मरता नहीं है प्यार —
( पंडित दयानंद शास्त्री)
प्यार नहीं मरता
बस !
मारता है हर पल ।
अपने अहसासों से
अपनी यादों से
जलाता है रूह को
परत दर परत
पर रूह की जिल्द
इतनी सख्त
जलती नहीं फिर भी
और प्यार नहीं मरता ।
आँखों के गर्म पानी को
जज़्ब करता धुँए में
उड़ाता हर लम्हे को
पर वो लम्हा नहीं उड़ता
प्यार नहीं मरता ।
तन्हाइयोँ में मारता है
भीड़ में नोचता-कचोटता
अस्तित्व को नकारता
फिर भी न नकार पाता
प्यार नहीं मरता
बस !
मारता है हर पल ।

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