हिन्दू धर्म मान्यताओं में जगतपालक विष्णु और कल्याणकारी देवता शिव की भक्ति में भी ऐसे ही सूत्र छिपे हैं। माना जाता है कि एक बार भगवान शंकर ने भगवान विष्णु के तप से प्रसन्न होकर पहले विष्णु और फिर उनकी पूजा करने वाले को हर भक्त को सुख-वैभव पाने का ही आशीर्वाद दिया।
यही वजह है कि हिन्दू पंचांग की हर एकादशी पर शालग्राम-तुलसी उपासना ज्ञान, धन, स्वास्थ्य, विद्या, प्रतिष्ठा, यश सहित किसी भी अभाव का अंत करने वाली मानी गई है।
जीवन में ऐसे ही मंगल के लिए शास्त्रों में ऐसे भी छोटे-छोटे उपाय बताए गए हैं, जिनसे शालग्राम व तुलसी उपासना एक ही साथ हो जाती है।
आज 13 अगस्त, 2012 (सोमवार) को भादौ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे जया व अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये तिथि मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम भी, विष्णु के ही अवतार थे। सोमवार के साथ एकादशी तिथि का दुर्लभ योग बना है, ये शिव व विष्णु भक्ति की शुभ घड़ियां हैं। शास्त्रों के मुताबिक इस योग में विशेष शिव और विष्णु मंत्रों के ध्यान से शक्ति व लक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है। इससे सांसारिक कामनाओं जैसे दौलत, यश, प्रतिष्ठा और हर सुख की कामनासिद्धि जल्द होती हैं। जानिए ये मंत्र विशेष –
सुबह व शाम के वक्त भगवान विष्णु व उनके बाद शिवलिंग या शिव की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा करें।
– भगवान विष्णु को केसरिया चंदन मिले जल से स्नान कराएं। स्नान के बाद चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल वहीं शिवलिंग पर दूध मिले जल से स्नान के बाद सफेद आंकड़े के फूल, अक्षत, बिल्वपत्र और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाकर चंदन धूप व गोघृत जलाकर भगवान विष्णु और शिव का नीचे लिखे मंत्रों से स्मरण करें –
विष्णु मंत्र –
पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्।
महद्र्धिर्ऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:।।
अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:।
सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:।।
शिव मंत्र –
वन्दे महेशं सुरसिद्धसेवितं भक्तै : सदा पूजितपादपद्ममम्।
ब्रह्मेन्द्रविष्णुप्रमुखैश्च वन्दितं ध्यायेत्सदा कामदुधं प्रसन्नम्।।
– मंत्र स्मरण के बाद खासतौर पर दोनों देवताओं को कमल फूल भी अर्पित करें। पूजा व मंत्र जप के बाद विष्णु व शिव या त्रिदेव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर घर के द्वार पर दीप प्रज्जवलित भी करें।
मंत्र—-
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
जप विधि—-
– सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर प्रभु श्रीराम का पूजन करें।
– भगवान राम की मूर्ति के सामने आसन लगाकर चंदन की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। कम से कम 11 माला जप अवश्य करें।
– आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।
– इस मंत्र का जप यदि रोज किया जाए तो दुनिया का हर कष्ट मिट जाता है।
– शालग्राम शिला को पवित्र स्थान या पात्र में रखकर पवित्र जल से स्नान या अभिषेक कराकर साफ वस्त्र से पोंछकर नियत स्थान पर विराजित करें। केसरिया चंदन, सुगंधित फूल चढ़ाकर पूजा करें, मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे तुलसी मंत्र से तुलसी दल शालग्राम को अर्पित करें –
तुलसी हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम्।
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम्।।
– तुलसी दल चढ़ाने के बाद शालग्राम या विष्णु भगवान की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर खुशहाल जीवन की कामना करें।