कब और केसे बनेगा मैकेनिकल इण्डस्ट्रीज में कॅरियर..????
समस्त धर्मों हिन्दू, बौद्ध, ताओ, कन्फ्यूशियस, शिंटो, जुरथ्रस्थ (पारसी),इस्लाम, यहूदी तथा ईसाई के अनुयायी एक ऐसी शक्ति में विश्वास करते हैं जोकम से कम मनुष्य से अधिक शक्तिशाली है। इस शक्ति को विज्ञान तीन ऊर्जाओंके रूप में स्वीकारता है – न्यूक्लियर फोर्स, मैग्निटिक फोर्स तथा कॉस्मिकफोर्स। इनके परे कुछ भी नहीं है, सब कुछ इसी सत्य-सत्ता में समाहित है।इनमें व्यक्ति, देश, काल आदि के अनुसार असन्तुलन बना नहीं कि समझिएआपदाओं-विपदाओं तथा अराजकता ने घेरना प्रारम्भ कर दिया है। चिरन्तर सेप्रत्येक देश-धर्म का सतत् प्रयास रहा है कि विरोधी बन गयी इन ऊर्जाओं कोपुन: कैसे अनुकूल करके सन्तुलन बनाया जाए?
सृजनात्मक शक्तियों में मुक्त प्रवाह को अनुकूल करके अधिकाधिक दैहिक,भौतिक तथा आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए वास्तुशास्त्र तथा फेंगशुई केप्रयोग भी अत्यधिक प्रचलित और प्रभावशाली सिद्ध हुए हैं।
—–वास्तु विज्ञान के नियम और सिद्धान्त पूर्णतया व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक हैं।पृथ्वी का प्राकृतिक चुम्बकीय क्षेत्र, जिसमें कि चुम्बकीय आकर्षण सदैव उत्तर सेदक्षिण दिशा में रहता है, हमारे जीवन को निरन्तर प्रभावित करता है।पल-प्रतिपल जीवन इस चुम्बकीय आकर्षण के प्रति आकर्षित है। प्राकृतिक रूपसे इस अदृश्य शक्ति द्वारा हमारा जीवन संचार हो रहा है। एक छोटा सा उदाहरणदेखें, इस आकर्षण की उपयोगिता स्वयं सिद्ध हो जाएगी – नियम है कि – सोतेसमय हम अपने पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं करते। सौर जगत, धु्रव केआकर्षण पर आलम्बित है, यह धु्रव उत्तर दिशा में स्थित है।
यदि कोई व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर पैर और उत्तर की ओर सिर करके सोएगातो ध्रुव चुम्बकीय प्रभाव के कारण पेट में पड़ा भोजन पचने पर जिसकाअनुपयोगी अर्थात् न पचने वाला अंश मल के रूप में नीचे जाना आवश्यक है,वह ऊपर की ओर आकर्षित होगा, इससे हृदय, मस्तिष्क आदि पर विपरीतप्रभाव पड़ेगा। इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर पैर होंगे तो एक तो हमाराभोजन परिपाक ठीक होगा। दूसरे वहाँ धु्रवाकर्षण के कारण दक्षिण से उत्तर दिशाकी ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे मस्तिष्क से प्रवेश करके पैर के रास्तेनिकल जाएगा और प्रात: उठने पर मस्तिष्क विशुद्ध परमाणुओं से परिपूर्ण औरसर्वथा स्वस्थ होगा।
——–जन्मकुण्डली जीवन में संभावित हर अदृश्य घटनाक्रम पर से पर्दा हटाकरघटना का प्रत्यक्ष दर्शन करा सकती है। वाहनों से संबंधित ऑटोमोबाइल औरमैकेनिकल क्षेत्र आज बहुत अधिक विस्तृत हो गया है। प्राचीन काल में तोकेवल हाथी, घोड़ा, ऊँट, बैल, महिष आदि पशुओं तथा रथ, बग्गी या घोड़ा गाड़ी,बैल गाड़ी, गधा गाड़ी आदि वाहनों या साधनों का ही प्रयोग होता था। पुष्पकविमान जैसे वायुयानों का वर्णन रामायण में मिलता है।
हिन्दु धर्मग्रंथों में प्रत्येक देवता का भी एक निश्चित वाहन बताया गया है।जैसे-गणेश जी का चूहा, शिवजी का बैल (नंदी), दुर्गा जी का शेर, कार्तिकेय कामोर, भगवान विष्णु का गरुड़, लक्ष्मी जी का उल्लू, सरस्वती जी का हंस, इन्द्रका ऐरावत हाथी, ग्रहों में सूर्य देव का रथ (सात घोड़ों का), चंद्रमा का हिरण,मंगल का मेष या मेंढ़ा, बुध का सिंह, गुरु का हाथी, शुक्र का घोड़ा, शनि का गीधपक्षी, राहु का रथ (जरख पशु से जुता हुआ) तथा केतु का मीन या मछली वाहनहोता है। इस तरह ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में पशुओं व पक्षियों को तथाइनके द्वारा निर्मित साधनों रथ आदि को ही वाहन के रूप में प्रयोग किया जाताथा। पशु-पक्षियों का वाहन के अलावा संदेश वाहक व मालवाहक के रूप में भीप्रयोग होता था।
वाहनों के कारक ग्रह—–
—–वर्तमान में वाहनों का स्थान मशीनों ने ले लिया है।उपयोग तो वही रहा परंतु साधन और माध्यम बदल गये हैं। पहले पशु यावाहन व्यवसाय हेतु बृहस्पति ग्रह को प्रमुखता दी जाती थी पंरतु वर्तमान मेंवाहनों में मशीनरी व विद्युत का अधिक प्रयोग होने के कारण बृहस्पति के साथशनि-मंगल व राहु की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। बृहस्पति चौपायोंके, शनि मशीनों के, मंगल विद्युत के और राहु तकनीकी के कारक माने जाते है।
वर्तमान में वाहन का व्यवसाय केवल विक्रय तक ही सीमित नहीं रहा अपितुरिपेयरिंग यूनिट भी आवश्यक हो गई है।
मशीनों के प्रति रुझान——
—- व्यक्ति का रुझान किस क्षेत्र विशेष में रहेगा यह जानलेना सर्वप्रथम आवश्यक है, उसके बाद अन्य ग्रह स्थितियों के आधार पर रुचिके क्षेत्र में निश्चित विषय का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
जन्म कुण्डली के लग्र व चंद्रमा पर शनि का प्रभाव मशीनों व वाहनों के प्रतिसहज आकर्षण देता है तथा साथ में राहु का प्रभाव वस्तु या विषय की तकनीकीसमझने की सहज चेष्टा उत्पन्न करता है।
जन्म लग्र व चंद्रमा पर ग्रह विशेष का प्रभाव व्यक्ति के मनोबल को स्पष्ट रूप सेप्रकट करता है।
वाहन से आजीविका—–
—– वाहन का सुख होना व वाहनों से आजीविका कमाना दोअलग-अलग बातें हैं। वाहन सुख व उपयोग के लिए जन्म पत्रिका का चौथाभाव और वाहन से आजीविका के लिए दसवां भाव विचारणीय होता है। जैसा किपहले बताया है शनि व राहु ग्रह का लग्र व चंद्रमा पर प्रभाव होने पर जातक कायदि मशीनों के प्रति लगाव हो तो फिर दशम भाव के आधार पर आजीविकातक पहुँचना पड़ता है।
योग :——
—– वाहन व्यवसाय के लिए दशम भाग में बृहस्पति की राशि(धनु या मीन)सकारात्मक लक्षण होता है। कुण्डली में यदि बृहस्पति दशम भाव के स्वामी होंऔर चतुष्पद राशि (मेष,वृषभ या सिंह) में स्थित हों तथा चतुष्पद राशि मेंस्थित ग्रह से दृष्ट हों तो जातक निश्चित रूप से वाहन व्यवसाय, उद्योग यातकनीकी के क्षेत्र से आजीविका कमाता है।
छोटे व मंहगे वाहन——-
—– चतुष्पद राशि (मेष, वृषभ या सिंह) में स्थित दशमेषबृहस्पति पर यदि चतुष्पद (पशु) राशि में स्थित मंगल का दृष्टि प्रभाव हों तोजातक ऑटोमोबाइल इंजीनिंयरिग में सफल हो सकता है। अथवा अतिआधुनिक तकनीकि पर आधारित मंहगे व छोटे दुपहिया या चार पहिया वालेवाहनों का व्यवसाय कर सकता है।
छोटे सवारी व माल वाहक वाहन- उपरोक्त स्थिति में स्थित बृहस्पति पर यदिचतुष्पाद राशि में स्थित बुध की दृष्टि हो तो व्यक्ति छोटे सवारी ढोने वाले तथामालवाहक रिक्शा, टेम्पो, लगेज या साइकिल व साइकिल रिक्शा का व्यापारअथवा राहु या शनि का भी दशम पर दृष्टि प्रभाव हो तो मरम्मत का कारखानाडालकर भी व्यक्ति आजीविका कमा सकता है।
वाहनों से व्यवसाय——-
—-वाहन खरीदकर अपनी आजीविका कमाना भी एक क्षेत्रहै। वास्तव में तो यह बहुत बड़ा भी है। ट्रांसपोर्ट, ट्रेवल एजेन्सीज, टयूर एंडट्रेवल्स, सवारी गाड़ी, बस, जीप, कार आदि तथा मालवाहक वाहनों को किरायेपर चलाकर भी उत्तम लाभ अर्जित किया जा सकता है।
चतुष्पाद राशि में स्थित दशमेश बृहस्पति पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तथाचंद्रमा षड्वर्ग कुण्डलियों में बुध की राशियों में स्थित हों तो व्यक्ति, इसी तरहआजीविका कमाता है। वह वाहनों को उत्पादक वस्तुओं व रूप में काम में लेताहै। चंद्रमा की दृष्टि से मँहगें व सुविधाजनक वाहनों से लाभ कमाता है परंतु यदिचंद्रमा के साथ शनि का प्रभाव हो तो बस, ट्रक आदि से भी लाभ कमाता है।
मँहगी मोपेड या वायुयान :——-
—–जन्मपत्रिका में दशमेश बृहस्पति सिंह राशि मेंहों और सूर्य वृषभ राशि में हों तो व्यक्ति तेज गति वाले अति मँहगें वाहनों यावायुयानों के माध्यम से आजीविका के योग बन जाते हैं। किसी अच्छी एयरबस सर्विस में नौकरी मिल सकती है, एयर बस का मालिक हो सकते हैं, मँहगीमोपेड़ या मर्सीडीज जैसी कारों का व्यापार भी हो सकता है।
उपरोक्त वर्णन में चतुष्पद राशि में स्थित बृहस्पति पर चतुष्पद राशि में स्थितअन्य ग्रह की दृष्टि से विशेष प्रकार के वाहनों के व्यापार या व्यवसाय के योगबताए गए हैं। यदि उपरोक्त योगों में बृहस्पति पर यदि शनि व राहु का दृष्टिप्रभाव भी किसी कुण्डली में दिखाई देता है तो व्यक्ति केवल वाहन विशेष काव्यापार न करके, वाहन के पाटर््स का निर्माण, तकनीकी में सहयोग व सुधारयानि इंजीनियरिंग, वाहनों की मरम्मत आदि द्वारा भी अपनी आजीविका कमासकते हैं।

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