क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का शपथ ग्रहण गलत मुहूर्त (समय) पर हुआ था..???
–ध्यानपूर्वक गंभीरता से पढ़कर मनन-चिंतन करें…!!!!


==सहयोग एवं आभार–सिद्धार्थ जगन्नथ जोशी (बीकानेर) एवं स्वामी आनंद शिव मेहता(इंदौर)==


पिछले महीने यानी .6 मई 2..4 सोमवार सायं 6 बजे बहुत ही शुभ योग सोम प्रदोष पर नरेन्द्र मोदी देश की सेवा की शपथ, यानी भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी…
सर्व विदित हैं की सनातनी परंपरा में मुहूर्त का सर्वाधिक महत्व है। भारत के नए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 26 मई को शाम 6 बजकर 11 मिनट पर दिल्‍ली स्थित राष्‍ट्रपति भवन के प्रांगण में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनके बाद उनके पूरे मंत्रिमण्‍डल ने शपथ ली। चुनाव परिणाम 16 मई को आ चुके थे, इसके बाद चयनित संगठन द्वारा शपथ ग्रहण में इतना विलंब किए जाने के कई अर्थ निकाले गए। इसी प्रकार ज्‍योतिषियों ने भी अपने अनुमान लगाए। 


मोदी के साथ 45 अन्य मंत्रियों ने भी समारोह में पद और गोपनियता की शपथ ग्रहण की।
मोदी सहित कुल 46 में से .6 मंत्रियों ने हिन्दी में शपथ ली जबकि अन्य 10 ने अंग्रेज़ी में शपथ ग्रहण की..


शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद ही  श्री मोहन भागवत और स्वर्गीय मंत्री श्री गोपीनाथ मूंदे के साथ हुयी दुर्घटनाओ ने सोचने पर मजबूर कर दिया हैं की कही शपथ ग्रहण के मुहूर्त चयन में कोई चूक -गड़बड़ी तो नहीं हुयी..!!!


16 मई 2014 को आम चुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद 20 मई को मोदी भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले। मुखर्जी ने मोदी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। भाजपा ने इस चुनाव में 282 सीटें जीती हैं जबकि उनके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने कुल 335 लोक सभा सीटों पर जीत दर्ज की। यह १९८४ के चुनाव के बाद अब तक का सबसे अधिक बहुमत है जो किसी एक पार्टी अथवा दल को मिला हो। १९८४ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विजयी रही थी।
तब मोदी ने २६ मई २०१४ को शाम ०६:०० बजे शपथ ग्रहण करने की घोषणा की।


उस समय..उस दिन  ज्योतिषीय गणना के आधार पर सायं छह बजे गोधुली बेला, तुला लग्न मेष राशि, भरणी नक्षत्र का संयोग है। सबसे अहम बात यह है कि 26 मई 2014 सोमवार को तीसरे पहर 4.37 से रात 11.27 बजे तक यायीजय योग बन रहा है। यह योग अपने आप में शपथ ग्रहण के लिए महायोग है।


यह मुहूर्त प्रधानमंत्री के लिये दीर्घगामी शुभ प्रभाव देने वाला तथा सभी अरिष्ट मुहूर्त व मुहूर्त के दोषों का शमन करने वाला है. यह दीर्घकाल तक शक्तिशाली शासन का सौभाग्य देने वाली ग्रह स्थिति का अभूतपूर्व ‘मुहूर्त ’ बना है.नरेंद्र मोदी का लकी डे सोमवार है। वजह यह कि उनका भाग्येश चंद्रमा है।


मोदी की कुंडली में भाग्येश चंद्रमा जिसने उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया, सौभाग्यत: सोमवार का दिन इस महायोग में चार चांद लगा रहा है। इस तिथि को ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी सोम प्रदोष शिवरात्री है । 


विशेषत: तुला लग्न में शनि व राहु की युति बृहस्पति तथा शुक्र की लग्न पर दृष्टि, यह योग स्पष्ट कर देती है कि प्रधानमंत्री की कार्यशैली न्यायप्रिय, ईमानदार व राष्ट्र को सशक्त बनाने वाली होगी। इससे विदेशों में भारत का प्रभुत्व, विश्व पटल पर परचम लहराने वाला तथा विदेश नीति, कूटनीति और सैन्य क्षमता में मजबूती, आत्मनिर्णय असाधारण प्रकृति का तथा आम जनमानस को संतुष्टि व सभी पहलुओं पर अच्छी विचारधारा का संकेत देती है। यह योग भारत की संप्रभुता और अखंडता को बली बनाएगा। यहीं पर व्यय भाव का मंगल स्वास्थ्य व विरोधियों से कुछ समस्याएं भी ले आएगा फलत: विरोधियों का पराभव करने वाला होगा।


सूर्य, चंद्र, मंगल और बृहस्पति का मेल :—
ज्योतिष का एक सिद्धांत है कि कोई भी राजयोग बिना सूर्य व चंद्र के क्रियान्वित नहीं होता। नमो की वृश्चिक लग्न व वृश्चिक राशि की कुंडली में चार बड़े ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल व बृहस्पति हैं। अब देखें इससे पहले नरेंद्र मोदी के लिए गए शपथ के वारों को तो गुजरात में पहली बार उन्होंने 7 अक्टूबर 2001 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जिस दिन रविवार था। इसके बाद 22 दिसंबर 2002 व 23 दिसंबर 2007 को भी शपथ रविवार के दिन ली गई। 20 दिसंबर 2012 को बतौर सीएम नमो ने गुरुवार को शपथ ग्रहण ली, और अब सोमवार सोम प्रदोष को शपथ ।


सभी गोचरीय ग्रहों की चाल को देखा जाये तो ऐसी ग्रह स्थिति का उदय हो रहा है कि इस मुहूर्त में प्रधानमंत्री पद की शपथ के परिणाम शासक के साथ-साथ देश के लिये यश, कीर्ति तथा चतुर्मुखी विकास वाले होंगे. इस समय प्रधानमंत्री पद की शपथ लेना देश के भविष्य के लिये बहुत दूरगामी तथा सुखकारी परिणाम वाला होगा. ज्योतिषीय गणनाएं बताती हैं कि वे देश की राजनीति को न सिर्फ नई दिशा देंगे अपितु अपने विरोधियों के सभी कुचक्र अपनी कार्यकुशलता से कुचलते हुए उच्च आदर्श भी स्थापित करेंगे.


शपथ ग्रहण के समय को लेकर बहुत रोचक बातें सामने आती हैं। सबसे प्रमुख बात है शुक्र का मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश। दूसरा तुला लग्‍न के समाप्‍त होने के समय में शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू करना और पहले नौ मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण किए जाने के बाद लग्‍न का बदल जाना। तीसरा महत्‍वपूर्ण बिंदू है शपथ ग्रहण के लिए सुबह का समय यानी जब सूर्य लग्‍न में हो, लेने के बजाय शाम के समय का चुनाव करना। आइए देखते हैं कि इन सभी गैर परम्‍परागत बिंदुओं को क्‍यों शामिल किया गया… पहले देखते हैं उस क्षण की कुण्‍डली जब मोदी शपथ ग्रहण कर रहे थे…


तुला लग्‍न में कारक ग्रह शनि होता है। लंबे समय से शनि और राहू तुला राशि में ही बने हुए हैं। ऐसे में शुद्ध या कहें राहू से मुक्‍त शनि प्राप्‍त करना व्‍यवहारिक रूप से संभव नहीं था। अब बात करें राहू और शनि की युति की, इसे काटवे ने इच्‍छाधारी सर्प की संज्ञा दी है। जातक कुण्‍डली में शनि राहू युति वाला जातक किसी भी प्रकार की स्थिति में खुद को ढाल लेने की क्षमता वाला होता है। 


अब हमें यह देखना होगा कि नरेन्‍द्र मोदी और उसके मंत्रिमण्‍डल का शपथ ग्रहण हमें क्‍या क्‍या सूचनाएं दे सकता है। इसे इस प्रकार समझिए कि यह वो क्षण है जब वह सरकार बनाते हैं, जो सरकार जनता की सेवा करेगी। यह एक पंचवर्षीय नौकरी का बांड है, यह बांड भी स्‍थाई नहीं है। घोटालों या जनता के विरोध में यह बांड बीच में निरस्‍त भी किया जा सकता है। ऐसे में यह शपथ केवल पंचवर्षीय अस्‍थाई नौकरी के लिए ली गई है। 


ऐसे में हमारे विश्‍लेषण का आकार भी इसी पांच सालों के भीतर ही रहेगा। इसी के साथ छह बजकर ग्‍यारह मिनट की जो कुण्‍डली बनी है, वह केवल सरकार के मुखिया की है, ऐसे में पूरी सरकार इसी से चले, यह मानना भी ठीक नहीं होगा। आज मोदी की स्थिति और पूर्ण जनादेश देखकर कोई भी यह कह सकता है कि सरकार तो पूरे पांच साल चलेगी, या मोदी पांच साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे, लेकिन शपथ ग्रहण के समय की कुण्‍डली के लिए यह कोई बाध्‍यता नहीं है। 


साथ ही मोदी के व्‍यक्तित्‍व, कृतित्‍व और सरकार से इतर संबंध इस कुण्‍डली से परे होंगे। ऐसे में हम जिस स्थिति का आकलन कर रहे हैं, वह केवल इस शपथ ग्रहण से संचालित होने वाले एक सीमित दायरे के भीतर ही होगी। 


अब वापस कुण्‍डली पर आते हैं। तुला लग्‍न में वक्री शनि और राहू की युति हमें बताती है कि यह सरकार या शपथ लेने वाला मंत्रिमण्‍डल का प्रधान बेहतरीन रणनीतिकार होगा, इसके बावजूद उसके अधिकांश कार्य गुप्‍त होंगे। 


शपथ ग्रहण का समय दस दिन तक आगे ले जाने का प्रमुख कारण यह रहा कि तब शुक्र उच्‍च का छठे यानि शत्रु भाव में बैठा था। जब शुक्र का गोचर मेष राशि में हो गया, तब छठे भाव का अधिपति भी पीडि़त हो गया, लेकिन इसके साथ एक दूसरी समस्‍या भी पैदा होती है, मोदी को अपने ही मंत्रिमण्‍डल में अपने शत्रु शामिल होंगे। क्‍योंकि अरिभाव का स्‍वामी शुक्र खिसककर सातवें भाव में पहुंचा है। 


एकादश भाव का अधिपति सूर्य अष्‍टम स्‍थान में होने से यह निष्‍कर्ष निकलता है कि मंत्रिमण्‍डल के कार्य शुरू करने के साथ ही जनता में उसकी लोकप्रियता तेजी से घटेगी। एकादश भाव मण्‍डेन में आम जनता से जुड़ा भाव है। इसका दूसरा अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि आमजन मंत्रिमण्‍डल के निर्णयों से पीडि़त रहेगा। 


एक बार फिर सातवें भाव में चलते हैं, यहां मेष राशि में केतू, चंद्रमा और शुक्र की युति है। इसका एक प्रभाव हम देख चुके हैं कि मंत्रिमण्‍डल में सात महिलाओं को केबिनेट का दर्जा दिया गया है, यहीं पर चंद्रमा यह संकेत करता है कि मंत्रिमण्‍डल में नियंत्रित विस्‍तार और संकुचन होता रहेगा। 


सातवें भाव का केतू कहता है कि मंत्रिमण्‍डल के प्रधान के साथियों में लगातार असंतोष घर किए रखेगा, लेकिन विरोध कभी मुखर नहीं हो पाएगा। सातवें भाव का अधिपति मंगल बारहवें भाव में स्थित है। ऐसे में साथियों के समय समय पर विलग होने की सूचनाएं भी मिलेंगी। यह कहना कठिन बात है, लेकिन मंत्रिमण्‍डल के सहयोगी ही प्रधान को छोड़ देंगे। 


जिस समय मंत्रिमण्‍डल ने शपथ ली उस समय शुक्र का नक्षत्र शुरू ही हुुआ था। लेकिन इस शुक्र का लाभ केवल पहले तीन या चार मंत्रियों को ही मिल पाएगा। क्‍योंकि छह बजकर 14 मिनट पर लग्‍न वृश्चिक राशि में चला गया था। इन चार मंत्रियों के अलावा जितने भी लोगों ने मंत्रिमण्‍डल में शपथ ली है, उनका कार्यकाल अपेक्षाकृत कम रहेगा। 


नवम भाव में गुरु और बुध की युति बताती है कि मंत्रिमण्‍डल के सदस्‍य लगातार विदेशी यात्राएं करेंगे, विदेशों से अच्‍छा प्रभाव लेकर आएंगे। छोटी और अर्थपूर्ण यात्राएं सार्थक सिद्ध होंगी। क्‍योंकि भाग्‍य भाव का अधिपति भाग्‍य भाव में ही बैठा है। 


इस मंत्रिमण्‍डल द्वारा किए जाने वाले प्रयासों का परिणाम बड़े स्‍तर पर मार्च 2016 के बाद ही दिखाई देना शुरू होगा। इससे पूर्व 7 अगस्‍त को कुछ और सकारात्‍मक परिवर्तन दृष्टिगोचर हो सकते हैं। 


ध्‍यान रखने योग्‍य बातें… 
– विरोधी पीडि़त रहेंगे 
– सहयोगी छोड़कर जाएंगे 
– मंत्रिमण्‍डल के निर्णय लोकरंजक नहीं होंगे
– महिला सदस्‍य अच्‍छी संख्‍या में है, इनकी संख्‍या अच्‍छी ही रहेगी
– मंत्रिमण्‍डल के काम काज की प्राथमिकताओं में रसायन, औषधि, इनकम टैक्‍स, सेल्‍स टैक्‍स, रेवेन्‍यू, अदालतें, धार्मिक स्‍थान, अस्‍पताल रहेंगे।


===शपथ ग्रहण के समय की कुंडली (ग्रहों की स्थिति )—-
चित्र में दर्शाए अनुसार—
तुला लग्‍न (Lagna Tula)
लग्‍न गुरू के नक्षत्र व सूर्य के सबलॉर्ड में (Lagna in Jupiter Star and Sun Sublord)
लग्‍न में राहू और शनि की युति
सप्‍तम भाव में मेष राशि में शुक्र, केतू और चंद्र की युति
अष्‍टम में वृष राशि का सूर्य
नवम भाव में मिथुन राशि के गुरु और बुध
द्वादश भाव में कन्‍या का मंगल





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क्या यह मुहूर्त गलत था..????


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार के लिए और 47 दिन और ठीक नही हे \ 
===स्वामी आनंद शिव मेहता(इंदौर)==099260771010
एक बड़ा धमाका ,भूकम्प ,तेज आंधी तूफान से बड़े नुकसान की संभावना \ 
शेयर सेंसेक्स 1500 अंक तक की तेजी मंदी होगी ,प्लेन क्रेश की संभावना 


श्री मोदी जी का शपथ समय ०६=१०=से ०६=११=४५ सेकंड और ०६=१२=४० पर दस्तखत किये \
श्री मुण्डे जी ने १० वे क्रम पर शपथ ०६=३० मिनट से ०६=३१ तक ०६=३१=४५ से.दस्तखत किये \
वृश्चिक लग्न में \ =====


मोदी जी == शपथ ग्रहण समारोह [ याने की राज्याभिषेक ]
==२६=५=२०१४===शाम ६ बजे संभावित ===नक्षत्र भरणी द्व्तीय चरण तिथि त्रियोदशी =


=अश्वपति सिंहासन =आसन पट = पर विराजित =फल शास्त्रानुसार 
=श्री मोदी नीतिमान होकर उच्च अधिकारियो की सलाह से शांति स्थापना करने वाले होंगे


सभी मंत्रियों को बहुत ही धैर्य पूर्वक कार्य इस समय करना चाहिए \ ताकि अनावश्यक बातों से बचा जा सके अभी इस समय विरोधियो को अनावश्यक ही विरोध के कारण मिलेंगे \ सरकार का पक्ष कुछ कमजोर होगा \


आज कृतिका नक्षत्र के दूसरे और तीसरे चरण में सभी मंत्रियो ने अमावश्या तिथि को मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण किया \ अशुभ और अपूर्ण फल अमावश्या देती हे \ कृतिका नक्षत्र पूर्ववर्ती मंत्रियो की तरह ही कार्य प्रणाली प्रदान करता हे \ मेरे तो समझ से परे हे यह \ सम्भव हे इनमे से अनेकों मंत्रियो का कार्यकाल पूर्ण न हो और न ही यह कोई अच्छा कार्य परिस्तिथिवश सम्पन्न कर सके \ आगे श्री रामजी की इच्छा


मेरा मानना उस समय के ग्रहो के वेध को देखते हुवे यह शपथ समय उचित नही हे इस समय सर्वाधिक ग्रह वेध को प्राप्त हे \ जोकि ठीक नही कहे जा सकते हे \ यह मुहूर्त तो श्रेष्ठतम विद्वानो द्वारा ही निर्धरित किया गया होगा \ इस मुहूर्त को सर्वश्रेष्ठतम नही कहा जा सकता हे \ नक्षत्र का अपना प्रभाव हे \ उस समय उदित लग्न का अपना प्रभाव हे \ यदि शम्भव हो सके तो इस समय को आगे पीछे करने पर लग्न में हो रहे वेध से बचा जा सकता हे लग्न वेध सर्वाधिक नुकसान दायक हे \ दिन के ग्रहो के वेध को तो बदल नही सकते मगर समय को तो बदल सकते हे जी \समय बदलने से अनेको अनावश्यक समश्याओ से बचा जा सकता हे ,\
हमारा मानना हे की पुरे कार्यकाल में कोई भी संशय उत्तपन्न न हो =
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नयी सरकार को अगले 04 नवम्बर 2014  तक  खासकर नरेन्द्र मोदी जी को सधे  हुए अंदाज में संयमित और संतुलित मन  मष्तिस्क  से काम लेने की जरुरत होगी ! 
हम आशा करते हैं जिन मार्गदर्शकों ने मोदी जी को ज्योतिषीय मार्गदर्शन दिया है देते आ रहे हैं वे इस ओर सावधानी पूर्वक चलने की सलाह भी जरुर देंगे ! आया हुआ समय सदुपयोग के लिए होता है सेवा के लिए होता है !  


 ॐ स्वस्ति ….
मंगलम भगवान विष्णुः , मंगलम गरुडध्वजः  !
मंगलम     पुण्डरीकाक्षो      मंगलायतनो हरिः   !!




आप का अपना ———
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, 
मोब.–09669290067 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)

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