्थान के वास्तुदोष को दूर करना उसी प्रकार लाभदायक रहता है जैसे— डायबिटिज के मरीज को डायबिटिज कन्ट्रोल करने के लिए दवाइयाँ तो लेनी ही पड़ती है पर साथ में विशेष रूप से परहेज में उसे मीठा खाने से रोका जाता है ताकि ब्लड शुगर और न बढ़े।
–—ब्रेन कैंसर :— वायव्य, उत्तर, ईशान व पूर्व दिशा का ऊंचा होना एवं आग्रेय, दक्षिण, नैऋत्य पश्चिम में भूमिगत पानी का स्रोत होना या नीचा होना या बढ़ा हुआ होना, इसका कारण बनता है।
—-ब्लड कैंसर — ईशान कोण दूषित होना, नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत जैसे टंकी, बोर,कुओं इत्यादि का होना या नीचा होना व अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण ऊंचा होने पर होता है।
—-पेट का कैंसर— ईशान कोण दूषित होना पश्चिम और, पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, यही भाग किसी भी प्रकार ईशान कोण की तुला में नीचा या बढ़ा हुआ होने पर हुआ होने पर होता है।
—-किड़नी का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना, पश्चिम और नैऋत्य कोण में पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा होने पर ।
—गर्भाशय (यूट्रस) का कैंसर—महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर तब होता है जबकि घर के दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होता है। इसके अलावा दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य का भाग किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होता है।इसका कारण ईशान कोण दूषित होना भी हो सकता हैं |
—-छाती एवं फैफड़े का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना या उत्तर एवं उत्तर वायव्य का बंद होना पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होने पर ।
—-सिर, गले व मुंह का कैंसर :— आवश्यकता से अधिक ऊँचा और बढ़ा हुआ ईशान कोण होना एवं पश्चिम अधिक नीचा होने पर ।
इन सब दोषों व रोगों से बचने के लिए किसी विद्वान वास्तु विशेषज्ञ की सलाह तथा उपाय अवश्य करने चाहिए ई
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जानिए कैसे मिट जाते है “नीम से” सब वास्तु दोष—
वास्तु शास्त्र इसके रचयिता भगवान विश्वकर्मा की मानव को अभूतपूर्व देन है. ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है. किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है।
ये छोटे छोटे उपाय आपको और आपके परिवार को बीमारियों से दूर रखेंगे…
./ घर में सुबह-शाम कर्पूर और लौंग जलाएं। पूजा करने के बाद घर में कर्पूर और लौंग जलाकर आरती लें और घर में इसका धुंआ फैलाएं। लौंग आयुर्वेदिक गुणों की खान है। जब हम लौंग और कपूर को साथ में जलाते हैं तो लौंग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट घर के वातावरण के साथ मिलती है और वायु द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करती है जो दिमाग को शांत रखने में मदद करता है।
./ हमेशा सप्ताह में एक बार पूरे घर की सफाई करें। बिस्तर और चादर रोजाना झाड़ें। इससे घर में गंदगी नहीं रहती और बीमारियों के फैलने का डर खत्म हो जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार रोजाना घर साफ करने से घर की सारी नकरात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
./ नीम एक प्राकृतिक औषधि है जो कई सारी बीमारियों को खत्म करने का काम करती है। ये शरीर में उपस्थित यह कैंसर-कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती है। लेकिन नीम खाने में बहुत कड़वा होता है। ऐसे में नीम की पत्तियों को अगर आप खा नहीं सकते तो सप्ताह में दो बार नीम की पत्तियां जलाकर घर में धुंआ करें। इससे घर के सारे जीवाणु भी नष्ट हो जाएंगे और वास्तुदोष भी चल जाएगा।