तुम्हारी हमारी कहानी ना होती
निगाहों ने अगर आब पहचानी ना होती….
रह जाते विरह में तड़फते हम तुम
मधुर मिलन की निशानी ना होती…..
आकाश भी ना झुकता जमीं पर
गर जमीं उसकी दीवानी ना होती…..
चर्चा ए आम न होता तुम्हारा
तुम्हारी अदायों में रूमानी ना होती…..
जुबान पे रहता है इश्क मोहब्बत
पर इश्क की बातें जुबानी ना होती….
‘इश्क’ मोहब्बत को ना मिलता वो मुकाम
अगर इश्क ने इबादत की “विशाल”ठानी ना होती
====पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”=====
मोब. -. …

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