मेरी फ़ितरत आज़माना चाहते हो?
दोस्त बनकर “विशाल” दिल दुखाना चाहते हो?
यूँ नमी बुनियाद के चारो तरफ अच्छी नहीं,
नीव का पत्थर हिलाना चाहते हो …?
तीर और खंजर की ज़रूरत मैदान-ए-जंग में होती है
कभी भी-किसी भी घर में तीर और खंजर की ज़रूरत होती नहीं….
घर में ज़रूरत होती है “विशाल” प्यार और मोहबत की
कभी भी -किसी तीर और खंजर की ज़रूरत होती नहीं….
जितना हो सके बाँटो “विशाल” प्यार और मोहाबत अपने घर में
कभी भी-किसी किस्म का, तीर और खंजर चलाओ नहीं….
बनाओ अपने घर को “विशाल” प्यार-मोहब्बत का खूबसूरत मंदिर
किसी भी हालात में कभी भी, मैदान-ए-जंग बनाना नहीं….
मेरा मशवरा मान कर देखो मेरे दोस्तो
ज़िंदगी जन्नत सी हो जाएगी, जहन्नुम “विशाल” कभी भी होगी नहीं….
याद करते रहोगे “विशाल” को हमेशा के लिए दोस्तो
पूरा यकीन है उसे कभी भी भूल पाओगे नहीं….
तीर और खंजर की ज़रूरत “विशाल” मैदान-ए-जंग में होती है
कभी भी -किसी भी घर में तीर और खंजर की ज़रूरत होती नहीं…..
मेरी फ़ितरत आज़माना चाहते हो?
दोस्त बनकर “विशाल” दिल दुखाना चाहते हो?
आप का अपना —
—-पंडित दयानन्द शास्त्री”विशाल”
..—-…

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