आगाज जिंदगी का..!!!
हर धड़कते दिल में इक तूफ़ान होना चाहिए,
ज़िन्दगी का कोई तो उन्वान “विशाल “होना चाहिए।
हक़ ख़ुदाई पर तेरा है, मानते हैं हम मगर,
अपने हिस्से भी कोई भगवान होना चाहिए।
हर घड़ी हर पल ही बनता जा रहा है जानवर,
आदमी को भी कभी इंसान “विशाल “होना चाहिए।
शायरी में यूँ असर आता नहीं, समझो मियां,
इश्क़ में पहले तुम्हें क़ुर्बान “विशाल “होना चाहिए।
नफरतों के इस जहां में जब अमन की बात हो,
हर तरफ चर्चा-ए-हिन्दोस्तान होना चाहिए।
पुरखतर राहों पे “विशाल “चल पड़ा तो क्या हुआ?
साथ तेरे दीन और ईमान होना चाहिए।
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पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल ”
मोब.नंबर–.