*** आइये जाने की क्यों और क्या हैं आरओ ( R O का पानी )का पानी पीने के नुकसान ???             
प्रिय पाठकों / मित्रों, दोस्तों….
क्या आप जानते हैं के बोतलबंद पानी पीने से या RO का फिल्टर किया हुआ पानी पीने से आपके शरीर को कितना भयंकर नुकसान हो सकता है।। इस पोस्ट में हम आपको यही बताने जा रहे हैं, के पेकिंग वाला बोतलबंद पानी पीने से शरीर को किस हद तक नुकसान हो सकता है ।।यहां तक कि यह आपकी मौत का कारण भी बन सकता है ।।
**** ध्यान दीजिये–आरओ का पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक (WHO)—
प्रिय पाठकों/ मित्रों, आज का दौर ऐसा है कि दुनिया दिखावे में मरी जा रही है।। हम जब भी सफर में या कहीं भी घर से बाहर निकलते हैं अपने साथ अपने लिए पानी की व्यवस्था करके नहीं चलते सोचते हैं के मार्केट से पैकिंग वाला बढ़िया पानी खरीद लेंगे, जबकि पहले पुराने समय में ऐसा होता था। हम जब भी सफर में कहीं जाते थे तो अपने घर से ही अपने लिए पानी की व्यवस्था करके चलते थे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह विभिन्न कंपनियों द्वारा बेचा जाने वाला बोतलबंद पानी आपके शरीर को कितना नुकसान कर सकता है और इस बात को वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा भी कर दिया है के फ़िल्टर किया हुआ या आरओ का पानी आपके स्वास्थ्य के लिए की दृष्टि से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।।
                      
साफ, स्वास्थ्यवर्धक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए रिवर्स-ओस्मोसिस (आरओ) जल शोधक प्रणाली को एक अच्छा अविष्कार माना जाता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि आरओ प्रौद्योगिकी का अनियंत्रित प्रयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
इतनी तेज धूप में हमें अगर ठंडा पानी पीने को मिल जाए तो मजा आ जाता है और अगर यह पानी RO से फिल्टर किया हुआ हो तब तो क्या कहने हम सोचते हैं कि आज तो तबीयत मस्त हो गई. शायद आपको इस पोस्ट में पढ़ कर ताज्जुब जरूर हो रहा होगा के RO से फिल्टर किया गया पानी सुरक्षित कैसे नहीं हो सकता? यह असंभव लगेगा जरूर लेकिन आप अंत इस पोस्ट को आप पढ़ लेंगे तो आपके समझ में पूरी बात आ जाएगी के इलेक्ट्रॉनिक मशीनों द्वारा फिल्टर किया गया पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।।।        
भारत में सबसे लोकप्रिय जलशोधकों में से एक आरओ प्रक्रिया खासतौर से दूषित पानी वाले इलाकों में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे विषाक्त पदार्थो का शोधन करने में कुशल हैं। इसके साथ ही घरेलू और औद्योगिक स्तर पर लगे आरओ सिस्टम इन विषाक्त पदार्थो को वापस भूजल जलवाही स्तर पर पहुंचा देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आरओ के गैरपरीक्षित उपयोग को रोकने के लिए नियम बनाने की जरूरत है।
हाल के एक सर्वे में पाया गया है कि बोतल बंद पानी जैसे औद्योगिक फर्म और घरों में आरओ फिल्टर के बाद बचा दूषित पदार्थ युक्त बेकार पानी भूजल के जलवाही स्तर में वापस डालने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। बेकार पानी जलवाही स्तर पर पहुंचने से इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सर्वे के मुताबिक बेकार पानी में सल्फेट, कैल्सियम, बाईकार्बोनेट्स जैसे पूरी तरह विघटित लवण और कार्बनिक पदार्थ तथा आर्सेनिक और फ्लोराइड उच्च मात्रा में होते हैं।
‘करंट साइंस’ जर्नल में .5 अप्रैल को ‘ग्रोथ ऑफ वॉटर प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजीज इन एरा और रेगुलेटरी वैकम इन इंडिया’ शीर्षक से प्रकाशित इस सर्वे में शोधन के बाद बचे दूषित बेकार पानी के खत्म करने उपयुक्त तरीकों के अभाव पर भी सवाल उठाए गए।। 
शोध में बताया गया कि भारत में बोंतल बंद पानी बेंचने वाली अधिकतर कंपनियां अपने प्लांटों में आरओ प्रणाली का प्रयोग करती हैं, क्योंकि इयोन-एक्सचेंज विधि की तुलना में इस प्रणाली में कम निगरानी में अधित मात्रा में जल शोधन किया जा सकता है। हालांकि इसमें एक दोष है। औद्योगिक प्रयोग के दौरान कुल उपयोग किए गए पानी में .. से 40 फीसदी पानी बेकार हो जाता है। 
                                 
  विश्व स्वास्थ्य संगठन मतलब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) WHO की रिपोर्ट के अनुसार पेकिंग वाला बोतलबंद पानी लगातार लंबे समय तक पीने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इसके लगातार सेवन से आपको हृदय संबंधी विकार, थकान महसूस होना, मानसिक कमजोरी और मांसपेशियों में ऐठन या सिरदर्द जैसे कई रोग हो सकते हैं क्योंकि शोध से पता चला है कि जब आरो पानी फिल्टर करता है. तो वह इस पानी में से अच्छे व बुरे मिनरल्स हो पूरी तरह निकाल देता है क्योंकि उस मशीन को अच्छे या बुरे मिनरल्स की पहचान नहीं होती है और इस तरह का पानी पीने से आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचाता है।।
RO का इस्तेमाल वही करना चाहिए जहां टीडीएस की मात्रा बहुत ज्यादा हो ऐसे क्षेत्रों में आप आरओ की मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं ।।।   
जिनके घरों में RO की मशीन लगी रहती है वह लोग बड़ी शान के साथ बोलते हैं फलानि कंपनी का आरओ लगवाया है पर यह नहीं जानते के दिखावे के चक्कर में असल में हमने अपने बीमार बनने का सामान अपने घर में लगा दिया है. लंबे समय तक इसका उपयोग करना वास्तव में नुकसानदायक साबित हो सकता है इसलिए जहां तक संभव हो क्लोरीन का इस्तेमाल करें जिससे पानी में उपस्थित लाभदायक बैक्टीरिया नष्ट नहीं होते और इसकी तुलना में ये काफी सुरक्षित होता है।।
  आरओ का पानी फिल्टर करने में पानी में उपस्थित जरूरी कैल्शियम और मैग्नीशियम 90% से 99% तक नष्ट हो जाते हैं इस तरह का पानी पीने से आपके शरीर में नुकसान होने की संभावना काफी बढ़ जाती है, यहाँ आपकी जानकारी के लिए बता दें एशिया और यूरोप के कई देश आरओ पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा चुके हैं।।
दोस्तों अगर आपको इस पोस्ट में दी गई
आरओ का पानी वाली जानकारी सही लगती है तो कृपया करके अपने Facebook पर अपने दोस्तों के बीच इसे जरूर शेयर कर दें, जिससे कि यह जानकारी और भी लोगों तक पहुंच जाए और वे इससे बचें।।। 
क्या आपको पता हैं की . लीटर RO WATER बनाने के लिए २ लीटर पानी प्रयोग किया जाता है ।
50% पानी WASTE हो जाता है। सामान्यतः मानव के लिए 7 से 7.5 Ph , 200 से 250 TDS , 50 Hardness Vailue  का पानी पीना चाहिए । लेकिन जहाँ पर सप्लाई का पानी ही 200 TDS, 10 HARDNESS का आ रहा हो वहां RO का क्या काम है। कोई भी RO वाटर की क्वालिटी मेन्टेन नहीं करता है , सिर्फ
आपको साफ़ पानी देता है और जो बोतलों में पानी मिलता है उनकी टीडीएस लगभग 10 के आसपास होती है तथा
उसमे पानी की PH बढ़ाने के लिए व मिनरल्स को मेन्टेन रखने के लिए केमिकल मिलाया जाता है।
जब भी आप बाहर का या नल का पानी पीते है कुछ ही दिनों में आपके पेट में दर्द रहने लग जाता है क्योंकि आपके
सिस्टम को RO पानी की आदत पड़ी हुई है। आप 90 % लोंगों से पूंछिये यहाँ तक कि जो RO बेचते हैं उन्हें भी पूर्ण
जानकारी नहीं होती है कि पानी की गुणवत्ता क्या होती है। 
पडोसी के यहाँ RO है तो हमारे यहाँ क्यों नहीं …
आजकल झूठे विज्ञापनों के प्रचार व भेड़चाल में पड़कर बिना सोचे समझे रो प्रयोग करते जा रहे हैं ? शहर की बात
जाने दीजिये अब तो गाँव में भी रो पहुँच गया है और हम पूरी तरह RO पर निर्भर होते जा रहें हैं ।
उनसे उसकी क्वालिटी पूंछो तो जबाब नहीं है। 
अब प्रश्न है.. कौन सा पानी पियें ..?
सबसे बेहतरीन पानी बारिश का होता है। आप अपने घर में पानी का टैंक बनवाएं और बारीश के दिनों में अपनी छत पर लकड़ी का कोयला व चूने को डाल दें जिससे पानी कोयले व चूने से छनकर आप के टैंक में आये। यह पानी
साल भर ख़राब नहीं होगा। इस पानी को आप साल भर पीजिये पेट की बीमारी नहीं होगी। आवश्यकता होने पर कभी-कभी थोड़ी मात्रा में लाल दवा ( पोटेशियम परमैग्नेट ) या फिटकरी का प्रयोग कर लें अन्यथा उसकी भी जरुरत नहीं है। राजस्थान में जहाँ पर पानी की बहुत अधिक कमी है इसी तरह जल के भंडार को सुरक्षित रखकर प्रयोग किया जाता है , कोई रो का पानी नहीं पीता है। 
देश में कितने प्रतिशत गरीब व झुग्गी में रहने वाले लोग RO का पानी पीते है …?
बारिश के पानी के बाद गिलेशियर से निकली हुई नदियों का पानी है जिसमे अधिकतम खनिज तत्व व गुणवत्ता को  पूर्ण करते हैं।
नदियों के जल के बाद तालाब का पानी जिसमे साफ़ बारिश का जल एकत्रित होता हो जिसमे गंदगी या जानवर ना नहाते हों। फिर कुएँ का पानी जिसका सम्बन्ध बारिश के दिनों में पानी के जलस्तर बढ़ने व घटने से होता है। कुएं की सफाई बारिश से पहले गर्मियों के दिनों में बहुत जरुरी है। कुएं के पानी के बाद सप्लाई का पानी जिसे साफ़ करके, गुणवत्ता की जाँच-पड़ताल के बाद भेजा जाता है। सप्लाई के पानी के बाद सबसे ख़राब पानी RO का है जिसमे कभी भी शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्व नहीं मिलते हैं।
कुछ लोग कहेंगे कि हम तो लगातार कई वर्षों से RO का पानी पी रहे है हम तो ठीक है , तो आप जरा एक माह गाँव का या झुग्गी वालों की तरह खा-पीकर देखिये और अपनी आँतों की रोग-
प्रतिरोधक क्षमता की जांच कीजिये —
1जल की कठोरता,
2 अस्थाई कठोरता( Temporary Hardness ):- कैल्शियम और मैग्नीशियम के वाईकर्वोनेट के जल में रहने के कारण होती है । इस जल को उबालकर या सोडियम कार्बोनेट मिलाकर अथवा Clark’s Process
द्वारा कठोरता दूर की जाती है।
3 स्थाई कठोरता ( Permanent Hardness):- इस जल को उबाल कर शुद्ध
नहीं किया जा सकता है , इस जल में मैग्नीशियम और कैल्शियम के क्लोराइड और सल्फेट घुले होने के कारण इसे सोडियम कार्बोनेट मिलाने से या Permutit Process द्वारा कैलगन विधि से दूर किया जाता है।।।       
**** पानी को साफ करने के लिए सिरामिक कैंडिल वाला फ़िल्टर ही उपयोग करना सही है ..
फ्रीज, प्लास्टिक बॉटल में जल रखने से या आधुनिक तकनीक वाले वॉटर प्यूरीफायर से उसकी Life Force energy शुन्य हो जाती है. प्यूरीफायर से निकला जल निःसंदेह बैक्टीरिया मुक्त होता है परंतु life force energy शुन्य हो जाती है.
मनुष्य शरीर पांच तत्वों से बना है. जल ऊन में से एक तत्व है.
आजकल पुराने भारतीय तरीके का त्याग कारण है की हमारे शरीर में जल तत्व की कमी हो रही है, जिससे की किडनी और urinary tract संबंधित बीमारियां बढ़ रही है.
समाज में पानी की life force energy शुन्य होने से नपुंसकता भी बढ़ रही है..
कई बार पानी की बोतल कार में रखी रह जाती है. पानी धुप में गर्म होता है.प्लास्टिक की बोतलों में पानी बहुत देर से रखा हो और तापमान अधिक हो जाए तो गर्मी से प्लास्टिक में से डाइऑक्सिन नामक रसायन निकल कर पानी में मिल जाता है. यह कैंसर पैदा करता है.वॉटर प्यूरीफायर भी प्लास्टिक से ही बनते हैं. इसी तरह प्लास्टिक रैप में या प्लास्टिक के बर्तनों में माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से भी यह ज़हरीला रसायन बनता है. विशेषकर तब जब खाने में घी या तेल हो. इसी तरह स्टाइरीन फोम के बने ग्लास और दोने भी रसायन छोड़ते है।।।।                   
***** पिने का जल रखने के लिए तांबे के बर्तनों का करें उपयोग —
हमारे भारतीय परिवार कीे रसोई में किसी जमाने में तांबे, पीतल, कांसे के बर्तन ही नजर आते थे। स्टील के बर्तन तो आधुनिक समय की देन है। दरअसल हमारी संस्कृति में तांबे, पीतल और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करने के पीछे अनेक स्वास्थ्य संबंधी कारण छिपे हुए हैं। जैसे —
1. भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार तो नियमित
रूप से तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से हमारा शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है तथा कब्ज एसिडिटी, अफारा, विविध चर्म-रोग, जोड़ों का दर्द इत्यादि शिकायतों से मुक्ति मिलती है। सवेरे उठकर बिना ब्रश किए हुए एक लीटर
पानी पीना स्वास्थ के लिए हितकर होता है। आयुर्वेद की मानें तो ताम्र-धातु से निर्मित ‘जल-पात्र’ सर्वश्रेष्ठ माना गया है। तांबे के अभाव में मिट्टी का ‘जल-पात्र’ भी हितकर बतलाया गया है।
2. तांबा खाद्य- पदार्थों को जहरीला बनाने वाले विषाणुओं को मारने की क्षमता तो रखता ही है, साथ ही कोशिकाओं की झिल्ली और एंजाइम में हस्तक्षेप करता है, जिससे रोगाणुओं के लिए जीवित रह पाना संभव नहीं हो पाता है.
तांबे के बर्तन में ई-कोली जैसे खतरनाक जीवाणु नहीं पनप सकते। परीक्षणों से यह भी साबित हुआ है कि सामान्य तापमान में तांबा सिर्फ चार घंटे में ई-कोली जैसे हानिकारक जीवाणुओं को मार डालता है। इसके विपरीत स्टेनलैस- स्टील के धरातल पर जीवाणु एक महीने से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकते है
3. तांबे से शरीर को मिलने वाले लाभ- त्वचा में निखार आता है, कील-मुंहासों की शिकायतें भी दूर होती हैं। पेट में रहनेवाली कृमियों का विनाश होता है और भूख लगने में मदद मिलती है। बढ़ती हुई आयु की वजह से होने वाली रक्तचाप की बीमारी और रक्त के विकार नष्ट होने में सहायता मिलती है, मुंह फूलना, घमौरियां आना, आंखों की जलन जैसे उष्णता संबंधित विकार कम होते हैं।
एसिडिटी से होने वाला सिरदर्द, चक्कर आना और पेट में जलन जैसी तकलीफें कम होती हैं। बवासीर तथा एनीमिया जैसी बीमारी में लाभदायक । इसके कफनाशक गुण का अनुभव बहुत से लोगों ने लिया है। पीतल के बर्तन में करीब आठ से दस घंटे पानी रखने से शरीर को तांबे और जस्ते, दोनों धातुओं के लाभ मिलेंगे। जस्ते से शरीर में प्रोटीन की वृद्घि तो होती ही है साथ ही यह बालों से संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी लाभदायक होता है
4. बर्मिघम में हुआ शोध शोधकर्ताओं ने अस्पताल में पारंपरिक टॉयलेट की सीट, दरवाजे के पुश प्लेट, नल के हैंडिलस को बदल कर कॉपर की ऎसेसरीज लगा दीं। जब उन्होंने दूसरे पारम्परिक टॉयलेट में उपस्थित जीवाणुओं के घनत्व की तुलना उससे की तो पाया कि कॉपर की सतह पर 90 से 100 फीयदी जीवाणु कम थे। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिघम में हुए इस शोध में अध्ययन दल के प्रमुख प्रोफेसर टॉम एलिएट ने बताया कि बर्मिघम एवं दक्षिण अफ्रीका में परीक्षणों से पता चला है कि तांबे के इस्तेमाल से अस्पताल के भूतल को काफी हद तक हानिकारक जीवाणुओं से मुक्त रखा जा सकता है। कॉपर बायोसाइड से जुड़े शोधों से भी पता चलता है कि तांबा संक्रमण से दूर रखता है। यही तथ्य ताम्रपात्रों पा भी लागू होते हैं
5. आयुर्वेद में रसरत्नसमुच्चय ग्रंथ के पांचवें अध्याय के श्लोक 46 में कहा गया है कि अंदर तथा बाहर से अच्छी तरह से साफ किए हुए तांबे या पीतल (यह मिश्र धातु 70 प्रतिशत तांबा और 30 प्रतिशत जस्ते का संयुग है) के बर्तनों में करीब आठ से दस घंटे तक रखे पानी में तांबे और जस्ते के गुण संक्रमित होते हैं और यह पानी (ताम्रजल) संपूर्ण शरीर के लिए लाभदायक होता है
6. पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन में रखें। अगर आप पानी को रात भर या कम-से- कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है। यह पानी खास तौर पर आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति- स्फूर्ति के लिए उत्तम होता है। अगर पानी बड़ी तेजी के साथ पंप हो कर अनगिनत मोड़ों के चक्कर लगाकर सीसे या प्लास्टिक की पाइप के सहारे आपके घर तक पहुंचता है तो इन सब मोड़ों से रगड़ाते-टकराते गुजरने के कारण उसमें काफी नकारात्मकता समा जाती है। लेकिन पानी में याददाश्त के साथ-साथ अपने मूल रूप में वापस पहुंच पाने की शक्ति भी है। अगर आप नल के इस पानी को एक घंटे तक बिना हिलाये-डुलाये रख देते हैं तो नकारात्मकता अपने-आप खत्म हो जाती है|
7. तांबे और चांदी के बैक्टीरिया-नाशक गुण और भी अधिक हो जाते हैं, जब यह धातुएं ’नैनो’ रूप में हों, क्योंकि इस रूप में धातु की सतह को लाखों गुना बढ़ाया जा सकता है। इस वजह से धातु की बहुत कम मात्रा से काम चलाया जा सकता है। ’नैनो-तांबा’ और ’नैनो-चांदी’ पर हुई शोध से यह परिणाम पिछले 10-15 सालों में ही सामने आए हैं और इन्हें वाटर-फिल्टर और एयर-फिल्टर टेक्नालजी में अपनाया जा चुका है। लेकिन विडम्बना यह है कि लोग महंगे-महंगे वाटर-फिल्टर लगवा कर उसका पानी पीना पसंद करते हैं, न कि तांबे के बरतन में रखा पानी। अपने को पढ़ा-लिखा और आधुनिक कहने वाली यह पीढ़ी पुराने तौर-तरीकों को दकियानूसी करार देने में शेखी समझती है, और जब इस पर पश्चिम की मुहर लग जाती है तो उसे सहर्ष गले लगा लेती है।
**** मटके का घड़ा भी होता हैं लाभकारी —
गर्मियां आते ही ठण्डे पानी के ना होने से प्यास नहीं बुझती और हम फ्रीज में पानी रखना शुरू कर देते है पर यह पानी बहुत ज़्यादा ठंडा होने से नुकसान करता है, वात बढाता है, इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल भी पानी रखने के लिए सुरक्षित नहीं होती मिटटी से जुड़ने के लिए मटके का इस्तेमाल करेंगे तो ये सब फायदे देखने को मिलेंगे —    
***पानी सही तापमान पर रहता है ना बहुत अधिक ठंडा ना गर्म
**** मिटटी में शुद्धिकर्ण का गुण होता है जिससे मटके का पानी पीने से तुरंत संतुष्टि होती है
**** यह पानी को सूक्ष्म पोषक तत्व देता है यदि आपको RO या फ़िल्टर का पानी पीने की आदत है तो भी आरओ या फ़िल्टर का पानी मटके में डाल कर ऐसी जगह रख लें जहाँ मटके को हवा न लगे
**** मिटटी के मटके से पीने से ना ही गला खराब होगा ना ही सिरदर्द होगा
****बिजली की बचत होगी और भरपूर ठंडा पानी नैसर्गिक रूप से उपलब्ध होगा
**** सबसे अच्छी बात, कुम्हारों को रोज़गार मिलेगा इसके इलावा भारतीय संस्कृति, जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ कही जाती है, उस संस्कृति से दूर भागती युवा पीढ़ी को मिटटी से जोड़ने का कार्य यही चीजें करती हैं अतः घर में इस प्रकार की वस्तुएं होना जरूरी है घर के बाहर भी पानी से भरा मटका रखवा देने से प्यासों को मुफ्त पानी मिलेगा और हमें पुण्य ध्यान रहे कि हमारी भारतीय संस्कृति में पानी बेचना भयंकर पाप माना जाता है।।

1 COMMENT

  1. Kisne kah diya ki ro ka pani hamari body ke liye kharab hota hai, ak bar mujhse bat to kro, hr question ka answer hai mere pass. Mera mobile no. hai-98875664.1.call kr or puch ki ro ka pani kya hota hai, tb me bataunga ki ro ka pani kya hota hai.

    • आपके प्रश्न का समय मिलने पर में स्वयं उत्तेर देने का प्रयास करूँगा…
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      For Palm Reading/ Hastrekha–2500/-
      ——————————————
      (A )MY BANK a/c. No. FOR- PUNJAB NATIONAL BANK- 4190000100154180 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE—PUNB0419000;;; MIRC CODE—325024002
      ======================================
      (B )MY BANK a/c. No. FOR- BANK OF BARODA- a/c. NO. IS- 29960100003683 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE—BARBOJHALRA;;; MIRC CODE—326012101
      ————————————————————-
      Pt. DAYANAND SHASTRI, LIG- 2/217,
      INDRA NAGAR ( NEAR TEMPO STAND),
      AGAR ROAD, UJJAIN –M.P.–456006 –
      – मोबाइल–09669290067 ,
      –वाट्स अप -09039390067 ,

  2. श्रीमान जी को नमस्कार
    सर मैं आपसे निवेदन करूंगा मेरी भाभी जी की एक किडनी में स्टोन हो जाने के कारण किडनी को निकाला गया अब आगे मैं उसे कौन से तरीके का पानी पीने के लिए दिया जाना चाहिए मुझे बहुत जल्दी इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करें सर आपकी अति कृपा होगी

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