क्या करें यदि आपके घर के आसपास श्मशान हो तो (वास्तु शास्त्र के अनुसार)–
प्रिय पाठकों/मित्रों, हिन्दू शास्त्रों में से एक वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाते समय केवल डिजाइन या रंग ही नहीं, दिशाओं का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि गलत दिशाएं घर में वास्तु दोष उत्पन्न कर, घर की खुशियां छीन लेती हैं। इसलिए घर के मुख्य दरवाजे की दिशा से लेकर बेडरूम और रसोईघर-बाथरूम किस दिशा में हो इसका ध्यान रखें। सीढ़ियों एवं खिड़कियों की दिशा का सही होना भी बेहद आवश्यक है।
वास्तु शास्त्र वास्तु दोष मुक्त घर बनाने के लिए पूर्ण नक्शा देने में सक्षम है। लेकिन इसके अलावा किस जमीन पर घर बनाना सही रहेगा, यह भी वास्तु शास्त्र के निर्देशों में से अहम निर्देश है। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक गलत जमीन पर घर या ऑफिस भी बना लेने से पूरी इमारत वास्तु दोष से भर जाती है। ऐसे घर के सदस्यों में मानसिक परेशानियां और आपसी झगड़े रहते हैं। वास्तु दोष से युक्त जमीन पर ऑफिस बना लेने से व्यापार चलने से पहले ही ठप पड़ जाता है।
इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार यह आवश्यक है कि घर या ऑफिस बनाने से पहले, जमीन का वास्तु भांप लिया जाए। कहीं जमीन वास्तु दोष से पूर्ण तो नहीं? कहीं उसके आसपास कोई ऐसी जगह तो नहीं जो वास्तु दोष युक्त हो? जहां घर बनाने जा रहे हैं कहीं उसके नीचे कभी श्मशान तो नहीं होता था?
जी हां… श्मशान… वास्तु शास्त्र के अनुसार श्मशान वाली जमीन के ऊपर या उसके आसपास भी मकान बनाना, खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। ऐसा घर कभी भी खुशहाल नहीं बन सकता। लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है, वास्तु शास्त्र में जीवन की हर मुश्किल का हल है। किसी जगह या घर में वास्तु दोष है या नहीं इसे जांचने की और फिर उसका उपाय भी खोज निकालने में सक्षम है यह वास्तु शास्त्र का विज्ञान।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक भूखंड, यानी कि आपकी जमीन का वास्तु दोषों से मुक्त होना बेहद जरूरी है। भूखंड के आसपास भी कोई ऐसी वस्तु नहीं होनी चाहिए, जो नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हो। ये चीजें घर को अशुभ प्रभाव देती हैं। वास्तु शास्त्र में घर के समीप श्मशान का होना भयंकर दोष माना गया है। जन्म लेना और फिर मृत्यु को प्राप्त होना, यह जीवन का अटल सत्य है। सभी को इस दौर से गुजरना ही है, किंतु मृत्यु का नाम तक लेना मनुष्य को असंतुलित कर देता है।
मृत्यु या इससे जुड़ी कोई भी चीज व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक यदि श्मशान के आसपास भी घर बना लिया जाए, तो कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। सबसे पहली बात यह कि श्मशान से हर पल नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो किसी को भी मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है। घर के समीप श्मशान की स्थिति घर में रहने वाले सदस्यों में डर एवं भय का संचार करती है। यह भय मनुष्य की बुद्धि को असंतुलित कर देता है जिसके प्रभाव से मनुष्य का आत्मविश्वास बाधित होता है। ऐसे घर में रहने वाले सदस्यों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं की श्मशान के पास घर होने से प्रतिदिन शव देखने के कारण मनुष्य में शोक का संचार रहेगा। शोक से हृदय में नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। शोक का एहसास बार-बार होने से मनुष्य के अंदर वैराग्य की भावना भी जन्म ले सकती है। घर के अंदर इस प्रकार की भावना के संचार से तथा प्रतिदिन रोते लोगों को देखने से घर में रहने वाले बच्चों के बालसुलभ मन पर प्रभाव पड़ सकता है। इतना ही नहीं, ऐसे घर में रहने वाले बच्चों में कई प्रकार की शंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों का विकास बाधित होता है, जिस उम्र में उन्हें हंसते-खेलते रहना है, उस उम्र में वे मानसिक तनाव का शिकार होने लगते हैं।
घर का निर्माण व्यक्ति सुखपूर्वक जीवनयापन करने के लिए करता है परंतु श्मशान घर के पास होने से सुख का स्थान दुख ले लेता है। लेकिन ये बातें महज कहने तक की नहीं है, विज्ञान ने भी श्मशान के पास घर होने से उत्पन्न होने वाली परेशानियों को माना है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार श्मशान में प्रतिदिन शव को जलाने से उत्पन्न होने वाली चर्बी की दुर्गंध से आस-पास का वातावरण प्रभावित होता है। प्रदूषित वातावरण घर में रहने वाले सदस्यों को प्रभावित करता है, जिससे घर के अंदर तनावमय वातावरण बन सकता है। केवल शव के कारण ही नहीं, श्मशान में शव के साथ आने वाले जनसमूह के कारण भी आस-पास के घरों की शांति भंग होती है। बार-बार जनसमूह के आवागमन से घर के आस-पास असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं।
कुछ वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मजबूरी में कभी श्मशान के पास घर लेना भी पड़े, तो यह घर श्मशान से कम से कम ..0 मीटर की दूर पर ही स्थित होना चाहिए। इतनी दूरी बरकरार रखने से श्मशान से आने वाली बुरी ऊर्जा से अधिक से अधिक बचा जा सकता है।
इसके अलावा कुछ वास्तु उपाय अपना कर भी घर और परिवार को श्मशान से मिलने वाले बुरे प्रभाव से बचाया जा सकता है। सबसे आसान उपाय तुलसी के पौधे का बताया गया है, जिसके अनुसार घर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों ओर तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। तुलसी पवित्र पौधा है, इसके होने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है |
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक रात के समय श्मशान के आसपास या उसके भीतर नहीं जाना चाहिए। श्मशान ऐसा स्थान है जहां सदैव नकारात्मक ऊर्जा रहती है। शाम ढलने के बाद तो ऊपरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। जिसका बुरा प्रभाव हमारे अंतर्मन पर पड़ सकता है। कई बार ऊपरी बाधाएं व्यक्ति को अपने प्रभाव में भी ले लेती हैं। जिससे उसे हानि उठानी पड़ती है। शव से निकलता धुंआ स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। श्मशान से लौटने पर स्नान अवश्य करना चाहिए। सूरज ढलने के बाद किया गया स्नान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
घर के बड़े बुजुर्ग अक्सर कहते हैं, कि रात के समय कब्रिस्तान या श्मशान में नहीं जाना चाहिए. केवल यही नहीं रात के समय वहां से गुजरना भी नहीं चाहिए | हालांकि कुछ लोग इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं. लेकिन यह सिर्फ अन्धविश्वास नहीं है. इसके पीछे मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तथ्य भी हैं | वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक हिन्दू शास्त्रों के अनुसार रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होती हैं. ये नकारात्मक शक्तियां मानसिक रूप से कमजोर किसी भी व्यक्ति को तुरंत अपने प्रभाव में ले लेती हैं |पुराणों के अनुसार ऐसा करना नकारात्मक शक्तियों को बुलावा देना है। रात के समय नकरात्मकता सुंगधित काया की ओर विशेष रूप से आकर्षित होती हैं। इसलिए रात के समय इधर-उधर घूमने बजाय अपने घर में ही वास करना चाहिए। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक कुछ वास्तु उपाय अपना कर भी घर और परिवार को श्मशान से मिलने वाले बुरे प्रभाव से बचाया जा सकता है। सबसे आसान उपाय तुलसी के पौधे का बताया गया है, आप अपने बहन या मकान में तुलसी का पौधा अवश्य लगाकर रखें, इस आपको अनेकानेक दुष्प्रभावो से बचाता हैं ।
प्रिय पाठकों/मित्रों, हिन्दू शास्त्रों में से एक वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाते समय केवल डिजाइन या रंग ही नहीं, दिशाओं का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि गलत दिशाएं घर में वास्तु दोष उत्पन्न कर, घर की खुशियां छीन लेती हैं। इसलिए घर के मुख्य दरवाजे की दिशा से लेकर बेडरूम और रसोईघर-बाथरूम किस दिशा में हो इसका ध्यान रखें। सीढ़ियों एवं खिड़कियों की दिशा का सही होना भी बेहद आवश्यक है।
वास्तु शास्त्र वास्तु दोष मुक्त घर बनाने के लिए पूर्ण नक्शा देने में सक्षम है। लेकिन इसके अलावा किस जमीन पर घर बनाना सही रहेगा, यह भी वास्तु शास्त्र के निर्देशों में से अहम निर्देश है। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक गलत जमीन पर घर या ऑफिस भी बना लेने से पूरी इमारत वास्तु दोष से भर जाती है। ऐसे घर के सदस्यों में मानसिक परेशानियां और आपसी झगड़े रहते हैं। वास्तु दोष से युक्त जमीन पर ऑफिस बना लेने से व्यापार चलने से पहले ही ठप पड़ जाता है।
इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार यह आवश्यक है कि घर या ऑफिस बनाने से पहले, जमीन का वास्तु भांप लिया जाए। कहीं जमीन वास्तु दोष से पूर्ण तो नहीं? कहीं उसके आसपास कोई ऐसी जगह तो नहीं जो वास्तु दोष युक्त हो? जहां घर बनाने जा रहे हैं कहीं उसके नीचे कभी श्मशान तो नहीं होता था?
जी हां… श्मशान… वास्तु शास्त्र के अनुसार श्मशान वाली जमीन के ऊपर या उसके आसपास भी मकान बनाना, खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। ऐसा घर कभी भी खुशहाल नहीं बन सकता। लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है, वास्तु शास्त्र में जीवन की हर मुश्किल का हल है। किसी जगह या घर में वास्तु दोष है या नहीं इसे जांचने की और फिर उसका उपाय भी खोज निकालने में सक्षम है यह वास्तु शास्त्र का विज्ञान।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक भूखंड, यानी कि आपकी जमीन का वास्तु दोषों से मुक्त होना बेहद जरूरी है। भूखंड के आसपास भी कोई ऐसी वस्तु नहीं होनी चाहिए, जो नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हो। ये चीजें घर को अशुभ प्रभाव देती हैं। वास्तु शास्त्र में घर के समीप श्मशान का होना भयंकर दोष माना गया है। जन्म लेना और फिर मृत्यु को प्राप्त होना, यह जीवन का अटल सत्य है। सभी को इस दौर से गुजरना ही है, किंतु मृत्यु का नाम तक लेना मनुष्य को असंतुलित कर देता है।
मृत्यु या इससे जुड़ी कोई भी चीज व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक यदि श्मशान के आसपास भी घर बना लिया जाए, तो कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। सबसे पहली बात यह कि श्मशान से हर पल नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो किसी को भी मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है। घर के समीप श्मशान की स्थिति घर में रहने वाले सदस्यों में डर एवं भय का संचार करती है। यह भय मनुष्य की बुद्धि को असंतुलित कर देता है जिसके प्रभाव से मनुष्य का आत्मविश्वास बाधित होता है। ऐसे घर में रहने वाले सदस्यों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं की श्मशान के पास घर होने से प्रतिदिन शव देखने के कारण मनुष्य में शोक का संचार रहेगा। शोक से हृदय में नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। शोक का एहसास बार-बार होने से मनुष्य के अंदर वैराग्य की भावना भी जन्म ले सकती है। घर के अंदर इस प्रकार की भावना के संचार से तथा प्रतिदिन रोते लोगों को देखने से घर में रहने वाले बच्चों के बालसुलभ मन पर प्रभाव पड़ सकता है। इतना ही नहीं, ऐसे घर में रहने वाले बच्चों में कई प्रकार की शंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों का विकास बाधित होता है, जिस उम्र में उन्हें हंसते-खेलते रहना है, उस उम्र में वे मानसिक तनाव का शिकार होने लगते हैं।
घर का निर्माण व्यक्ति सुखपूर्वक जीवनयापन करने के लिए करता है परंतु श्मशान घर के पास होने से सुख का स्थान दुख ले लेता है। लेकिन ये बातें महज कहने तक की नहीं है, विज्ञान ने भी श्मशान के पास घर होने से उत्पन्न होने वाली परेशानियों को माना है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार श्मशान में प्रतिदिन शव को जलाने से उत्पन्न होने वाली चर्बी की दुर्गंध से आस-पास का वातावरण प्रभावित होता है। प्रदूषित वातावरण घर में रहने वाले सदस्यों को प्रभावित करता है, जिससे घर के अंदर तनावमय वातावरण बन सकता है। केवल शव के कारण ही नहीं, श्मशान में शव के साथ आने वाले जनसमूह के कारण भी आस-पास के घरों की शांति भंग होती है। बार-बार जनसमूह के आवागमन से घर के आस-पास असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं।
कुछ वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मजबूरी में कभी श्मशान के पास घर लेना भी पड़े, तो यह घर श्मशान से कम से कम ..0 मीटर की दूर पर ही स्थित होना चाहिए। इतनी दूरी बरकरार रखने से श्मशान से आने वाली बुरी ऊर्जा से अधिक से अधिक बचा जा सकता है।
इसके अलावा कुछ वास्तु उपाय अपना कर भी घर और परिवार को श्मशान से मिलने वाले बुरे प्रभाव से बचाया जा सकता है। सबसे आसान उपाय तुलसी के पौधे का बताया गया है, जिसके अनुसार घर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों ओर तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। तुलसी पवित्र पौधा है, इसके होने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है |
वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक रात के समय श्मशान के आसपास या उसके भीतर नहीं जाना चाहिए। श्मशान ऐसा स्थान है जहां सदैव नकारात्मक ऊर्जा रहती है। शाम ढलने के बाद तो ऊपरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। जिसका बुरा प्रभाव हमारे अंतर्मन पर पड़ सकता है। कई बार ऊपरी बाधाएं व्यक्ति को अपने प्रभाव में भी ले लेती हैं। जिससे उसे हानि उठानी पड़ती है। शव से निकलता धुंआ स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। श्मशान से लौटने पर स्नान अवश्य करना चाहिए। सूरज ढलने के बाद किया गया स्नान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
घर के बड़े बुजुर्ग अक्सर कहते हैं, कि रात के समय कब्रिस्तान या श्मशान में नहीं जाना चाहिए. केवल यही नहीं रात के समय वहां से गुजरना भी नहीं चाहिए | हालांकि कुछ लोग इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं. लेकिन यह सिर्फ अन्धविश्वास नहीं है. इसके पीछे मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तथ्य भी हैं | वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक हिन्दू शास्त्रों के अनुसार रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होती हैं. ये नकारात्मक शक्तियां मानसिक रूप से कमजोर किसी भी व्यक्ति को तुरंत अपने प्रभाव में ले लेती हैं |पुराणों के अनुसार ऐसा करना नकारात्मक शक्तियों को बुलावा देना है। रात के समय नकरात्मकता सुंगधित काया की ओर विशेष रूप से आकर्षित होती हैं। इसलिए रात के समय इधर-उधर घूमने बजाय अपने घर में ही वास करना चाहिए। वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के मुताबिक कुछ वास्तु उपाय अपना कर भी घर और परिवार को श्मशान से मिलने वाले बुरे प्रभाव से बचाया जा सकता है। सबसे आसान उपाय तुलसी के पौधे का बताया गया है, आप अपने बहन या मकान में तुलसी का पौधा अवश्य लगाकर रखें, इस आपको अनेकानेक दुष्प्रभावो से बचाता हैं ।