**** वास्तु मत्स्य यंत्र **************
अनेक लोगों के मकान, भवन या फ्लैट आदि वास्तु के अनुकूल नहीं बने होते। उन्हें तोड़-फोड़ कर वास्तु के अनुकूल बनाया जाना संभव नहीं होता, किन्तु वे वास्तुदोष का निवारण भी चाहते हैं। ऐसे लोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिरे होते है।
कभी- कभी अज्ञानतावश पहली मंजिल तक भवन निर्माण हो गया, पर रात्रि में खट-खट की – सी आवाजें आती हैं। कई बार निर्माण में निरंतर रुकावटें आने के कारण आगे का कार्य रुक जाता है अथवा मकान बन जाने पर धन की हानि और बुरे-बुरे सपने आते हैं, बार – बार अग्निकाण्ड की घटनाएं घटित होती हैं, कार्यालय/फैक्ट्री में अनायास मशीनों में टूट-फूट/खराबी आ जाती हैं, कार्यालय में जाने-बैठने का दिल नहीं करता अथवा कार्यालय में बैठने से नींद-सुस्ती आती है। इन सभी समस्याओं के समाधान हेतु माँ गायत्री की शक्ति से परिपूर्ण
‘ प्राण-प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र ‘ आप अपने घर या कार्यालय में स्थापित करवा लें तो यह शुभ एवं कारगर सिद्ध होगा
उपर्युक्त यंत्र चांदी के 5″ × 5″ के पतरे पर शुद्ध तिथि एवं शुभ नक्षत्र में उत्कीर्ण ( खुदवायें ) करवाएं।
कभी- कभी अज्ञानतावश पहली मंजिल तक भवन निर्माण हो गया, पर रात्रि में खट-खट की – सी आवाजें आती हैं। कई बार निर्माण में निरंतर रुकावटें आने के कारण आगे का कार्य रुक जाता है अथवा मकान बन जाने पर धन की हानि और बुरे-बुरे सपने आते हैं, बार – बार अग्निकाण्ड की घटनाएं घटित होती हैं, कार्यालय/फैक्ट्री में अनायास मशीनों में टूट-फूट/खराबी आ जाती हैं, कार्यालय में जाने-बैठने का दिल नहीं करता अथवा कार्यालय में बैठने से नींद-सुस्ती आती है। इन सभी समस्याओं के समाधान हेतु माँ गायत्री की शक्ति से परिपूर्ण
‘ प्राण-प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र ‘ आप अपने घर या कार्यालय में स्थापित करवा लें तो यह शुभ एवं कारगर सिद्ध होगा
उपर्युक्त यंत्र चांदी के 5″ × 5″ के पतरे पर शुद्ध तिथि एवं शुभ नक्षत्र में उत्कीर्ण ( खुदवायें ) करवाएं।
************** प्राण प्रतिष्ठा ****************
वास्तु मत्स्य यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा-विधि जटिल है। इसलिए इसे किसी विशेषज्ञ की ही देखरेख में
प्राण-प्रतिष्ठित करवाएं।
प्राण-प्रतिष्ठित करवाएं।
निर्मित यंत्र को शुद्ध गंगाजल से धोकर और स्वच्छ वस्त्र से पोंछ कर 5 किलो साफ चावलों में रखें। फिर धूप-दीप प्रज्वलित करके कम्बल के आसन पर पूर्वाभिमुख होकर गायत्री मन्त्र का ..08 बार जप करें। यह सभी कार्य शुद्ध नक्षत्र सूर्य में ही होना चाहिए। ( सूर्य नक्षत्र से क्रमसः . हानि, 3 सिद्धिदायक, 4 शुभमय, 4 इष्टप्राप्ति, 3 हानिकारक, 3 इष्टप्राप्ति, 4 धनप्राप्ति, 3 अशुभ। )
अब यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में सवा किलो पंचामृत ( दूध, दही, शुद्ध घी, शहद और शक्कर ) में रखकर 1008 बार गायत्री मन्त्र का जप करें। इस प्रकार यह यंत्र प्राण-प्रतिष्ठित अर्थात जागृत हो गया। अब इस जागृत यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में मकान या फ्लेट के ईशान कोण में यथावत नवग्रह, वास्तु, इष्ट-पूजन एवं हवन करके भूमि में गाड़ दें। ( बहुमंजिले फ्लेट में ईशान दिशा में मंदिर में स्थापित करें ) इस विधि से प्राण -प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र आप के घर में स्थापित हो गया।
अब यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में सवा किलो पंचामृत ( दूध, दही, शुद्ध घी, शहद और शक्कर ) में रखकर 1008 बार गायत्री मन्त्र का जप करें। इस प्रकार यह यंत्र प्राण-प्रतिष्ठित अर्थात जागृत हो गया। अब इस जागृत यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में मकान या फ्लेट के ईशान कोण में यथावत नवग्रह, वास्तु, इष्ट-पूजन एवं हवन करके भूमि में गाड़ दें। ( बहुमंजिले फ्लेट में ईशान दिशा में मंदिर में स्थापित करें ) इस विधि से प्राण -प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र आप के घर में स्थापित हो गया।
इस यंत्र निकलने वाली पॉजिटिव तरंगे आप तुरंत अनुभव कर सकेंगे। दुष्ट शक्तियां, नीचस्थ जिव, गण आदि जो निरंतर मनुष्य- जीवन पर दुष्प्रभाव डालते और कष्ट पहुँचाते रहते हैं, वे ‘ जागृत वास्तु ‘ मत्स्य यंत्र – स्थापित घरों से डरकर दूर भाग जातें है। इस यंत्र के प्रभाव से निम्नकोटि के तंत्रिका प्रयोग , टोटके एवं बंधन आदि भी तुरंत निष्फल हो जाते हैं ।।
(ध्यान रखें—इस यंत्र का फोटो अटेच किया हैं)
वास्तु सलाहकार- पं. दयानन्द शास्त्री।।