कहाँ  और केसा  हो  आपका  (BATHROOM) बाथरूम /स्नानघर  …???
वास्तु अनुसार जाने स्नानगृह और शौचालय एक साथ होना ठीक नहीं——
क्या आप जानते हैं घर के कमरे, हॉल, रसोई के साथ ही लेट-बाथ की स्थिति भी आपकी आर्थिक स्थिति पर असर डालती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की स्थिति और घर में रखी हर वस्तु का अलग-अलग प्रभाव होता है, जिसका असर वहां रहने वाले लोगों पर पड़ता है। पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-. ) के अनुसार घर में वास्तु के अनुसार बताए गए उपाय अवश्य अपनाना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए यहाँ प्रस्तुत हें कुछ बाथरूम से जुड़े कुछ खास उपाय, जो आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाते हैं…
आज कल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना आम बात है लेकिन पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-.90.4.90067 ) के अनुसार इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण घर में रहने वालों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव एवं वाद-विवाद की स्थिति बनी रहती है।
वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश में बताया गया है कि ‘पूर्वम स्नान मंदिरम’ अर्थात भवन के पूर्व दिशा में स्नानगृह होना चाहिए। शौचालय की दिशा के विषय में विश्वकर्मा कहते हैं ‘या नैऋत्य मध्ये पुरीष त्याग मंदिरम’ अर्थात दक्षिण और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के मध्य में पुरीष यानी मल त्याग का स्थान होना चाहिए। बाथरूम और टॉयलेट एक दिशा में होने पर वास्तु का यह नियम भंग होता है।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास है तथा शौचालय में राहू का। यदि किसी घर में स्नानगृह और शौचालय एक साथ हैं तो चंद्रमा और राहू एक साथ होने से चंद्रमा को राहू से ग्रहण लग जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण हो जाता है। चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा मन और जल का कारक है और राहु विष का। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है। जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और दूसरा उसके शरीर पर।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार ध्यान रखें बाथरूम में पानी का बहाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। यदि संभव हो तो बाथरूम घर के नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण दिशा) में बनवाना चाहिए। अगर संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में भी बाथरूम बनवाया जा सकता है।
शास्त्रों में चन्द्रमा को सोम अर्थात अमृत कहा गया है और राहु का विष। अमृत और विष एक साथ होना उसी प्रकार है जैसे अग्नि और जल। दोनों ही विपरीत तत्व हैं। इसलिए बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने पर परिवार में अलगाव होता है। लोगों में सहनशीलता की कमी आती है। मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष की भावना बढ़ती है।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार यदि बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में ही खुलता हो तो उसे हमेशा खुला रखने से बचना चाहिए। बाथरूम के बाहर एक पर्दा भी लगाया जा सकता है। बेडरूम में बाथरूम नहीं होना चाहिए। बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जाओं का परस्पर आदान-प्रदान हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता ।
घर में पानी का अपव्यय कई प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न करता है। इन दोषों का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर और आर्थिक जीवन पर पड़ता है। अत: पानी को अपव्यय को रोका जाना चाहिए। पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार लगातार टपकते नल को तुरंत ही ठीक करवाना चाहिए। नलों के साथ ही टंकियों की मरम्मत करवाएं और नियमित रूप से पानी टंकियों की साफ-सफाई करवाएं। घर में कहीं भी नमी हो तो उसका उचित उपचार करवाएं। ऐसा करने पर आपके घर और परिवार के सदस्यों की बहुत सी आर्थिक परेशानियां स्वत: दूर हो जाएंगी।
गीजर आदि विद्युत उपकरण अग्नि से संबंधित हैं अत: इसे बाथरूम के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाएं। पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार बाथरूम में एक बड़ी खिड़की व एक्जॉस्ट फैन के लिए अलग से रोशनदान अवश्य होना चाहिए। बाथरूम में गहरे रंग की टाइल्स न लगाएं। हमेशा हल्के रंग की टाइल्स का उपयोग करें।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार जिस घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होगी वहां के लोगों को जीवन में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके विपरित यदि नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होंगी तो निश्चित ही उस घर तथा वहां रहने वाले लोगों को भयंकर कष्ट झेलना पड़ सकता है।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो इस छोटी बात को वास्तु में गंभीर दोष बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जैसे-जैसे नल से पानी टपकते रहता है उस घर में वैसे-वैसे धन का अपव्यय होता रहता है। ऐसे घरों में हमेशा ही पैसों की तंगी बनी रहती है।
अधिकांश लोग घर के बाथरूम की स्थिति पर अधिक विचार नहीं करते हैं। जबकि कई बार बाथरूम के वास्तुदोष का बुरा असर हमारी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार हमारे आसपास फैली सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसी वजह से यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई नकारात्मक वस्तुएं हैं तो वह गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।
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वास्तु दोष बढ़ता हें बाथरूम में दर्पण (हो सकता है नुकसान)—–
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार बाथरूम घर का एक अहम हिस्सा होता है। हर दिन की शुरूआत आमतौर पर यहीं से होती है क्योंकि सुबह उठते ही सबसे पहले फ्रेश होने के लिए हम बाथरूम पहुंचते हैं। इसलिए जरूरी है कि बाथरूम सुन्दर दिखने के साथ ही साथ सकारात्मक उर्जा प्रदान करने वाला हो ताकि पूरा दिन अच्छा बीते। यही कारण है कि बहुत से लोग बाथरूम में टाईल्स लगवाते हैं और कई एक्सेसरीज से सजा कर रखते हैं। फेस वॉश करने के बाद अथवा स्नान करने के बाद खुद को देखने के लिए लोग बाथरूम में दर्पण भी लगाते हैं।
चीनी वास्तुविज्ञान के अनुसार बाथरूम में दर्पण लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं हो। दर्पण का काम होता है परावर्तन यानी रिफ्लैक्ट करना। जब हम बाथरूम में प्रवेश करते हैं तो हमारे साथ सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा दोनों ही बाथरूम में प्रवेश करते हैं।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार जब हम सोकर उठते हैं तब नकारात्मक उर्जा की मात्रा अधिक होती है। दरवाजे के सामने दर्पण होने से हमारे साथ जो भी उर्जा बाथरूम में प्रवेश करती हैं वह वापस घर में लौट आती है। दर्पण के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए बाथरूम में दर्पण इस प्रकार से लगाना चाहिए ताकि इसका रिफ्लैक्शन बाथरूम से बाहर की ओर नहीं हो।
फेंगशुई में यह भी कहा गया है कि बेडरूम में दर्पण नहीं लगाना चाहिए। बेडरूम में दर्पण का रिफ्लैक्शन बेड पर होने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पति अथवा पत्नी में से किसी एक की तबीयत अक्सर खराब रहती है। कुछ लोग दर्पण को मुख्य द्वार के सामने लगाते हैं। फेंगशुई के अनुसार यह भी गलत है। इससे घर में आने वाली सकारात्मक उर्जा भी वापस लौट जाती है जिससे प्रगति की रफ्तार धीमी पड़ जाती है।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार यूं तो हम घर के हर कोने को बहुत ही सुंदर और सहेज कर रखते हैं लेकिन जब बात आती है बाथरूम की तो कहीं कोई कमी रह जाती है, जबकि बाथरूम को अगर साफ नहीं रखा जाए तो कई सारी बीमारियों का खतरा होता है।
फालतू सामान को गुडबाय ——
अक्सर हम ऎसा करते हैं कि टूटी साबूनदानी, शैम्पू आदि के खाली डिब्बे को जस का तस बाथरूम में पड़े रहने देते हैं। एक तो यह बाथरूम में अनावश्यक जगह घेरते हैं दूसरे बाथरूम की संुदरता को भी कम करते हैं।
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इन वैदिक मन्त्रों से होगा वास्तु दोष का प्रभाव कम ——–
शायद ही कोई ऐसा घर हो जो वास्तु दोष से मुक्त हो। वास्तु दोष का असर कई बार देर से होता है तो कई बार इसका प्रभाव जल्दी दिखने लगता है। इसका कारण यह है कि सभी दिशाएं किसी न किसी ग्रह और देवताओं के प्रभाव में होते हैं। पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार जब ग्रह विशेष की दशा चलती है तब जिस दिशा में वास्तु दोष होता है उस दिशा का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले व्यक्तियों पर दिखने लगता है। दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका है मंत्र जप।
पंडित दयानंद शास्त्री (मोब.-09024390067 ) के अनुसार
ईशान दिशा—-
इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं। और देवता हैं भगवान शिव। इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरू मंत्र ‘ओम बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें। शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का .08 बार जप करना भी लाभप्रद होता है।
पूर्व दिशा—–
घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें। सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं। इस मंत्र के जप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्घि होती है। व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है। इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं। प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ओम इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है।
आग्नेय दिशा—-
इस दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है। शुक्र का मंत्र है ‘ओम शुं शुक्राय नमः’। अग्नि का मंत्र है ‘ओम अग्नेय नमः’। इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए।
दक्षिण दिशा—-
इस दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं। दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ‘ओम अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है। ‘ओम यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है।
नैऋत्य दिशा—
इस दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं। घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है। इस दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र ‘ओम रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें। इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी उपचार हो जाता है।
पश्चिम दिशा—
यह शनि की दिशा है। इस दिशा के देवता वरूण देव हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें। यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है।
वायव्य दिशा—–
चन्द्रमाँ इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है। घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए चन्द्र मंत्र ‘ओम चन्द्रमसे नमः’ का जप लाभकारी होता है।
उत्तर दिशा—–
यह दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आता है। इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है। आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना होता है। इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ‘ओम बुधाय नमः या ‘ओम कुबेराय नमः’ मंत्र का जप करें। आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है।

1 COMMENT

  1. Toilet banne ki dish apne batai but toilet ka tank use niche hi Nana Sakte hai kya agar nahi to phone Gar ke answer kaha manage toilet tank

    • आपके प्रश्न का समय मिलने पर में स्वयं उत्तेर देने का प्रयास करूँगा…
      यह सुविधा सशुल्क हें…
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      Pt. DAYANAND SHASTRI, LIG- 2/217,
      INDRA NAGAR ( NEAR TEMPO STAND),
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      —-0091-09669290067(MADHYAPRADESH),
      —–0091-09039390067(MADHYAPRADESH),

  2. मेरा घर दक्षिणमुखी है । मुझे कृपया बतादे की शौचालय और स्नानगृह कौनसी दिशामे हो । सेपटीक टँक कौनसी दिशामे हो । पानीका कुँवा और जमिनके निचेका पानीका टंकी की दिशा कौनसी हो ।

  3. मेरा घर पूर्वमुखी है,संडास,बाथरूम,सेप्टीक टॅक कहा होना चाहिए?

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