आइये जाने होली और होलिका दहन क्या हें एवं इस दिन (अपनी राशी अनुसार)–धन प्राप्ति के उपाय क्या करें..—–
भारत त्योहारों का देश है. यहां एक त्योहार कई संस्कृ्तियों, परम्पराओं और रीतियों की झलक प्रस्तुत करता है. होली शीत ऋतु के उपरांत बंसत के आगमन, चारों और रंग- बिरंगे फूलों का खिलना होली आने की ओर इशारा करता है. होली का त्योहार प्राकृ्तिक सौन्दर्य का पर्व है. होली का त्योहर प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिम के दिन मनाया जाता है. होली से ठिक एक दिन पहले रात्रि को होलिका दहन होता है. उसके अगले दिन प्रात: से ही लोग रंग खेलना प्रारम्भ कर देते हे. वर्ष …2 में 08 मार्च के(गुरुवार) दिन होली रंगोत्सव मनाया जाएगा. इस होली को धुलैण्डी के नाम से भी जाना जाता है.
यह पर्व बंसत ऋतु से चालीस दिन पहले मनाया जाता है. सामान्य रुप से देखे तो होली समाज से बैर-द्वेष को छोडकर एक दुसरे से मेल मिलाप करने का पर्व है. इस अवसर पर लोग जल में रंग मिलाकर, एक -दूसरे को रंगों से सरोबोर करते है. टेसू के फूलों से युक्त जल में चन्दन, केसर और गुलाब तथा इत्र इत्यादि से बनाये जाते थे..
जीवन में हमें अनेक प्रकार की अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों से रूबरू होना पड़ता है। कई समस्याएं व्यक्तिगत होती हैं तो कई सामाजिक। इस प्रकार से आने वाले उतार-चढ़ावों से गुजरते समय बीच-बीच में जब कोई पर्व-त्यौंहार आ जाता है तो जीवन की एकरसता भंग होती है, एक प्रकार की शैली की कैद में जीवन यापन करते-करते एक प्रकार की जो उबन महसूस होती है उससे छुटकारा मिलता है और मनुष्य के तन-मन में एक विशिष्ट झंकार का स्पंदन होने लगता है। होली का त्यौहार एक विशिष्ट त्यौहार है जिसमें मन पर जमी हर प्रकार की मैल उल्लास के रंगों से धुल जाती है। आपसी कटुता व भेद-भाव के जहर होलिका दहन के साथ ही जल कर राख हो जाते हैं और सारे मनोमालिन्य को अबीर-गुलाल दूर कर देते हैं। हमारे प्राचीन मनीषियों ने फाल्गुन पूर्णिमा को विशेष महत्त्व देते हुए उस दिन गेहूं, जौ आदि की बालियां होलिका में भून कर नवान्नेष्टि करने का निर्देश दिया है और एक-दूसरे को मिष्टान सहित बांट कर खाने-खिलाने को लाभप्रद बताया है। पूजा-पाठ व साधना की दृष्टि से भी होली की रात्रि को अति महत्त्वपूर्ण बताया गया है जिसमें संकल्प लेकर किए जाने वाले उपायों का लाभ अवश्य प्राप्त होता है। द्वादश राशि के जातक-जातिकाएं होली के दिन क्या उपाय करें कि उनके घर में खुशहाली आए, कारोबार में वृध्दि हो, धन लाभ हो और आस पास का सम्पूर्ण वातावरण मंगलमय हो।
प्राचीन काल की होली—–
पौराणिक समय में श्री कृ्ष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ होली के उत्सव की शुरुआत हुई. फिर इस होली को मुगलों ने अपने ढंग से खेला. मुगल सम्राज्य के समय में होली की तैयारियां कई दिन पहले ही प्रारम्भ हो जाती थी. मुगलों के द्वारा होली खेलने के संकेत कई ऎतिहासिक पुस्तकों में मिलते है. जिसमें अकबर, हुमायूं, जहांगीर, शाहजहां और बहादुरशाह जफर मुख्य बादशाह थे जिनके समय में होळी खेली जाती थी.
अकबर काल में होली के दिन बाकायदा बडे बडे बरतनों में प्राकृ्तिक वस्तुओं का प्रयोग करते हुए, रंग तैयार किये जाते थें. रंग के साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का भी प्रबन्ध होता था. राग-रंग का माहौल होता है. तानसेन अपनी आवाज से सभी को मोहित कर देते है. कुछ इसी प्रकार का माहौल जहांगीर और बहादुरशाह जफर के समय में होली के दिन होता था. ऎसे अवसरों पर आम जनता को भी बादशाह के करीब जाने, उनसे मिलने के अवसर प्राप्त होते थे.
आज होली के रंग, इसकी धूम केवल भारत तथा उसके प्रदेशों तक ही सीमित नहीं है, अपितु होली का उडता हुआ रंग आज दूसरों देशों तक जा पहुंचा है. ऎसा लगता है कि हमारी परम्पराओं ने अपनी सीमाओं का विस्तार कर लिया है. यह पर्व स्नेह और प्रेम का है. इस पर्व पर रंग की तरंग में छाने वाली मस्ती पर संयम रखते हुए, अपनी मर्यादाओं की सीमा में रहकर, इस पर्व का आनन्द लेना चाहिए.
होली की विशेषता—–
भारत के सभी त्यौहारों पर कोई न कोई खास पकवान बनाया जाता है. खाने के साथ अपनी खुशियों को मनाने का अपना ही एक अलग मजा है. इस दिन विशेष रुप से ठंडाई बनाई जाती है. जिसमें केसर, काजू, बादाम और ढेर सारा दूध मिलाकर इसे बेहद स्वादिष्ट बना दिया जाता है. ठंडाई के साथ ही बनती है, खोये की गुजिया और साथ में कांजी इन सभी से होली की शुभकामनाएं देने वाले मेहमानों की आवभगत की जाती है. और आपस में बैर-मिटाकर गले से लगा लिया जाता है. दुश्मनों को भी दोस्त बनाने वाला यह पर्व कई दोनों तक सबके चेहरों पर अपना रंग छोड जाता है.
होली का पर्व सूरज के चढने के साथ ही अपने रंग में आता है. होली खेलने वाली की टोलियां नाचती-गाती, ढोल- मृ्दगं बजाती, लोकगीत गाती सभी के घर आती है, ओर हर घर से कुछ जन इस टोली में शामिल हो जाती है, दोपहर तक यह टोली बढती-बढती एक बडे झूंड में बदल जाती है. नाच -गाने के साथ ही होली खेलने आई इन टोलियों पर भांग का नशा भी चढा होता है. जो सायंकाल तक सूरज ढलने के बाद ही उतरता है.
होली की टोली के लोकगीतों में प्रेम के साथ साथ विरह का भाव भी देखने में आते है. इस दिन होली है………की गूंज हर ओर से आ रही होती है.
केसे हो होली में भावनाओं की अभिव्यक्ति—-
होली भारतीय समाज में लोकजनों की भावनाओं की अभिव्यक्ति का आईना है. यहां परिवार को समाज से जोडने के लिये होली जैसे पर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. समाज को एक-दूसरे से जोडे रखने और करीब लाने के लिये होली जैसे पर्व आज समाज की जरूरत बन कर रह गये है. आधुनिकता की दौड में शहरों में व्यक्ति भावना शून्य हो गया है. गांवों में एक और जहां किसी एक व्यक्ति के बीमार पडने पर सभी ग्रामीण हाल चाल पूछने आते है., किसी एक पर विपदा आने पर वह विपदा पूरे गांव की होती है. इसके विपरीत शहरों में साथ वाले फलैट में कौन रहता है, यह जानने में भी कई बरस लग जाते है. सभी मायनों में देखा जाये तो आज होली की जरूरत शहरों के इस मौन को तोडने के लिये सबसे अधिक है.
ये हें होलिका दहन की पूजा विधि—–
होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है. इस पूजा को करते समय, पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उतर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए.
पूजा करने के लिये निम्न सामग्री को प्रयोग करना चाहिए—-
एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए. इसके अतिरिक्त नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियां सामग्री के रुप में रखी जाती है.
इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल तथा अन्य खिलौने रख दिये जाते है.
होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, मोली, फूल, गुलाल तथा गुड आदि से होलिका का पूजन करना चाहिए. गोबर से बनाई गई ढाल व खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर लाकर सुरक्षित रख ली जाती है. इसमें से एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी अपने घर- परिवार के नाम की होती है.
कच्चे सूत को होलिका के चारों और तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना होता है. फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है. रोली, अक्षत व पुष्प को भी पूजन में प्रयोग किया जाता है. गंध- पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है. पूजन के बाद जल से अर्ध्य दिया जाता है.
सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है. इसमें अग्नि प्रज्जवलित होते ही डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है. सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है. अंत में सभी पुरुष रोली का टीका लगाते है, तथा महिलाएं गीत गाती है. तथा बडों का आशिर्वाद लिया जाता है.
सेंक कर लाये गये धान्यों को खाने से निरोगी रहने की मान्यता है.
ऎसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि और राख को अगले दिन प्रात: घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है. तथा इस राख का शरीर पर लेपन भी किया जाता है.
राख का लेपन करते समय निम्न मंत्र का जाप करना कल्याणकारी रहता है—-
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च ।
अतस्त्वं पाहि माँ देवी! भूति भूतिप्रदा भव ॥
होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए—–
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्
इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच माला विषम संख्या के रुप में करना चाहिए.
होलिका पूजन के बाद होलिका दहन—-
विधिवत रुप से होलिका पूजन करने के बाद होलिका का दहन किया जाता है. होलिका दहन सदैव भद्रा समय के बाद ही किया जाता है. इसलिये दहन करने से भद्रा का विचार कर लेना चाहिए. ऎसा माना जाता है कि भद्रा समय में होलिका का दहन करने से क्षेत्र विशेष में अशुभ घटनाएं होने की सम्भावना बढ जाती है.
इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा में भी होलिका का दहन नहीं किया जाता है. तथा सूर्यास्त से पहले कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए. होलिका दहन करने समय मुहूर्त आदि का ध्यान रखना शुभ माना जाता है.
आधुनिक परिपक्ष्य में होलिका दहन—-
आज के संदर्भ में वृ्क्षारोपण के महत्व को देखते हुए, आज होलिका में लकडियों को जलाने के स्थान पर, अपने मन से आपसी कटुता को जलाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे हम सब देश की उन्नति और विकास के लिये एक जुट होकर कार्य कर सकें. आज के समय की यह मांग है कि पेड जलाने के स्थान पर उन्हें प्रतिकात्मक रुप में जलाया जायें. इससे वायु प्रदूषण और वृ्क्षों की कमी से जूझती इस धरा को बचाया जा सकता है. प्रकृ्ति को बचाये रखने से ही मनुष्य जाति को बचाया जा सकता है, यह बात हम सभी को कभी नहीं भूलनी चाहिए.
ऐसे करें धन प्राप्ति के उपाय..होली के दिन—-(अपनी राशी अनुसार)–
होली का त्योहार रंग का पर्व है. वर्ष 2012 में 08 मार्च के(गुरुवार) दिन होली का पर्व मनाया…
मेष राशि :—–
1. इस राशि के जातक-जातिकाओं को किसी भी प्रकार की कारोबारी, पारिवारिक या स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी हो या इसका हमेशा भय बना रहता है, मेहनत का उचित फल नहीं मिलता हो। तो होलिका दहन के समय एक तांबे की कटोरी में चमेली का तेल, पांच लौंग और आंवले के पेड़ के पांच पत्ते, थोड़ा सा गुड़। यह सभी समान कटोरी में रख दें। मंगल गायत्री का 108 बार जाप करते हुए समस्त सामग्री को होलिका दहन के समय होलिका में अर्पित कर देना चाहिए। प्रात: काल सुबह होली की थोड़ी सी राख लेकर आएं और उस राख को चमेली के तेल में मिला कर अपने शरीर पर मालिश करें। किसी तरह की समस्या होगी उसका निवारण होगा। एक घंटे बाद हल्के गरम पानी से स्नान कर लें।
2. दूसरे दिन ब्रह्ममर्हूत्त में जहाँ होली जली थी वहाँ की सात चुटकी राख, सात तांबे के छेद वाले सिक्के, लाल कपड़े में बांधकर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर टांग दें या इस सामग्री को अपनी तिजोरी मे रख दें। धन लाभ अवश्य होगा।
वृष राशि:—-
1. इस राशि के जातक-जातिकाओं को यदि व्यापारिक समस्या हो, घर में सुख शांति न हो, लेन-देन के मसलों से परेशानी हो, स्वास्थ्य अनुकूल न रहता हो, कारोबार से लाभ न मिल रहा हो तो चाँदी की कटोरी ले लें और उसमें थोड़ा सा दूध, पांच चुटकी चावल डाल दें, गुलमोहर के पांच पत्ते डाल दें। थोड़ा पांच चुटकी शक्कर, इन सारे सामानों को होलिका दहन के समय शिव गायत्री का 108 बार जाप करके अगि् को समर्पित कर दें। कैसी भी व्यापारिक समस्या होगी उसका निवारण हो जाएगा।
2. होली के प्रात:काल सफेद कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख और एक सिक्का चाँदी का बांध लें। इस सामग्री को अपनी तिजोरी में रख दें। कारोबारी सारी समस्याओं का निवारण होगा।
मिथुन राशि:—-
1. अनावश्यक कलह, व्यापार में घाटा, अपनों का विरोध, मानसिक अस्थिरता, इन सारी समस्याओं के निवारण के लिए होलिका दहन के समय कांसे की कटोरी में 50 ग्राम हरे धनिया का रस, 108 दाने साबूत मूंग के, पीपल के पांच पत्ते, कोई भी हरे रंग की मिठाई – इन सारी सामग्रियों को अपने हाथ में रख कर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे का 108 बार जाप करके इस सामग्री को होलिका दहन के समय अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. हरे कपड़े में . चुटकी होलिका दहन की राख, 3 हरे हकीक के पत्थर बांधकर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर बांध लें या इस सामग्री को तिजोरी में रख दें। कारोबारी समस्या का निवारण अवश्य होगा।
कर्क राशि :—
1. मानसिक अस्थिरता रहे, काम में रुचि नहीं रहे, अपनों से धोखा मिला करे, काम बदलने की प्रवृत्ति बढ़े, तो ऐसी अवस्था में सभी समस्याओं के समाधान के लिए एक कटोरी ले लें और उसमें थोड़ा सा दही रख लें, फिर उसमें पांच चुटकी चावल भी डाल लें, अशोक के सात पत्ते और सफेद पेठा की मिठाई ले लें। इन सबको कटोरी में रख कर अपने हाथ में रख लें। महामृत्युंजय का 108 बार जाप करके अगि् को समर्पित कर दें। इससे सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. प्रात:काल सफेद कपड़े में होलिका दहन की राख 7 चुटकी, 7 गोमती चक्र बांधकर दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान या घर के मुख्य द्वार पर लटका दें अथवा अपनी तिजोरी में रख दें। महालक्ष्मी की कृपा अवश्य होगी।
सिंह राशि:—
1. यदि कारोबार में सफलता नहीं मिल रही हो, स्वास्थ्य अनुकूल नहीं हो, कार्यों में अप्रत्याशित बाधा आ रही हो तो होलिका दहन के दिन कांसे की कटोरी में थोड़ा सा घी ले लें, पांच चुटकी गेहूं, पांच चुटकी देसी खाण्ड, अशोक वृक्ष के पांच पत्ते, कटोरी में रखकर अपने हाथ में ले लें और सूर्य गायत्री का 108 बार जाप करके समस्त सामग्री को होलिका को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
2. सुनहरे कपड़े में 5 चुटकी होलिका दहन की राख, तांबे के पत्र पर खुदा हुआ सूर्य यंत्र, पांच तांबे के पुराने सिक्के बांधकर जहाँ धन रखते हैं, यदि वहाँ रख दिया जाए तो व्यावसायिक प्रतिकूलताओं का शमन होगा। एक बात का ध्यान अवश्य रखें, सूर्य यंत्र को खोल कर घी का दिया व धूप अवश्य दिखाएं।
कन्या राशि:—
1. किसी काम में स्थिरता नहीं बनती हो, दिए हुए पैसे वापस नहीं मिल रहे हों, अपनों की वजह से हमेशा परेशानी झेलनी पड़ रही हो या कारोबारी या कानूनी समस्या हो तो ताम्बे की कटोरी में आंवले का थोड़ा सा तेल ले लें और पांच पत्ते नीम, पांच इलायची, नारियल से बनी मिठाई, इन सारी सामग्री को कटोरी में डाल कर अपने हाथ में रख लें और 108 बार बुध के बीज मंत्र का जाप करते हुए सारी सामग्री को हालिका में दहन कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. हरे कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख, 11 बलास्त (बीता) हरा धागा, छेद वाले तांबे के सात सिक्के बांध कर दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि के मुख्य द्वार पर टांग दें या अपने तिजोरी में रखने से कारोबार में वृध्दि होगी और सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
तुला राशि:—
1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें चाँदी की कटोरी में पांच छोटी चम्मच गाय के दूध की खीर ले लें, पांच पत्ते शीशम के, गेंदा के पांच फूल, इन सारी सामग्रियों को अपने हाथ में रख कर शिव षडाक्षरी मंत्र यानी ॐ नम: शिवाय का 108 बार जाप करके होलिका दहन के समय यह समस्त सामग्री अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. क्रीम रंग के कपड़े में 7 चुटकी होलिका दहन की राख, 7 कोड़ियां पीली धारी वाली बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। अवश्य लाभ होगा।
वृश्चिक राशि:—
1. इस राशि के जातक-जातिका यदि कार्य सफलता के लिए जूझना पड़ रहा हो और तब भी कार्य सफलता न मिल रही हो, कारोबार में लाभ न मिल रहा हो तो इन्हें तांबे की कटोरी में चमेली का तेल डाल कर, पांच साबूत लाल मिर्च, एक बुंदी का लड्डू, पांच गूलर के पत्ते, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में रखकर ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा का 108 बार जाप करके सारी सामग्री अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. लाल कपड़े में 17 चुटकी होलिका दहन की राख, 1 लाल मूंगा बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। कारोबार सम्बंधित सारी समस्या का निवारण होगा।
धनु राशि:—
1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक पीतल की कटोरी में देसी गाय का थोड़ा सा घी, थोड़ा सा गुड़, पांच चुटकी चने की दाल, पांच आम के पत्ते डाल अपने हाथ में रख लें फिर बृहस्पति गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करके इन समस्त सामग्रियों को होलिका दहन के समय अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. पीले कपड़े में 9 चुटकी होलिका दहन की राख एवं 11 पीली कोड़ियां बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें। कारोबार सम्बंधी कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा।
मकर राशि:—-
1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो, अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल थोड़ा सा लें, उसमें पांच चुटकी काली तिल, पांच बरगद के पत्ते, एक काला गुलाब जामुन मिठाई, इन समस्त सामग्रियों को अपने हाथ में लेकर ॐ शं शनैश्चराय नम: इस मंत्र का 108 बार जाप करके इस समस्त सामग्री को हालिका दहन के समय अगि् में समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. नीले कपड़े में 11 चुटकी राख, 11 छोटी लोहे की कील बांधकर घर या व्यापारिक संस्था के मुख्य द्वार पर लटका दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
कुम्भ राशि:——
1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो, अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक स्टील की कटोरी में तिल का तेल, 108 दानें साबूत उड़द के, खेजड़ी (झण्डी) के पांच पत्ते या कदंब के पांच पत्ते, पांच काली मिर्च, कोई भी काले रंग की एक मिठाई, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में रख कर मंगलकारी शनि मंत्र की 108 बार जाप करके होलिका दहन के समय अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. काले कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख, 7 काजल की डिब्बी बांधकर कारोबारी प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर लटका दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
मीन राशि:—-
1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अप्रत्याशित कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें कांसे की कटोरी में बादाम का तेल थोड़ा सा उसमें 108 जोड़े चने की दाल के, कोई भी थोड़ी सी पीली मिठाई, आम के पांच पत्ते, एक गांठ हल्दी, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में लेकर ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरवे नम: मंत्र का 108 बार जाप करके इन समस्त सामग्रियों को हालिका दहन के दिन अगि् को समर्पित कर दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. पीले कपड़े में 7 चुटकी होलिका दहन की राख, तांबे के 7 सिक्के और 11 कौड़ी बांधकर घर, दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर लटका दें। सारी व्यावसायिक पीड़ाओं से छुटकारा मिलेगा।