श्री मुलायम सिंह यादव का जन्म .2 नवम्बर .9.9 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुधर सिंह के किसान परिवार में हुआ था | गूगल पर उपलब्ध रेकॉर्ड के मुताबिक उनका जन्म समय रात्रि 1. बजकर 28 मिनट है।
कर्क लग्न में पैदा हुए मुलायम सिंह को राजनीति 30-35 साल की उम्र से ही विरासत में मिल गई थी। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं. पिता सुधर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया | मुलायम एक ऐसे भारतीय राजनेता हैं जो उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षा मन्त्री रह चुके है। वर्तमान में यह भारत की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है।
कर्मवादी व्यक्तित्व के धनी मुलायम सिंह ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने जमीनी संघर्श के बलबूते समाजवादी पार्टी तथा व्यक्तिगत अपनी लोकप्रियता के नये-नये कीर्तिमान बनाये हैं। राजनीति में विद्यार्थी जीवन से सामाजिक लक्ष्यों की ओर अग्रसर रहे हैं। अध्यापन कार्य भी किया। पथरीले रास्तों पर चडकर मंजिल तय किया करते हैं। २२ नवम्बर को ७७ वर्श की आयू पूर्ण होने पर आज भी उनका उत्साह चरम सीमा पार करता प्रतीत होता है। चाहे किसानो की समस्या हो या विद्यार्थियों की समस्या हो मुलायम सदैव अग्रणी पंक्ति में खडे दिखाई देते हैं। लोकनायक जय प्रकाष नारायण तथा डा० लोहिया की षुरु की गयी परम्पराओं का आज भी मुलायम आगे बडाते हुये प्रतीत होते हैं।
ज्योतिशीय आधार पर देखा जाये तो प्रदेश तथा देश की राजनीति में मुलायम गहरा असर डालते प्रतीत होंगे।
ज्योतिशीय स्थितिः-
२२ नवम्बर १९३९ को सैफई गांव में जब मुलायम का जन्म हुआ तब नक्षत्र मंडल में कर्क लग्न उदित थी। कर्क लग्न के विशय में मान सागरी में निम्न कथन है।
कर्कलग्नेसमुत्पन्ने धर्मी भोगी जनप्रियः।
मिश्ठानपानभोक्ता च सौभाग्य धनसंयुतः।।
कर्कलग्न में जन्म होने के कारण ही मुलायम सर्व समाज में सर्वप्रिय, समाज मे अग्रणी भूमिका निभाने वाले, सार्थक वार्ता के पक्षधर, भावुकता, उदारता, परिवर्तनषीलता जैसे गुणों का समावेष अपने अन्तःकरण मे समेटे हुये है। कर्कलग्न चंचलता तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की ओर अग्रसर करती है। नयी योजनाओं म परिवर्तनषीलता के प्रतीक पुरुश के रुप में उभार भी दिखाई देगा।
आने वाला समयः-
श्री मुलायम सिंह की उपलब्ध कुंडली में गजकेसरी योग, परासर सिद्धान्त द्वारा निर्मित केन्द्र त्रिकोण राजयोग, बुधादित्य योग आदि पाये जाते हैं। गजकेसरी योग ने षिक्षक बनाया तो केन्द्र त्रिकोण राजयोग एवं बुधादित्य योग ने राजनीति मे असरदार राजनेता के रुप में ख्याति प्रदान की है। यही मुख्य कारण है कि मुलायम सिंह लगातार आगे ही बडते प्रतीत होते हैं। वर्तमान समय में सूर्य की महादषा सन् २०२० तक है। सूर्य महादषा मे राहु का अन्तर मुलायम के लिये तकलीफदेय रहा है। किन्तु अब सूर्य महादषा में बृहस्पति का अन्तर ०३.०९.२०१७ तक है। सूर्य और बृहस्पति परस्परिक मित्र हैं। जन्मांक, नवमांष तथा गोचर मे बृहस्पति जी परम राजयोग कारक है। सूर्य की महादषा में बृहस्पति का अन्तर मुलायम के लिये जनाधार बृद्धि के संकेत करता है। यह समय सामाजिक जीवन में उपलब्धियों भरा प्रतीत होगा।
आचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार, श्री मुलायम सिंह की उपलब्ध कुंडली में पीएम बनने के योग प्रबल नहीं हैं ,बल्कि गजकेसरी योग के चलते आने वाले विधान सभा चुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ वह भारतीय राजनीति में गेम चेंजर की भूमिका अदा कर सकते हैं। राहु की पूर्ण महादशा उनके पीएम बनने का रोड़ा है। पंचम भाव कालपुरुष कि पांचवी राशि सिंह राशि का स्वामी सूर्य भी विराजमान हैं। जो भारतीय राजनीति में मुलायम सिंह की पद प्रतिष्ठा हमेशा बनाकर रखेगी ।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार कई महा दशाओं से गुजर चुके मुलायम के बारे में ग्रह, नक्षत्र और उनके योग ने बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। कर्क लग्न मीन राशि के उदयकाल में मुलायम का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ है। अपने जीवनकाल में इन्हें ग्रहों और नक्षत्रों के कई योग से गुजरना पड़ा हैं। इसमें प्रमुख रूप से बुद्ध कि महादशा, केतु की महादशा, शुक्र की महादशा, सूर्य कि महादशा, चंद्र और सूर्य कि महादशा को सपा सुप्रीमो भोग चुके हैं। कुंडली में बनी बुद्ध कि महादशा दो अगस्त 1956 तक थी। इसकी वजह से छात्र जीवन में भी कई बार मुलायम चर्चाओं में रहे हैं।
गज केसरी योग ने बनाया भाग्य को प्रबल—
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार नेता जी (श्री मुलायम सिंह)की कुंडली का अध्ययन करने पर लग्नेश चंद्रमा तथा भाग्येश बृहस्पति का भाग्य स्थान में गज केसरी योग एवं जनता के केंद्र का स्वामी शुक्र जनता की कुर्सी के पंचम भाव में बैठा हैं। वहीं, पंचम भाव कालपुरुष की पांचवीं राशि सिंह राशि का स्वामी सूर्य भी विराजमान हैं, जो पंचम भाव का कारक हैं। पद प्रतिष्ठा मंत्री पद का महत्वपूर्ण कारक है। इसकी वजह से मुलायम सिंह यादव तीन बार मुख्यमंत्री बने। इसी योग में एक और योग शुक्र का मित्र बुद्ध भी बैठा हैं। नवम भाव में बृहस्पति और चंद्रमा कि युति गज केसरी योग बना रहे हैं। वहीं, बृहस्पति नवम दृष्टि से पंचम भाव को देख रहा है। इससे कुंडली में अमृत वर्षा हो रही है।
मुलायम की कुंडली में राहु की क्या है स्थिति—
श्री मुलायम सिंह की उपलब्ध कुंडली में राहु चतुर्थ भाव में जिसको ज्योतिष में कुर्सी का द्योतक कहा जाता है। राहु तुला राशि का होकर चतुर्थ भाव में विराजमान है। इस समय राहु और शनि द्दिग बल को प्राप्त हैं। राहु कि महादशा में शनि की अंतर-दशा चल रही हैं, जो आठ सितंबर 2011 से 14 जुलाई 2014 तक थी। राहु और शनि द्दिग होने के कारण कई अद्भुत योग (गजकेसरी, बुद्धातित्व, शुक्रादित्य) इन योग के कारण अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। देखा जाए, तो पद की दृष्टि से सूर्य, चंद्र, मंगल की महादशा जो लग्न के कारक हैं। स्वास्थ की दृष्टि से कुछ समस्याएं आ सकती हैं।
मुलायम की कुंडली में कौन सी महादशा रही है कब तक—
श्री मुलायम सिंह की उपलब्ध कुंडली में बुद्ध कि महादशा मुलायम की कुंडली में दो अगस्त 1956 तक बनी रही है। केतु कि महादशा इनकी कुंडली में तीन अगस्त 1963 से 1983 तक बना था। इसके बाद 1983 से 1989 तक शुक्र कि महादशा बनी रही है। वर्ष-1989 के अंतिम में 1999 आखिर तक सूर्य कि महादशा बनी रही।
वर्ष 1999 से 2006 तक मंगल कि महादशा बनी रही है। इसके बाद 03.08.2006 से राहु कि महादशा आरंभ हो गई। इसमेंं राहु की महादशा में शनि की अंतर-दशा आठ सितंबर 2011 से जुलाई 2014 तक बनी रही। राहु की पूर्ण महादशा वर्ष-2024 तक तक रही थी ।
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गूगल पर उपलब्ध आंकड़ो के अनुसार कुछ विद्वान् उनका जन्म ग्यारह नवम्बर उन्नीस सौ उन्तालीस का मानते है और जन्म समय शाम चार अडतीस का है जन्म स्थान करलह जिला मैनपुरी उत्तर प्रदेश का है।
अक्सर विपरीत राजयोग की कुंडलियो मे इस कुंडली को रखना जरूरी है। शनि लगन मे है यह वक्री है अगर शनि मार्गी होता तो जड बनाने के लिये माना जा सकता था,शनि वक्री होने से बुद्धिमान बनाने के लिये माना जा सकता है। सप्तम का राहु उन्नति के रास्ते देने के लिये और आशंकाओं को बेलेन्स करने के लिये उत्तम माना जाता है। छठे भाव का मालिक बुध अष्टम मे जाकर वक्री हो गया है इसका असर भी उत्तम फ़ल दायी इसलिये हो गया है कि जो दुश्मनी को मानने वाला है वह भी दिक्कत मे आकर मित्रता को करने वाला है। बारहवे भाव मे भाग्य का मालिक वक्री हो गया है इसका मतलब भी जो सन्यासी वृत्ति को देने वाला था वह भौतिकता के मामले मे ऊंची उडान देने के लिये अपनी युति को प्रदान कर रहा है। सन्तान भाव का मालिक सूर्य है जो अष्टम में वक्री बुध और शुक्र के साथ अपना स्थान बनाये है। सन्तान भाव के मालिक सूर्य को भी बारहवे भाव के चन्द्रमा और वक्री गुरु का आशीर्वाद मिला हुआ है साथ मे धन और सप्तम के मालिक शुक्र का भी साथ है,सूर्य को जब दो गुरु एक साथ अपना असर देना शुरु करे,यानी देवताओ का मालिक गुरु और दैत्यों का मालिक शुक्र सूर्य को अपना बल देना शुरु कर दें तो इस प्रकार के व्यक्ति को कोई कैसे नीचे दिखा सकता है।