जानिए की क्या करें इस गुरु पुष्य नक्षत्र (.6 -1. -.014 ) पर..???
क्या हैं विशेष इस गुरु पुष्य नक्षत्र (16 -10 -2014 ) पर..???


==पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री…


सोने की खरीदारी के लिए गुरु पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ माना जाता है। इधर सोने की कीमतें लगातार गिरती जा रही है। पिछले दिनों में जेवराती सोने की कीमत घटकर बहुत निम्न स्तर पर आ चुकी है। कीमतें घटने और दीपावली सीजन में गुरु पुष्य नक्षत्र (16 -10 -2014 ) में खरीदारी का महासंयोग आया है जिससे सराफा बाजार में अच्छी खरीदारी होने की संभावना है।  इस हिसाब से दो दिनों तक पुष्प नक्षत्र रहेगा। पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के मुताबिक इस महासंयोग में की गई खरीदारी चिरस्थायी होगी।


पुष्य नक्षत्र, नक्षत्रोमें श्रेष्ठ है, जो सिंहके समान माना गया है । अतः पुष्य नक्षत्रमें हर प्रकारके शुभ कार्य सम्पन्न करनेके निर्देश है । रवि और गुरु पुष्य नक्षत्रका विशेष महत्व बतलाया गया है । रवि पुष्य एवं गुरु पुष्यमें वाणिज्य कर्म एवं साधना कर्म करने को विशेष रुपसे शुभ माना गया है । शुभ विवाह पुष्य नक्षत्रमें निषेध माना गया है ।


गजकेशरी योग के साथ 95 साल बाद गुरु पुष्य पर राजयोग बनेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस बार दीपावली से सात दिन पहले लगभग 27 घंटे खरीदी का महामुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र रहेगा। 


उन सभी व्यापारी बंधुओं को इस शुभ दिन पर बहीखाते जरूर खरीदने चाहिए जो अपना हिसाब-किताब कंप्यूटर के आलावा अपनी बही में रखते हैं..


सोना खरीदना होगा शुभ—-


ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री ने बताया कि गुरु पुष्य नक्षत्र (16 -10 -2014 ) को सुबह  10:47 से गुरु पुष्य नक्षत्र शुरू होकर 17 अक्टूबर को सुबह  सूर्योदय तक रहेगा। इस नक्षत्र में खास बात यह है कि गुरु के साथ पुष्य अमृत योग एवं सर्वार्थ सिद्धी योग का विशेष मुहुर्त है। 
इस दिन चन्द्रमा कर्क राशि में रहेगा एवं  अष्टमी तिथि होने के साथ साथ पुनर्वसु नक्षत्र का प्रभाव भी दिन भर रहेगा..
इस बार यह पुष्य नक्षत्र 17 अक्टूबर को सुबह  सूर्योदय तक रहेगा। 
इस मुहुर्त में स्पर्ण आभूषणों की खरीदी को सबसे शुभ माना गया है।


धनतेरस से पहले लोग दो दिन तक बाजार से पुष्य नक्षत्र के संयोग में खरीदारी कर सकेंगे। 16 अक्टूबर को बनने वाला गुरु पुष्य योग सभी के लिए बहुत खास रहेगा। इस पुष्य नक्षत्र पर गुरु उच्च राशि में रहेगा और चंद्रमा भी साथ होने से गजकेद्गारी राजयोग का संयोग बन रहा हैं।


इस हिसाब से दो दिनों तक पुष्प नक्षत्र रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार इस महासंयोग में की गई खरीदारी चिरस्थायी होगी।सोने की कीमतें गिरने से स्पर्ण आभूषणों में खरीदारी बढ़ने लगी है। शादियों का सीजन नजदीक है। ऐसे में कीमतों में गिरावट आने से ग्राहकों भी बहुत खुश हैं.. 


ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार पुष्य नक्षत्र के समय जो भी वस्तु खरीदी जाती है, वह शुभ रहती है। इस बार गुरु पुष्य नक्षत्र दीपावली के त्योहार से कुछ दिन पहले पड़ रहा है, जिसका महत्व अन्य पुष्य नक्षत्र की तुलना में अधिक रहेगा। त्योहार से चंद दिन पहले पड़ने वाले इस शुभ संयोग से बाजार में उत्साह नजर आ रहा है। ज्वेलरी, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक, गारमेंट्स सेक्टर ने इस दिन होने वाली बिक्री के लिए पूरी तैयारी कर ली है। व्यापारियों की मानें तो इस बार पुष्य नक्षत्र पर पहले की तुलना में ज्यादा बिक्री की उम्मीद है।इसी के चलते पाली धातु सोना, पीतल की खरीदारी अधिक शुभ रहेगी।


सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि के साथ बन रहे पुष्य नक्षत्र में सोना, सोयाबीन, पीले कपड़े, आभूषण और मांगलिक कार्यों की खरीदारी करना श्रेष्ठ रहेगा। धन तेरस से पहले खरीदारी का ये महामुहूर्त स्टेशनरी, बहीखाते, इलेक्ट्रनिक सामान, मोबाइल, कं’यूटर और भूमि,भवन, वाहन खरीदने के लिए भी शुभ हैं। ये शुभ संयोग शेयर मार्केट, स्टाक एक्सचेंज और व्यापारिक सौदों के लिए भी खास हैं।
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शुभ मुहूर्त चौघड़ि‍या अनुसार—–


16 अक्टूबर (गुरुवार)—–
प्रात: 10:.0 बजे से12 तक चर व 12 बजे से1:30 तक लाभ और अमृत चौघड़ि‍या दोपहर 1:30 से दोपहर 3 बजे तक व 4:30 से 6 बजे तक शुभ है।


स्थिर लग्न अनुसार 16 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 2:52 से 4:25 कुम्भ लग्न व सायं 7:36 से 9:34 वृषभ लग्न रहेगी।


17 अक्टूबर (शुक्रवार) को—–
प्रात: 6 बजे से 10:30 तक चर, लाभ और अमृत , दोपहर 12 से 1:30 शुभ 4:30 से 6 बजे तक चर।
स्थिर लग्न अनुसार 17 अक्टूबर शुक्रवार को दोपहर 2:48 से 4:21 कुम्भ लग्न व सायं 7:32 से 9:30 वृषभ लग्न रहेगी।
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वार और नक्षत्रों के विशेष संयोग—–


यह योग वार और नक्षत्रों के विशेष संयोग से मिलकर बनता है। गुरुवार को अगर अश्र्विनी, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा और रेवती होतो सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग बनते है।ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना गया है। देवताओं के गुरु बृहस्पति इस नक्षत्र के स्वामी है।




सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग——-


गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग गुरु पुष्य नाम का अत्यंत शुभ योग सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग बनाता है। इस योग में खरीददारी, बैंक से संबंधित कार्य, नया व्यापार-अफिस शुरू करना, पूजा-पाठ, संबंधित शुभ कार्य करने से उन कार्यों के पूरे परिणाम प्रा’त होते हैं। इस महामुहूर्त में खरीदारी से घर में लक्ष्मी का वास होगा, इस योग में खरीदी गई वस्तुएं आपके लिए ज्यादा लाभकारी सिद्ध होंगी। इस दिन आप किसी भी नए कार्य की शुभ शुरुआत कर सकते हैं।तो सर्वार्थसिद्धि योग बनता है।




गजकेसरी राजयोग——


ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार यह योग राजयोग की श्रेणी में आता हैं। एक ही राशि में गुरु के साथ चंद्रमा की युति होने से ये योग बनता हैं। चंद्रमा और गुरु के क्कष्टि संबंध से भी ये योग बनता हैं। पुष्य नक्षत्र के राजयोग का संयोग होना बहुत शुभ हैं। इस शुभ संयोग पर मांगलिक कार्यों की खरीदारी करने से धन लाभ होता है। गजकेसरी योग के प्रभाव से धन लाभ तो होता ही है साथ ही पद और प्रतिष्ठा भी मिलती हैं। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस शुभ संयोग का होना बहुत शुभ माना जा रहा है।


सुबह 10:47 बजे से पुष्य नक्षत्र—-
16 अक्टूबर को सुबह 10:47 बजे से पुष्य नक्षत्र लगेगा। गुरुवार होने से ये गुरु पुष्य कहलाएगा। चंद्रमा के पुष्य नक्षत्र में होने से पुष्य योग बनता हैं। शुक्रवार को दोपहर 1:36 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। दूसरे दिन शुक्रवार होने से इसे शुक्र पुष्य भी कहेंगे। शुक्र पुष्य योग भी खरीदारी के लिए अच्छा माना जाता हैं…


ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार ये संयोग 95 साल पहले 16 अक्टूबर 1919 को बना था। अब अगले 70 सालों तक ऐसा संयोग नहीं आएगा। अब ऐसा संयोग 11 अक्टूबर 2085 को बनेगा।

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