क्या करें परीक्षा में अच्छे नंबर पाने के लिए..???
पढ़ाई में अव्वल हो, अच्छे नंबर आएं, परीक्षा में सफलता मिले वगैरह-वगैरह, ऐसी चाहत हर विद्यार्थी की होती हैं। लेकिन कभी-कभी मेहनत के बावजूद कुछ छात्र असफल भी हो जाते हैं। अगर आप भी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, तो मेहनत के साथ-साथ कुछ सामान्य उपाय करके शिक्षा के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। अक्सर ये देखा गया है कि स्टूडेन्ट्स घंटो बैठ कर पढ़ाई करते हैं लेकिन उनका रिजल्ट संतोषजनक नही होता।अगर आपके बच्चों के साथ भी ऐसा होता है, तो हो सकता है इसमें बच्चों की कोई गलती न हों, क्योंकि वास्तु के अनुसार बच्चों के लिए उनकी राशि के अनुसार पढ़ाई करने की दिशा बताई गई हैं। अगर स्टूडेन्ट्स अपनी राशि के अनुसार स्टडी रूम में बैठकर पढ़ाई करें तो उनको अपनी मेहनत के पूरे परिणाम मिलने लगेंगे।
हर छात्र की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। प्रयास तो सभी करते हैं मगर इनमें से कुछ लोग ही सफल होते हैं। कई छात्रों की समस्या होती है कि कड़ी म्हणत करने के बावजूद आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पते हें…
हर छात्र की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। प्रयास तो सभी करते हैं मगर इनमें से कुछ लोग ही सफल होते हैं। कई छात्रों की समस्या होती है कि कड़ी म्हणत करने के बावजूद आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पते हें…
परीक्षा का समय नजदीक आते ही युवाओं के दिल की धड़कने बढ़ने लगती है। कितनी ही मेहनत की हो, नर्वस हो जाना आम बात है। कई किशोर तो परीक्षा हॉल में घुसते ही सब भूल जाते हैं। ऐसे में कुछ ज्योतिषीय उपाय कारगर हो सकते हैं- पढ़ाई के साथ इन्हें भी अपनाएँ और देखें चमत्कार….
——— परीक्षा का संबंध स्मरणशक्ति से है, जो बुध की देन है। बुध को मजबूत करने के लिए खूब सलाद और हरी सब्जियाँ खाएँ। गणेश जी के दर्शन करें। गाय को हरी घास खिलाएँ। कुंडली की स्थिति के अनुसार पन्ना पहनने से लाभ होता है। शंखपुष्पी का सेवन भी लाभ देता है।
———— परीक्षा भवन में मानसिक संतुलन का कारक है चंद्रमा! चंद्रमा का मजबूत होना आत्मविश्वास बढ़ाता है। सफेद वस्तु का सेवन करने से, दान करने से, शिव के दर्शन व शिव चालीसा पढ़ने से, कनिष्ठा ऊँगली में चाँदी का छल्ला पहनने से तथा चाँदी के गिलास में पानी पीने से चंद्र मजबूत होता है। कुंडली में चंद्र की स्थितिनुसार मोती पहनने से लाभ होता है।
कुछ अन्य उपाय : —–
—–तुलसी के पत्तों को मिश्री के साथ पीसकर प्रतिदिन उसका रस पीने से स्मरणशक्ति बढ़ती है।
—-इमली के पत्तों को पुष्य नक्षत्र के दिन अपनी पुस्तक में रखें।
—–पुष्य नक्षत्र में ‘योगेश्वर श्रीकृष्ण प्रसन्नो भव:’ मंत्र को सुनहरी कैप वाले लाल रंग, लाल स्याही के पेन से .. बार लिखें, 1.8 बार जाप करके अपने साथ ले जाएँ।
—- परीक्षा भवन में जाने से पहले ‘गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल विद्या सब आई।’ चौपाई का 108 बार जाप करने से सफलता मिलती है।
—-पढ़ाई में मन न लगने पर मंगलवार के दिन मसूर की लाल दाल लाल कपड़े की थैली में डालकर पॉकेट में रखें, पढ़ने में रुचि जागेगी।
—-‘ऊँ ह्रीं अर्हंणमो क्रुद्ध बुद्धिणं’ या ‘वद् वद् वागवादिनी नम:’ मंत्र का 108 बार लगातार 14 दिन तक जाप करें तथा सरस्वती का ध्यान कर उन्हें लाल पुष्प व लाल वस्त्र चढ़ाएँ… सफलता निश्चित मिलती है। यह कार्य वसंत पंचमी से प्रारंभ करें या किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से प्रारंभ करें।
—–गुरु के सान्निध्य में बैठे, माता-पिता की सेवा करें, गाय को गुड़-चने की दाल खिलाएँ तथा इष्ट का ध्यान करें।
##### विशेष नोट : इन उपायों के साथ मेहनत करना भी जरूरी है।
बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने के टोटके—
1॰ माघ मास की कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में अर्द्धरात्रि के समय रक्त चन्दन से अनार की कलम से “ॐ ह्वीं´´ को भोजपत्र पर लिख कर नित्य पूजा करने से अपार विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है।
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.॰ उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।
(का॰1, अनु॰5, सू॰29)
यह सूर्य ऊपर चला गया है, मेरा यह मन्त्र भी ऊपर गया है, ताकि मैं शत्रु को मारने वाला होऊँ। प्रतिद्वन्द्वी को नष्ट करने वाला, प्रजाओं की इच्छा को पूरा करने वाला, राष्ट्र को सामर्थ्य से प्राप्त करने वाला तथा जीतने वाला होऊँ, ताकि मैं शत्रु पक्ष के वीरों का तथा अपने एवं पराये लोगों का शासक बन सकूं।
21 रविवार तक सूर्य को नित्य रक्त पुष्प डाल कर अर्ध्य दिया जाता है। अर्ध्य द्वारा विसर्जित जल को दक्षिण नासिका, नेत्र, कर्ण व भुजा को स्पर्शित करें। प्रस्तुत मन्त्र `राष्ट्रवर्द्धन´ सूक्त से उद्धृत है।
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३॰ बच्चों का पढ़ाई में मन न लगता हो, बार-बार फेल हो जाते हों, तो यह सरल सा टोटका करें-
शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां तथा दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें। यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं।
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पढ़ाई में मन न लगे तो करें यह उपाय—
पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें।
जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें।
जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पूर्व दिशा की ओर मुख—-
अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए।
विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती।
विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
ध्यान रखें की खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करें —
इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर आप खाना खाते हुए पढ़ाई करते हैं तो समझ लीजिए आपका ज्ञान बढ़ नहीं रहा है बल्कि आप ज्ञान और आयु दोनों को नष्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खाना और पढ़ना दोनों साथ-साथ नहीं करना चाहिए। इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा हुआ है कि ‘जो मनुष्य जूठे मुंह खाना पढ़ता है अथवा जूठे मुंह उठकर इधर-उधर जाता है यमराज उसकी आयु कम कर देते हैं तथा उसके बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह से पढ़ाई करने से जो भी पढ़ते हैं वह लम्बे समय तक याद नहीं रह पाता है और जरूरत के समय ऐसी शिक्षा काम नहीं आती है।