आइये जाने उन वास्तु दोषों को जिनके कारण नहीं लगता हैं पढाई में मन/एकाग्रता/याददाश्त(कॉनसन्ट्रेशन )  —
प्रिय पाठकों /मित्रों, इस समय तक अधिकांश स्थानों पर स्कुल खुल चुके हैं और वहां पर पढाई आरम्भ हो चुकी हैं || यदि आपके बच्चो का पढाई में मन नहीं लगता या फिर पढने के बावजूद वह अपने पाठ को याद नहीं रख पता तो अब घबराने की जरूरत नहीं। वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री आपको कुछ ऎसे उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आपके बच्चो का पढाई में मन भी लगेगा और साथ ही उसे सब कुछ याद भी रहेगा।
आपके अन्दर एकाग्रता की कमी का होना भी आपके मनन को पढाई से दूर ले जाता है || साथ ही आपके मन में अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय होना भी जरूरी होता है || इसके अलावा आपके आसपास नकारात्मक उर्जा का होना भी आपको आपकी पढाई से दूर ले जाता है||
ऊपर दिए कारण संभवतः आपकी पढाई में रूकावट बन जाते है या इनकी वजह से आपका पढाई मे मन नही लग पाता. लेकिन हम आपको वास्तु शास्त्र के अनुसार उन सब उपायों से अवगत करना चाहेंगे जिससे आपका मन आपकी पढाई में लगे|| 
क्या कभी आपने सोचा है बच्चे की पढ़ाई का संबंध घर की संरचना से भी हो सकता है। विद्यार्थी किस दिशा में और कैसे बैठकर पढ़ रहा है इसका भी प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ सकता है। आप समझ ही गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं वास्तु शास्त्र की। 
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री  मानते हैं कि यदि घर के वास्तु का ध्यान रखा जाए तो निश्चित ही पढ़ाई पर असर पड़ेगा। जिस प्रकार मानने वाले ज्योतिष को मानते हैं और न मानने वाले नहीं मानते। ठीक उसी प्रकार वास्तु पर भी विश्वास और अविश्वास करने वाले लोग मिलते हैं। 
पढ़ाई में पढाई में मन/एकाग्रता/याददाश्त(कॉनसन्ट्रेशन ) बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करें। शायद आपकी चिंता दूर हो जाए ||
ये सरल उपाय अपनाकर आप अपने बच्चो को पढाई में कुशाग्र बना सकते हैं।
 
जानिए पढ़ाई में पढाई में मन/एकाग्रता/याददाश्त(कॉनसन्ट्रेशन ) )बढ़ाने  के वास्तु  टिप्स –
.. वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बच्चों की अच्छी पढाई के लिए स्टडी टेबल हमेशा ही कमरे के पूर्व कोने में इस तरह से रखें कि पढाई करते समय आपके बच्चे का मुंह पूर्व दिशा की ओर रहे।
.. बच्चों को पढाई मे कुशाग्र बनाने के लिए उन्हें पढाई से पहले गायत्री मंत्र का पाठ करने के लिए कहें व पढते समय बच्चो के सिर पर पिरामिडिकल कैप लगाएं। ऎसा करने से उसके द्वारा याद किया हुआ सबक या पाठ उसे हमेशा के लिए याद रहेगा और बुद्धि कुशाग्र होगी।
.. वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बच्चों के उत्तर-पूर्व दीवार में लाल पट्टी के चायनीज बच्चों की युगल फोटों लगाएं। ऎसा करने से घर में खुशियां आएंगी और आपके बच्चो का करियर अच्छा बनेगा। इन उपायों को अपनाकर आप अपने बच्चे को एक अच्छा करियर दे सकते हैं और जीवन में सफल बना सकते हैं ||
४.–स्टडी रूम की दीवारों के लिए और अपनी स्टडी टेबल के लिए हल्के रंग का इस्तेमाल करे||  कहा जाता है कि लेमन येलो और वायलेट रंग आपकी याददाश्त को बढ़ता है तो आप इन रंगों का भी चुनाव कर सकते है||  दीवारों और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा। ब्लू  और काले रंग से परहेज करें।
५.–वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जिस कमरे में बच्चा पढ़ता है उसे आग्नेय यानी पूर्व और दक्षिण एवं वायु अर्थात् उत्तर व पश्चिम दिशा में बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। आग्नेय कोण में होने से बच्चा चिड़चिड़ा होता है और वायु कोण में पढ़ने से उसका मन भटकता है। अतः कोशिश करें कि बच्चा कम से कम परीक्षा के दिनों में पूर्व दिशा में ही बैठकर पढ़ें।
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इनका भी रखें ध्यान—
अध्ययन एक अच्छे सहपाठी के साथ करे– –
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर कोई समझदार और ध्यान केंद्रित अच्छा सहपाठी है तो आप उसके साथ बैठकर अध्ययन कर सकते है। जो साथी आप की तुलना में होशियार हो उसे साथ में अध्ध्य्यन के लिए चुनें। आप दोनों एक दूसरे के साथ जल्दी कार्य को समाप्त करने का मुकाबला कर सकते है जिससे कार्य में दिलचस्पी बढ़ने लगती है और दोनों को पहले की अपेक्षा जल्दी याद भी होगा।  अगर कुछ मुश्किल आती है तो मिलकर उस समस्या को हल कर सकते है जिससे उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।इस युक्ति से आपका अध्ययन सत्र पूरी तरह से बेहतर हो जायेगा।
 सही जगह का चयन करें—
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अध्ययन के लिए एक उपयुक्त वातावरण के साथ एक शांत जगह का चुनाव करना जरुरी है। अध्ययन का स्थान टीवी, पालतू जानवर और व्याकुलता उत्पन्न करने वाले स्थान से दूर होना चाहिए।  इसके अलावा आपके लिए एक आराम कुर्सी और अच्छी प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए। आपकी पीठ, गर्दन या आंखों पर कोई तनाव नहीं होना चाहिए क्योंकि दर्द भी एक व्याकुलता है।
  उदाहरण के लिए, एक टीवी के सामने आप सही अध्ययन नहीं कर पाते क्योंकि जब विज्ञापन आते हैं  केवल तब ही आप अपना होमवर्क करेंगे। इससे समय भी व्यर्थ खर्च होगा और कार्य भी सही ढंग़ से नही हो पायेगा। 
   
अध्ययन हेतु सब सामान पास में हो —
आपका पेंसिल, पेन, हाइलाइटर और पुस्तकें आपकी पहुंच के भीतर होनी चाहिए, ताकि आप पढ़ाई के दौरान विचलित न हो। अपने सामान को व्यवस्थित रखे , ताकि आपके मन में अव्यवस्था उत्पन्न न हो। ऐसा कुछ भी नही होना चाहिए जिसकी वजह से आपको बार बार उठना पड़े।   
सभी पाठ्य पुस्तकें, नोटबुक, और कागजात जिनकी आपको जरूरत है आपकी हाथ की पहुंच के भीतर होने चाहिए। यह सचमुच सफलता के लिए एक सेट अप है।
अपने अध्ययन के लक्ष्यों को लिख लें—-
सिर्फ आज के लिए आप क्या चाहते हो यानि कि आज कितना कार्य आपको करना है।अपने इस लक्ष्य को आप पहले लिख ले ताकि आपको ज्ञात रहे कि  आज आपको कितना कार्य करना है।  
  मान लो आपको इस सप्ताह 1.0 पृष्ठों को पढ़ना है, तो आप लिख सकते है की आज 20 पृष्ठ का लक्ष्य पूरा करना है। अपने समय को कार्य के अनुरूप ही बाँट ले कि इतने समय में इतने पृष्ठ हो जाने चाहिए।  
 सेल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दे—-
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अपने अध्ययन को सुचारू रूप से करते रहने के लिए आवश्यक है कि आप अपने फ़ोन व् अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को पढ़ते समय बंद कर दे। अगर अध्ययन के लिए कंप्यूटर की जरूरत है तो ही केवल कंप्यूटर का उपयोग करे । अपने आपको को दृढ़ निश्चयी बनाये कि कुछ समय फ़ोन बंद करने से आपका अध्ययन ठीक ढंग से हो पायेगा और फिर कुछ समय बाद ये सब यही मिल जायेगा।  
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वास्तु और बच्चों का विकास
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बच्चों के लिए पश्चिम दिशा प्रशस्त होती है, यह विद्याभ्यास की जगह है और यहां सोने वाले बच्चों को बुद्धिमान बनाती है। यह जगह बच्चों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
यह दिशा बच्चों को ब़डों से जो़डने में भी सहायक है, यहां सोने वाला बच्चा अपने मां-पिता से मन की बातें करता है। यह दिशा बच्चों को लम्बे समय तक पढ़ने और बैठने की प्रेरणा देती रहती है और उनका निरर्थक जाने वाला समय घटता चला जाता है।
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार किसी भी भूखण्ड की पश्चिम दिशा में सोने से बच्चो मन की बात पूरी तरह कहते हैं और अपने मां-बाप से सभी बात खुलाकर करते हैं (Sharing), , इसके अतिरिक्त पश्चिम दिशा में सोने वाले बच्चो की वाक् क्षमता (Oration) अच्छी हो जाती है।
यदि पश्चिम दिशा में शयन की व्यवस्था ना भी हो पाए तो पढ़ाई या विद्याभ्यास के लिए उन्हें यही प्रेरित करना चाहिए।
किसी प्रतियोगी परीक्षा अथवा चयन प्रक्रिया से ठीक पहले बच्चों को South-East या अगिकोण में भी पढ़ने को प्रेरित किया जा सकता है परन्तु पढ़ाई करते समय भी मुख उत्तर में ही रहना चाहिए। बच्चों को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं सोने देना चाहिए। यहां सोने वाला बच्चा बहुत हठी हो जाता है तथा अधिक सोने लगता है परन्तु जिन बच्चों का Career प्रारम्भ हो चुका है अथवा जो बच्चो परिवार का आर्थिक स्तम्भ बनने की दहलीज पर हों उन्हें स्थायित्व हेतु दक्षिण दिशा में स्थान दिया जा सकता है। 
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बच्चों को कभी भी North-West या वायव्य कोण में नहीं सुलाना चाहिए और ना ही यह उनके पढ़ाई का स्थान हो।
यह स्थान उच्चाटन का भाव लाता है, घर में मन नहीं लगता है, पढ़ाई में मन नहीं लगता है और ऎसे बच्चों के दोस्त भी अधिक होते हैं तथा दोस्तों के साथ घर से बाहर ज्यादा समय बिताता है।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य बातों को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि- 
1. पढ़ते या सोते समय बच्चों के सिर के ऊपर बीम न हो। 
2. पढ़ते समय प्रकाश बांई तरफ से आयें। 
3. सोते समय दक्षिण में सिर और उत्तर में पैर हों।
4. उच्चा शिक्षा, चयन प्रक्रिया एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जब बच्चों को अग्निकोण में स्थान दिया जाये तो वह स्थायी ना हो तथा वे उत्तर की ओर मुख करें। 
5. पढ़ाई के समय तेज ध्वनि, तीव्र प्रकाश, मंद प्रकाश, धुंआ व अत्यंत शीत या गर्मी की स्थितियों से बचना चाहिए। 
6. पूर्व दिशा मध्य, ईशान कोण या उत्तर दिशा मध्य भी विकल्प के तौर पर आजमाये जा सकते हैं।
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इनका रखें ध्यान 13 से 20  वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए
ब्रह्म मुहूर्त में करें पढ़ाई————–ब्रह्म मुहूर्त पढ़ाई के लिए बेहतर माना जाता है। कहते हैं, इस समय में उठकर अध्ययन करने से विषय का ध्यान लंबे समय तक विद्यार्थियों के जेहन में ताजा रहता है। इसलिए संभव हो तो देर रात तक पढ़ाई करने के बजाय ब्रह्म मुहूर्त में ही पढ़ाई करें। ब्राह्मी बूटी को गले में धारण करने या सेवन करने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से एकाग्रता भी आती है। जब आपका सूर्य स्वर (दायां स्वर) नासिका चल रहा हो, तब कठिन विषय का अध्ययन करें, तो वह शीघ्र याद हो जाएगा। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
कमरे में हरे परदे लगाएं———— जहां आप पढ़ते हों, उस कमरे में हरे रंग के परदे का इस्तेमाल करें, इससे मन को शांति मिलती है। साथ ही एकाग्रता भी आती है। जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्तर भूल जाने की आदत हो, उन्हें परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं।
किताब में रखें मोरपंख————- कठिन विषय की पाठ्य पुस्तकों में गुरु वार के दिन मोरपंख रखें। इससे पाठ जल्द याद होते हैं। स्वर शास्त्र के अनुसार, जो स्वर चल रहा हो, परीक्षा के लिए जाते हुए वही पैर घर से निकालें। इसी प्रकार परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते समय भी चल रहे स्वर का ध्यान रखकर प्रवेश करें। इससे अनुकूलता सिद्ध होगी और सफलता मिलेगी। खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करना चाहिए। इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे।
कोने में बैठने से बचें————– कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
बुधवार को कमरे में रखें हकीक————— अगर अध्ययन के प्रति एकाग्रता कम हो रही हो, तो नवग्रहों के रंग के अनुसार नौ सुलेमानी हकीक हरे रंग के कपड़े में बांधकर विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए तथा प्रत्येक बुधवार उन्हें देखकर पुनः बांध देना चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है। विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है।
विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए।
इनका रखने ध्यान 20 से 25 साल तक के युवा बच्चों के लिए—
कमरे के द्वार पर नीम की डाली———– 
इसके अलावा विद्यार्थियों को सफलता पाने के लिए अपने कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। इससे घर में शुद्ध हवा आती है और सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। उपर्युक्त उपाय छात्रों के लिए हैं। इनको आजमाकर वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हां, इसके साथ-साथ आपको अपनी परीक्षा में सफल होने के लिए मेहनत भी करनी होगी।
पढ़ाई में मन न लगे तो करें यह उपाय— 
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें। जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पूर्व दिशा की ओर मुख—- 
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
ध्यान रखें की खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करें —
वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार  इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर आप खाना खाते हुए पढ़ाई करते हैं तो समझ लीजिए आपका ज्ञान बढ़ नहीं रहा है बल्कि आप ज्ञान और आयु दोनों को नष्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खाना और पढ़ना दोनों साथ-साथ नहीं करना चाहिए। इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा हुआ है कि ‘जो मनुष्य जूठे मुंह खाना पढ़ता है अथवा जूठे मुंह उठकर इधर-उधर जाता है यमराज उसकी आयु कम कर देते हैं तथा उसके बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह से पढ़ाई करने से जो भी पढ़ते हैं वह लम्बे समय तक याद नहीं रह पाता है और जरूरत के समय ऐसी शिक्षा काम नहीं आती है।

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