ऐ पाक दामन हुस्न ..!!!
कोई खुमार नहीं हूँ जो उतार दोगे…!
बेशुमार प्यार हूँ कैसे ‘”विशाल”‘ भुला दोगे…!!
रहा की धूल समझ दिल मे ना बिठाया…!
देखें कैसे अपने कदमो से हटा दोगे…!!
खुदा की मेहर से ही मिलती पाक मुहब्बत…!
एक ना एक दिन देखना ‘”विशाल”‘ प्यार को तरसोगे…!!
खुद को बचा-बचा कर इश्क़ तो करते हो…!
बेवफ़ाई से किसी की अपना दामन जला लोगे…!!
दिल-ए-दीद मे मिटा दी पल हर की खुशिया…!
वक़्त आएगा जब'”विशाल”‘ की याद मे तड़पोगे…!!
आप का अपना —
—-पंडित दयानन्द शास्त्री”विशाल”
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