गुड मोर्निंग/सुप्रभात/वडक्कम /आदाब/सतश्री अकाल…केसे हें आप लोग..???
मुझे शिकायत हें….
—.. .– उन सभी लोगो से जिन्होंने मेरी इस अचानक हुई बीमारी ( लो ब्लड प्रेशर) पर भी टिका-टिपण्णी की..और अपनी आदत/ओकात से बाज नहीं आये.. आखिर क्यों भाई ..???
—0. .– उन सभी लोगो से जो केवल अपनी जन्म कुंडली/पत्रिका दिखने के लिए ही मेरे दोस्त/मित्र बनते हें..??उन लोगो की इसी आदत के रहते में मजबूर हुआ हूँ फ़ीस/दक्षिणा लेने को..!! कारण की वे लोग एक साथ कई अन्य दुसरे ज्योतिषियों को भी परेशान करते हे.. इधर उधर अपनी कुंडली दिखाते -दिखाते वे इतने ज्ञानी/जाकर/समझदार हो जाते हें की हमें ही समझाने लग जाते हें ये तो ऐसा हे…ये तो ऐसे होगा..?? अरे जब तुम सब कुछ जानते हो तो फिर हमारे पास क्यों ..???कई तो फर्जी ज्योतिषी बनकर हमारे दोस्त/मित्र बनते हे.!!!.क्या हम नहीं समझते हें..??? उनकी बातों और सवालों से पता लग जाता हें की उनकी ओकात/हेसियत क्या हें.???
—–0. .– उन लोगो से जो मेरी फ़ीस/दक्षिणा को लेकर सवाल उठाते हें?? टिका-टिपण्णी करते हें..?? क्यों भय्या जी हम इन्सान नहीं हें?? हमें जीने का अधिकार नहीं हें??? बिना पैसे के केसे होगा जीवन यापन.?? हमने वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2010 तक बहुत सेवा की हें वो भी निशुल्क..!!! वेसे भी मेने एक वेड विद्यालय की जिम्मेदारिली हुयी हें जिसमे लगभग 300 बच्चे वर्तमान में पढ़ रहे हें(अध्ययन रत हें)..उसका पता( यदि कोई जानकारी/छानबीन करना चाहे तो)– श्री बनवारी लाल जी गोड़(प्रधानाचार्य), संस्कृत छात्रावास वैद विद्यालय, गोधुलिपुरम,अटल्ला चुंगी के पास, वृन्दावन, जिला -मथुरा(उत्तर प्रदेश)
—–04 .— अनेक दोस्तों/लोगो की शिकायत/नाराजगी हें””फोकटिया “”शब्द को लेकर..?? मेरा अर्थ/अभिप्राय उन सभी समझदारों से था जो की व्यर्थ में समय ख़राब करते हे ..अपना खुद का और साथ में हमारा भी.??? यहाँ पर सवाल पेसो का नहीं हें जी..हमारे पास कितने काम होते हें..??
—05 .–अब आते हें फ़ीस/दक्षिणा पर– में यहाँ पर काम से काम 1000 लोगो के नाम,पते और नंबर दे सकता हूँ जिन्होंने बड़ी बड़ी बातें करके हमसे परामर्श तो लिया ही..उसके साथ साथ रत्न/स्टोन/जेम्स/यंत्र/मन्त्र … आदि भी मंगवा लिए और आज तक परिणाम/फलस्वरूप कुछ भी नहीं दिया..?? आप लोगो ने ही हमें मजबूर किया की हम कठोर हो जाये ..बिना फ़ीस /दक्षिणा के किसी की कोई हेल्प/मदद नहीं करनी हें..!! मगर क्या करें नाम जो दयानंद हे.. कई बार करनी पड़ती हें जी मदद/सहायत. किनती में अन कठोर/निष्ठुर हो गया हूँ..अव(वर्ष-2012 ) बिना दक्षिणा/फ़ीस के किसी की पत्रिका नहीं देखूंगा.???
—06 .– वेसे जब आप बीमार/रोग गर्त होकर किसी डाक्टर/चिकित्सक के पास जाते हें तो क्या वह आपका फ्री में/मुफ्त में इलाज करता हें क्या???फ़ीस लेता हें??जांचे करवाता हें अलग-अलग ?? फिर उसकी दुकान से ही ढेर सारी दवाइयां?? आप लोग उसे तो कुछ नहीं कहते हें?? वहां तो चुपचाप फिर जमा करवा अपना इलाज करवाते हें न???
—–07 .— में ये भी मानता हूँ की हमारे इस पवित्र कार्य(धंधे ) में भी कुछ सूदखोर/दलाल/कमीशन वाले आ गए हे.( में जनता हूँ कई लोग नाराज/क्रोधित भी हो जायेंगे..मेरी इस बात से) जो यंत्र/मात्र/रत्न/स्टोन/जेम्स को सस्ते में खरीदकर मुह मांगे दामो पर बजकर बहुत पैसा कमाते हें जी..!!! और तो और पूजा-अनुष्ठान-कर्मकांड करवाने में भी कमीशन खाने में पीछे नहीं रहते हें..?? त्र्यम्बकेश्वर (नासिक) में कालसर्प पूजा करवाने पर सभी पंडितों को कमीशन दिया जाता हें..!! ये एक कडवा सच हे जो कईयों को चुभेगा …और भी कई ऐसे स्थान हें…जहाँ पर कमीशन/दलाली दी जाती हें –पूजा -पाठ करवाने पर.. में ये सभी कुछ न करता हुआ और न ही दलाली/कमीशन लेता हूँ..तो फिर में अपनी म्हणत का पैसा/दक्षिणा/फ़ीस क्यों नहीं लूँ..?? जब में पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करता हुआ.???
—–०८.– मुझे शिकायत हें उन संपादकों/प्रकाशकों( पत्रिका/अखबार/न्यूज पोर्टल वालो से) से हमसे लेख लेकर छापते हें पर हमें ही कोपी/प्रतिलिपि नहीं भेजते हें?? क्या ये सही/ठीक हें…???और तो और वे हमें समझते हें की लेख केसे लिखा जाये????हद हो गयी जी..???
आभार/धन्यवाद/साधुवाद….
यदि किसी के पास कोई जवाब/उत्तर हो तो प्लीज मुझे संतुष्ट करके समझाए…
प्रतीक्षारत —
आपका अपना–
पनदिर दयानन्द शास्त्री