पाइये सकारात्मक ऊर्जा-स्वस्तिक से—
स्वस्तिक से सकारात्मक ऊर्जा अधिक होने से वास्तुदोष समाप्त होते है |
वास्तुदोष का सीधे शब्दों में आशय यह है की ग्रह निर्माण इस तरह किया गया हो, जहाँ सकारात्मक ऊर्जा का आगमन व नकारात्मक ऊर्जा के निष्कासन में उचित सामंजस्य नहीं बन पा रहा हो | इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है | और उसमे रहने वाले लोगो को विपरीत परिणामो का सामना करना पड़ता है | इसी को वास्तुदोष की संज्ञा दी जाती है |
हमारे वेदशास्त्रो में वास्तुदोष के निराकरण का सटीक उपाय स्वस्तिक का उपयोग करना बताया गया है | वैसे भी हम प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत स्वस्तिक से करते है, ताकि वहाँ पर मौजूद नकारात्मक उर्जा का प्रभाव नगण्य हो जाए |यद्यपि आजकल बाजार में बहुत सी वस्तुए इसके लिए उपलब्ध है यथा विंड – चाइम,लाफिंग बुद्धा, चीनी कछुआ, क्रोस, क्रिस्टल बॉल आदि जिनका उपयोग हम वास्तुदोष निवारण के लिए करते है|
स्वस्तिक की सरंचना से प्रेरणा लेकर ही वैज्ञानिको द्वारा एटम की सरचना की परिकल्पना की गयी है | एटम में तीन तत्व- न्यूट्रोंन इलेक्ट्रोंन एवं प्रोटोन होते है | प्रोटोन [+] के चारो इलेक्ट्रोंन [-] चक्कर काटते है एवं नाभि में न्यूट्रोंन स्थित रहते है | यह पुर्णतः स्वस्तिक सरंचना पर आधारित है | स्वस्तिक सरंचना में + के चारो और – चक्कर काटते है एवं नाभि में शून्य रूप में न्यूट्रोंन [-] मौजूद है | स्वस्तिक द्वारा प्रकट सकारातमक उर्जा अद्र्श्य होती है, परन्तु इसका प्रभाव हर प्रकार के दोषों को दूर कर व्यक्ति की प्रतिष्ठा, मान – सम्मान में वृद्धि एवं प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है |
इस अद्र्श्य उर्जा का मापन हार्टमेंट अनसर्टने नामक एक वैज्ञानिक ने किया था | उसने उर्जा की इकाई को बोबिस नाम दिया गया | इसके परिणाम बाई ओर दी गयी तालिका में बताए गए है |
तालिका की गणना से स्पष्ट है की स्वस्तिक के आसपास सर्वाधिक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है |
वास्तुदोष निवारण के लिए आप अपने घर के बाहर जोड़े के रूप में नौ इंच नाप का लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं | इससे समस्त प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाएंगे |
वास्तुशास्त्र के अनुसार निम्न वस्तुओ में उर्जा सकती इस प्रकार होती है –
वस्तु ऊर्जा
चीनी कछुआ ..0
राम मंदिर के अंदर 1.00
ॐ के चारो ओर 70000
लाफिंग बुद्धा 500
शिवलिंग के चारो ओर 1600
स्वस्तिक के आसपास 100000

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