क्या उपयोग हें मोर पंख का वास्तु और ज्योतिष में ???? आइये जाने इसके प्रभाव —
आम जनता में मोर के पंख को लेकर यह विश्र्वास हें कि मोर के पंख के प्रयोग से अमंगल टल जाता है विशेष रूप से बुरी आत्माएं पास ही नहीं आती है,शास्त्रों व ग्रंथो के साथ साथ वास्तु एवं ज्योतिष विज्ञानं में मोर के पंखों का अति महत्त्वपूर्ण स्थान है मोर के पंख घर में रखने का बहुत महत्त्व है इसका धार्मिक प्रयोग भी है इसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुकुट पर स्थान दे कर सम्मान दिया मोर मुख्य रूप से दक्षिण.एशिया का पक्षी माना जाता है भारत में तो इसे अत्यंत सम्मान के साथ देखा जाता है वर्ष .96. में इसे भारत का राष्ट्रीय.पक्षी घोषित किया गया था…
—मोर को देवताओं का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है… मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है इसलिए विद्यार्थी इस पंख को अपनी पाठ.पुस्तकों के मध्य भी प्राचीन काल से रखते आ रहें है …यही मोर भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय का वाहन के रूप में भी प्रतिष्ठित है ….नेपाल आदि देशों में मोर को बर्ह्मा कि सवारी के रूप में माना जाता है …यंहा तक कि जापान, इंडोनेसिया थाईलैंड, और भी देशों में पूज्य है …यह तो सब जानते ही हें कि मोर व सर्प में अत्यंत शत्रु का शव रहता है
—-आयुर्वेद में भी मोर के पंख से टीद्बी टीबी, फालिज,दमा, नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का सफलतापूर्वक उपचार संभव होता है ….उपरोक्त विवरण से पता चलता हें की मोर का पंख कितना उपयोगी व महत्त्वपूर्ण है
—मोर को देवताओं का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है… मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है इसलिए विद्यार्थी इस पंख को अपनी पाठ.पुस्तकों के मध्य भी प्राचीन काल से रखते आ रहें है …यही मोर भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय का वाहन के रूप में भी प्रतिष्ठित है ….नेपाल आदि देशों में मोर को बर्ह्मा कि सवारी के रूप में माना जाता है …यंहा तक कि जापान, इंडोनेसिया थाईलैंड, और भी देशों में पूज्य है …यह तो सब जानते ही हें कि मोर व सर्प में अत्यंत शत्रु का शव रहता है
—-आयुर्वेद में भी मोर के पंख से टीद्बी टीबी, फालिज,दमा, नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का सफलतापूर्वक उपचार संभव होता है ….उपरोक्त विवरण से पता चलता हें की मोर का पंख कितना उपयोगी व महत्त्वपूर्ण है
—यही मोर का पंख हमारे ज्योतिष.शास्त्र एवं वास्तु शास्त्र के द्वारा मनुष्य जीवन में कितना भाग्यशाली सिद्ध होता है कि एक मोर का पंख हमारे जीवन कि दिशा बदलने में कितना सहायक है????
—-यदि मोर पंख को जरा ध्यान से प्रयोग में लाने से असंभव कार्य भी संभव से होने लगते है …
—-यदि मोर पंख को जरा ध्यान से प्रयोग में लाने से असंभव कार्य भी संभव से होने लगते है …
#### निम्न प्रयोगों के द्वारा आप भी शुभ मोर के पंखों से लाभ उठा सकते है —
—-घर के दक्षिण.पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढती है व अचानक कष्ट नहीं आता है…
—यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा.कृष्ण कि मूर्ती के मुकुट में 4. दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन.मिश्री काभोग सांयकाल को लगाए 41 वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लाकर्स में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि धन-सुख.शान्ति कि वृद्धि हो रही है …रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे है
—-काल.सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है काल.सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर सात (07 ) मोर के पंख सोमवार रात्री काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करे और अपने बैड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम ११ मोर के पंख तो हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है
—बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे.धीरे उनकी जिद्द कम होती जायेगी
—-जैसे कि पहलें वर्णन किया कि मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर. पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष की भी नहीं परेशान करता है तथा घर में सर्प मच्छर बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का भी नहीं रहता है
—नवजात बालक के सिर की तरफ दिन.रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोईभी नजर दोष और अला.बला से बचा रहता है
—-यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए चलते पानी मेंभी देने से शत्रुए शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है ….इस प्रकार के अनेकों प्रयोगों का धर्मशास्त्रों में वर्णन मिलता है
—बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे.धीरे उनकी जिद्द कम होती जायेगी
—-जैसे कि पहलें वर्णन किया कि मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर. पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष की भी नहीं परेशान करता है तथा घर में सर्प मच्छर बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का भी नहीं रहता है
—नवजात बालक के सिर की तरफ दिन.रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोईभी नजर दोष और अला.बला से बचा रहता है
—-यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए चलते पानी मेंभी देने से शत्रुए शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है ….इस प्रकार के अनेकों प्रयोगों का धर्मशास्त्रों में वर्णन मिलता है