देवाधिदेव भगवन शिव की उपासना मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष की प्राप्ति के समान है। भगवान शिव से जिसने जो चाहा उसे प्राप्त हुआ। महामृत्युंजय शिव की कृपा से मार्कण्डेय ऋषि ने अमरत्व प्राप्त किया और महाप्रलय को देखने का अवसर प्राप्त किया।शास्त्रों में निहित पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो अन्य देवताओं के संकटों को भी हर लेते है। अतः उन्हें महादेव कहा जाता हैं। महादेव शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सृष्टिकर्ता हैं।
इस वर्ष शिवरात्रि का पर्व 17 फरवरी 2015 (मंगलवार) को और श्रवण नक्षत्र के योग में होगा। यह योग 20 वर्षो के बाद बन रहा है। इस कारण इस साल शिवरात्रि पर्व बेहद खास होगा।शिवअराधना के महापर्व पर इस वर्ष विशेष फल प्रदान करने वाला महामंगल योग बनेगा। महाशिवरात्रि के पहले और बाद के दिन बनने वाले योग भी भोलेनाथ के भक्तों की खातिर पूजा-अर्चना के विशेष संयोग लेकर आएंगे।
शिवरात्रि का पर्व 17 फरवरी 2015 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार शिवरात्रि पर मंगलवार का दिन और श्रवण नक्षत्र का योग वर्ष 1995 की शिवरात्रि में पड़ा था। उनके अनुसार मंगलवार का दिन भोलेनाथ को अधिक प्रिय होता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष शिवरात्रि की दूसरी खासियत यह है कि यह शिवरात्रि प्रदोष (त्रयोदशी) से युक्त होगी। 17 फरवरी को दोपहर 12 बजकर .5 मिनट के बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। साथ ही दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बाद श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा। यह संयोग 58 वर्षो के बाद बन रहा है। वर्ष 1957 में भी चतुर्दशी तिथि त्रयोदशी और श्रवण नक्षत्र से युक्त थी। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा होता है। भगवान शिव चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं, इसलिए इस वर्ष दो-दो योग मंगल और श्रवण नक्षत्र योग और प्रदोष में श्रवण नक्षत्र का योग शिव भक्तों पर अधिक कृपा बरसाएगा।
तीन दिनों तक पूजा का विशेष महत्व—
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस वर्ष लगातार तीन दिनों तक पितृ पूजा, कालसर्प पूजा और नागबलि-नारायण बलि कर्म एवं भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व रहेगा। 16 फरवरी को सोम प्रदोष व्रत, 17 फरवरी मंगलवार को प्रदोष युक्त शिवरात्रि और 18 फरवरी को बुधवारी अमावस्या विशेष फलदायी है। उज्जैन (मध्यप्रदेश) के गंगाघाट , रामघाट एवं सिद्धवट क्षेत्रों पर यदि इन दिनों पितृ पूजा, कालसर्प पूजा एवं नागबलि-नारायण बलि कर्म किया जाये तो अधिक फलदायी होता हैं..
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि से एक दिन पहले 16 फरवरी को भगवान शिव पर हल्दी, मेंहदी और तिलक की रस्म अदा करने वाली युवतियों के लिए विवाह की मनोकामना का फलदायी संयोग है। इस पूजा के बाद 17 फरवरी को भस्म आरती के बाद कलश अभिषेक करके विभिन्न संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है।
महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का अभिषेक करने के बाद उनका दूल्हे के रूप में श्रृंगार करने से भगवान शिव की अवश्य कृपा प्राप्त होती है। पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस बार सोम प्रदोष के बाद मंगलवार को शिवरात्रि और बुधवार को अमावस्या के साथ त्रिदिवसीय संयोग बना है। इससे अलावा मंगलवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि एवं रवि योग के साथ रहा है। यह महामंगल योग सभी के लिए मंगलमय साबित होगा।
खेती-किसानी और नए कार्यों के लिए शिवरात्रि लाभदायी—-
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार को अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि एवं रवि योग के साथ पड़ रहा है। यह योग किसानों के लिए विशेष फलदायी माना गया है।
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार सफेद और पीली वस्तुओं की उपज लेने वाले किसानों को अपनी मेहनत का अच्छा लाभ प्राप्त होने का अवसर बनता है। इसी तरह अमृत सिद्धि योग से सुख-शांति होगी,वहीं सर्वार्थ सिद्धियोग में नए कार्य करने के लिए इस योग को बेहद श्रेष्ठ समय माना गया है। इस समय का लाभ लेकर नवीन व्यवसाय करने वालों की जल्द ही मनोकामना पूरी होती है।
पुराणों में कहा है कि जो मनुष्य वर्ष भर में कभी भी उपवास नहीं करता है, लेकिन वह शिवरात्रि पर व्रत रखता है तो उसे सालभर उपवास रखने का फल प्राप्त हो जाता है। शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के साथ ही गंगा स्नान और दान का अधिक पुण्य माना जाता है।
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टि से चतुदर्शी (1+4) अपने आप में बड़ी ही महत्वपूर्ण तिथि है। इस तिथि के देवता भगवान शिव हैं। जिसका योग 5 हुआ अर्थात् पूर्णा तिथि बनती है, साथ ही कालपुरुष की कुण्डली में पांचवां भाव भक्ति का माना गया है।
इस व्रत में रात्रि जागरण व पूजन का बड़ा ही महत्व है। इसके पश्चात् सुगंधित पुष्प, गंध, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप-दीप, भांग, नैवेद्य आदि द्वारा रात्रि के चारों पहर में पूजा करनी चाहिए।
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जानें इस शिवरात्रि पर हर मन्नत पूरी करने के लिए किस राशि के लोग क्या करें?
किस्मत चमकाने के लिए आपको अपनी राशि अनुसार शिव पूजा करनी चाहिए? ऐसी पूजा शिवरात्रि के दिन होती है जिसमें राशि अनुसार भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस शिवरात्रि पर अगर आप अपनी राशि के अनुसार रूद्रभिषेक करें तो आपको विशेष फल प्राप्त होगा।
मेष- इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। या कुमकुम के जल से अभिषेक करें।वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है।
मिथुन- इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करें तो जल्दी ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
कर्क- इस राशि के शिवभक्त अपनी राशि के अनुसार घी या दूध से अभिषेक करें।
सिंह- सिंह राशि के व्यक्ति लाल चंदन के जल से शिव जी का अभिषेक करें।
कन्या- इस राशि के व्यक्तियों को अपने अनुसार अनेक तरह की औषधियों से अभिषेक करनl चाहिए इससे आपके सभी रोग खत्म हो जाएंगे।
तुला- इस राशि के जातक घी और इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें
वृश्चिक- शहद से शिव जी का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है।
धनु- इस राशि के जातकों को दूध में हल्दी मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
मकर- आप अपनी राशि के अनुसार तिल्ली के तेल से शिव जी का अभिषेक करें तो आपको हर काम में सफलता मिलेगी।
कुंभ- इस राशि के व्यक्तियों को नारियल के पानी या सरसों के तेल से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
मीन- इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें।
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पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस महाशिवरात्रि ( 17 फरवरी 2015 (मंगलवार) को) पर करें यह उपाय और पाएं लाभ —-
—-महाशिवरात्रि के दिन गाय के कंडे को प्रज्जवलित करके घी व मिश्री के द्वारा पंचाक्षर मंत्र से हवन करके हवन की धुनी को संपूर्ण घर में घुमाने से सुख – समृद्धि शांति व सद्भावना में वृद्धि होती है।
—–यदि कन्या के विवाह में अनावश्यक विलंब हो रहा हो तो कन्या के माता – पिता मंदिर में जाकर 108 बेल पत्रों से शिवलिंग की पूजा करें तथा उसके बाद 40 दिन तक घर में शिव आराधना करें, तो कन्या का विवाह जल्दी व अच्छे परिवार में होना निश्चित है।
——शास्त्रों के अनुसार काल – सर्प दोष निवारण हेतु महाशिवरात्रि के दिन प्रातः चांदी या तांबे से बने नाग व नागिन के जोडे को शिवलिंग पर अर्पित कर दें।
—-महाशिवरात्रि क्रे दिन प्रातः पीपल के पेड की सरसों के तेल द्वारा प्रज्जवलित दिये से पूजा अर्चना करने से शनि दोष दूर होता है।
—-महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखकर चारों पहर पंचाक्षर मंत्र की एक रुद्राक्ष माला का जाप करने से दरिद्रता मिट जाती हैं।
(अष्टदरिद्र विनाशितलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्। )