जानिए की किस मन्त्र का जप भगवन शिव/रुद्रावतार भी करते हें-????

एक ऐसा मंत्र जिसका जाप महादेव भी करते रहते है :- 
( राम ) भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार राम सिर्फ एक नाम नहीं अपितु एक मंत्र है, जिसका नित्य स्मरण करने से सभी दु:खों से मुक्ति मिल जाती है।
राम शब्द का अर्थ है- मनोहर, विलक्षण, चमत्कारी, पापियों का नाश करने वाला व भवसागर से मुक्त करने वाला। रामचरित मानस के बालकांड में एक प्रसंग में लिखा है-
नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू।।

रमन्ते योगिनोनन्ते नित्यानंदे चिदातमानि| इति राम पदेना s सौ पर्ब्रह्म्भिधीयते || (राम ताप.)
जिसमे योगी लोग आत्माराम पूर्णकाम परम निष्काम परमहंस लोग रमण करते है,वे परम्ब्रम्ह श्री राम है |
फिर वेद कह रहा है… भद्रो भद्रायसच्मान अगात ……….सुफलासी| ( ऋग्वेद )
वेद व्यास जी कह रहे है भगवान् एक,परमात्मा,ब्रह्म ,ये तीन स्वरुप होते है
ब्रह्म के उपासक निर्गुण निराकार वाले ज्ञानी होते है
उस ब्रह्म में शक्तिया सब है लेकिन प्रगट नहीं होती ,केवल सत्ता मात्र है ऐसा ब्रह्म बेकार है ,भला हमारे किस काम का
और भगवान् का अर्थ सगुन साकार जैसे राम ,कृष्ण ,इनमे सम्पूर्ण शक्तिया का प्राकट्य और विकास होता है ये सर्शक्तिमान ,सर्व्सुह्रित ,सर्वेश्वर है ,अनंत गुण है जिन्हें गिना नहीं जा सकता

रामेति द्वयक्षरजप: सर्वपापापनोदक:।गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात्।।
इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत्। स्कंदपुराण/नागरखंड
अर्थात यह दो अक्षरों का मंत्र(राम) जपे जाने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है। चलते, बैठते, सोते या किसी भी अवस्था में जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान विष्णु का पार्षद बनता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो शक्ति भगवान की है उसमें भी अधिक शक्ति भगवान के नाम की है। नाम जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहराई तक उतरती है। इससे मन और प्राण पवित्र हो जाते हैं, बुद्धि का विकास होने लगता है, सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, मनोवांछित फल मिलता है, सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, मुक्ति मिलती है तथा समस्त प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।

रमन्ते योगिनोनन्ते नित्यानंदे चिदातमानि| इति राम पदेना s सौ पर्ब्रह्म्भिधीयते || (राम ताप.)
जिसमे योगी लोग आत्माराम पूर्णकाम परम निष्काम परमहंस लोग रमण करते है,वे परम्ब्रम्ह श्री राम है |
फिर वेद कह रहा है… भद्रो भद्रायसच्मान अगात ……….सुफलासी| ( ऋग्वेद )
वेद व्यास जी कह रहे है भगवान् एक,परमात्मा,ब्रह्म ,ये तीन स्वरुप होते है
ब्रह्म के उपासक निर्गुण निराकार वाले ज्ञानी होते है
उस ब्रह्म में शक्तिया सब है लेकिन प्रगट नहीं होती ,केवल सत्ता मात्र है ऐसा ब्रह्म बेकार है ,भला हमारे किस काम का
और भगवान् का अर्थ सगुन साकार जैसे राम ,कृष्ण ,इनमे सम्पूर्ण शक्तिया का प्राकट्य और विकास होता है ये सर्शक्तिमान ,सर्व्सुह्रित ,सर्वेश्वर है ,अनंत गुण है जिन्हें गिना नहीं जा सकता

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here