कब होगा नौकरी में प्रमोशन या  व्यवसाय में उन्नति ..???

मेरे पास आने वाले अधिकांश जातकों का प्रश्न होता है कि उन्हें व्यवसाय अथवा सर्विस में प्रमोशन कब मिलेगा? कुछ व्यक्तियों को अत्यधिक परिश्रम के बाद आशा के अनुरुप सफलता नहीं मिल पाती है और कुछ की थोडी सी मेहनत ही ऎसा रंग लाती है कि प्राप्त सफलता पर उसे स्वयं विश्वास नहीं होता है.
आजिविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिये व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है. किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कोई व्यक्ति अपने आजिविका क्षेत्र में इसलिये सफल है कि उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है.कोई अपनी वाकशक्ति के बल पर आय प्राप्त कर रहा है. तो किसी को अपनी कार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है. अपनी कार्यशक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस गलाकाट प्रतियोगिता में आगे बढने का साहस कर सकता है. आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है.
नौकरी या व्यवसाय का चयन व्यक्ति अपनी योग्यता के आधार पर करता है। सफलता भी इंसान की योग्यता और उसकी मेहनत पर निर्भर होती है। मेहनती और पढ़े-लिखे होने के साथ यदि आप ज्योतिष के आधार पर यह जानना चाहें कि आपका कार्य क्षेत्र कौनसा होगा अर्थात कैसी नौकरी मिलेगी, इन योगों के आधार पर समझ सकते हैं-
आजीविका का निर्धारण व्यक्ति की योग्यता शिक्षा, अनुभव से तो होता ही है, उसकी कुंडली में बैठे ग्रह भी प्रभाव डालते हैं। चंद्र, सूर्य या लग्न इनमें से जो भी ग्रह कुंडली में अधिक बली होता है, उससे दशम भाव में जो भी राशि पड़ती है, उस राशि का स्वामी जिस नवमांश में है, उस राशि के स्वामी ग्रह के गुण, स्वभाव तथा साधन से जातक धन प्राप्त करता है। जैसे- दशम भाव की राशि का स्वामी नवमांश में यदि कर्क राशि में स्थित है, तो व्यक्ति चंद्र ग्रह से संबंधित कार्य करेगा। ऎसा भी हो सकता है कि दशम भाव में कोई ग्रह नहीं हो, तो दशमेश ग्रह के अनुसार व्यक्ति व्यवसाय करेगा। साथ बैठे अन्य ग्रहों का प्रभाव भी व्यक्ति के व्यवसाय पर पड़ना संभव है।
ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांश कुण्डली में चौथे स्थान पर केतु व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने से लोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगर लग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युत होता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता है.
कारकांश में लग्न से पंचम स्थान पर मंगल होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला में महारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होता है.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाता है.
सफलता किसके चरण चूमती है. और कब कोई उन्नति के शिखर पर पहुंचता है. इससे ज्योतिष से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है. इसमे उन्नति के समय का निर्धारण किया जाता है.

.. तीन वर्ग कुण्डलियां—–
जन्म कुण्डली जीवन की सभी सूचनाओं का चित्र है. मोटी मोटी बातों को जानने के लिये जन्म कुन्डली को देखने से प्रथम दृ्ष्टि मे ही जानकारी हो जाती है. सूक्ष्म अध्ययन के लिये नवांश कुण्डली को देखा जाता है. व्यवसाय मे उन्नति के काल को निकालने के लिये दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है . इन तीनों कुण्डलियों में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है .तीनों वर्ग कुन्डलियों से जो ग्रह दशम/एकादश भाव या भावेश विशेष संबध बनाते है. उन ग्रहों की दशा, अन्तरदशा में उन्नति मिलने की संभावना बनती है . कुण्डलियों में बली ग्रहों की व शुभ प्रभाव के ग्रहों की दशा मे भी प्रमोशन मिल सकता है. एकादश घर को आय की प्राप्ति का घर कहा जाता है. इस घर पर उच्च के ग्रह का गोचर लाभ देता है.

.. पद लग्न से —–
पद लग्न वह राशि है जो लग्नेश से ठीक उतनी ही दूरी पर स्थित है. जितनी दूरी पर लग्न से लग्नेश है. पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तरदशा या दशमेश/ एकादशेस का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है. पद लग्न से दशम / एकादश भाव पर दशमेश या एकादशेस का गोचर होने पर भी लाभ प्राप्ति की संभावना बनती है.

.. महत्वपूर्ण दशाये—-
ज्योतिष मह्र्षि पराशर के अनुसार लग्नेश, दशमेश व उच्च के ग्रहों की दशाएं व्यक्ति को सफलता देती है. इन दशाओं का संबध व्यवसाय के घर या आय के घर से होने से आजिविका में वृ्द्धि होती है. इन दशाओं का संबध यदि सप्तम या सप्तमेश से हो जाये तो सोने पे सुहागे वाला फल समझना चाहिए .

4. दशमेश नवाशं मे जिस राशि मे जाये उसके स्वामी से संबध—–
जन्म कुण्डली के दशवें घर का स्वामी नवाशं कुण्डली में जिस राशि में जाये उसके स्वामी के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय व उसपर बली ग्रह की दशा/ गोचर उन्नति के मार्ग खोलता है. इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति को अपनी मेहनत में कमी न करते हुए अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए. उन्नति के समय में आलस्य व्यक्ति को मिलने वाले शुभ फलों में कमी का कारण बन सकता है.

5. गोचर—–
उपरोक्त चार नियमों का अपना विशेष महत्व है. पर इच्छित फल पाने के लिये गोचर का सहयोग भी लेना आवश्यक है. कुण्डली में उन्नति के योग हो, पद लग्न पर शुभ प्रभाव हो, दशवे घर व एयारहवे घर से जुडी दशाएं हो व गुरु शनि का गोचर हो तो व्यकि को मिलने वाली उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है.
इन योग के अलावा उक्त बातों का भी रखे ध्यान—
1. कामकाज की जानकारी व समझ —–
 काम छोटा हों या बडा हों, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है. जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनाने के लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा जाता है.कुण्डली में जब गुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है . गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में (Guru in Neecha Rashi), वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है. सभी ग्रहों में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है. गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है. इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्ति अच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है.
2. कार्यक्षमता व दक्षता—–
किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि की स्थिति देखी जाती है . कुण्डली में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों  तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है. कई बार ऎसा होता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है. परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है.इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली  हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है. जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है. यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकती है. शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है. 
3. कार्यनिष्ठा: —-

 जन्म कुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घर से शनि का संबन्ध देखा जाता है . अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है. शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है. शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है. कुण्डली में शनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है.

4. स्नेह, सहयोगपूर्ण व्यवहार —–
 कई बार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है. परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है. व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कतें होती है. चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है. अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है. बिगडती बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है. चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है. 
5. यान्त्रिक योग्यता —–
 आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो. किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी योग्यता है. यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध बनने पर आता है. केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है. इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने की संभावना रहती है. इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल, शनि व केतु में से दो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की योग्यता होती है! 
6.  वाकशक्ति ——
 बुध जन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव / भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है. वाकशक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है.
इन उपायों से होगा लाभ—-
—–व्यापर में उन्नति का अचूक टोटका—-शनिवार का दिन छोड़कर किसी भी दूसरे दिन एक पीपल का पत्ता लेकर गंगाजल से धोकर उस पर केसर से तीन बार ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय नम: लिखकर पत्ते को पूजा स्थल पर रख लें। इसकी रोज पूजा करें व धूप-दीप दिखाएं। 21 दिन बाद यह पत्ता ले जाकर अपने व्यापार-व्यवसाय स्थल या ऑफिस में किसी ऐसी जगह रखें जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। आपका व्यवसाय लगातार उन्नति करने लगेगा।

—-इस उपाय से व्यापार में उन्नति होगी —–


——श्याम तुलसी के पौधा के पास उगे हुए घास को गुरूवार के दिन लेकर पीले वस्त्र में बांध दें। इसके बाद इस वस्त्र पर सिंदूर लगाएं और लक्ष्मी माता का ध्यान करके इसे व्यापार स्थल पर रख दें। व्यापार में उन्नति के लिए गुरूवार के दिन केले की जड़ को पीले वस्त्र में लपेटकर व्यापार स्थल में रखना भी लाभप्रद होता है।
—-गल्ले या तिजोरी में कुबेर यंत्र अवश्य रखें जिससे कि आपके व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होती रहे।
—-व्यवसाय में घटा होने लगा है तो इस संकट से निकलने के लिए शुक्ल पक्ष में किसी शुक्रवार के दिन तांबे के बर्तन में ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें। इस यंत्र को गंगा जल से स्नान कराएं और सिंदूर लगाएं। लाल फूलों से इस यंत्र की पूजा करें। इससे जाती लक्ष्मी ठहर जाएगी। इससे व्यापार में होने वाला नुकसान रूक जाएगा लेकिन व्यापार में उन्नति के लिए लगातार 11 दिनों तक ‘ओम वं व्यापारं वर्धय शिवाय नमः’ का 11 बार जप करें। बारहवें दिन ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र को नदी में विसर्जित दें।
——यदि आप अपना स्थानांतरण किसी इच्छित स्थान पर कराना चाहते हैं तो सोते समय अपना सिरहाना दक्षिण की ओर रखें। तांबे के दो पात्र लें। एक में जल के साथ बिल्वपत्र व गुड तथा दूसरे में जल व 21 मिर्च के दाने डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें और इच्छित स्थान के लिए प्रार्थना करें। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here