केसा होना चाहिए वास्तु सम्मत  कम्प्यूटर ट्रैनिंग सेन्टर..????
किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है।कम्प्यूटर के क्षेत्र में रोजगार की बढ़ती संभावना को देखते हुए कम्प्यूटर ट्रैनिंग सेन्टर का महत्व दिन प्रतिदिन 
बढ़ता ही जा रहा है। जहाँ युवा अनुभवी फेकल्टी के निर्देशन में उच्च स्तरीय कम्प्यूटर ट्रैनिंग पाते है।
उच्च स्तरीय कम्प्यूटर ट्रैनिंग प्राप्त युवाओं को देश व विदेशों में अच्छी नौकरियाँ बड़ी आसानी से प्राप्त हो जाती है जहाँ वे अच्छे वेतन के साथ-साथ सर्वसुविधायुक्त जीवन जीने का आनन्द भी उठाते हैं।
भारतीय  आई. टी. प्रोफेशनल्स की मांग आज भारत में ही नहीं विदेशों में भी है। हमारे देश में आज भी हजारों कम्प्यूटर नेटवर्किंग टेक्नीशियन एवं इंजीनियर्स की आवश्यकता है।यदि कम्प्यूटर ट्रैनिंग सेन्टर की साज-सज्जा वास्तुअनुरूप की जाये तो निश्चित ही वहाँ ट्रैनिंग लेने वाले छात्रों का भविष्य उज्जवल होगा। उनके संचालकों को आर्थिक लाभ के साथ ही उनके सेन्टर की प्रतिष्ठा भी खुब बढ़ेगी। 
.. कम्प्यूटर ट्रैनिंग सेन्टर वर्गाकार या आयताकार अर्थात् समकोण कमरे में संचालित करना चाहिए। कभी भी अनियमित आकार के कमरे में संचालन नहीं करना चाहिये। सेन्टर बेसमेंट या पतली गली में नहीं बनाना चाहिए।
0. सेन्टर का प्रवेष द्वार पूर्व ईषान, दक्षिण आग्नेय, पष्चिम वायव्य या उत्तर ईषान मंे ही होना चाहिए। कभी भी पूर्व आग्नेय, दक्षिण, पष्चिम नैऋत्य या उत्तर वायव्य में नहीं होना चाहिए।
0. सेन्टर में कम्प्यूटर इस प्रकार लगाने चाहिये, कि कम्प्यूटर सीखते समय छात्र पूर्वोन्मुखी या उत्तरोन्मुखी रहें।
04 सेन्टर पर किसी भी छात्र को बीम या परछत्ती के नीचे बैठकर प्रेक्टीस नहीं करना चाहिए, इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। 
05 यदि सेन्टर में प्रोजेक्टर लगाकर पढ़ाने का कार्य भी करना हो, तो दक्षिण की दीवार पर प्रोजेक्टर लगाकर किया जाना चाहिये।
06 सेन्टर के संचालक को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कक्ष की दक्षिण या पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए।
07 सेन्टर के किसी भी कमरे की दीवारों एवं परदों पर कहीं भी हिंसक पशु-पक्षियों के, उदासी भरे, रोते हुए, डूबते हुए सूरज या जहाज के,    ठहरे हुए पानी की तस्वीरें, पेंटिंग या मूर्तियां न लगाएं, यह छात्रों के जीवन में निराशा पैदा करती हैं। जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
08 सेन्टर में किताबें, स्टेशनरी आदि रखने के ऊंचे रैक्स दक्षिण या पष्चिम दिषा में और कम ऊंचाई के रैक्स उत्तर एवं पूर्व दिषा मंे बनानेचाहिए।
09 सेन्टर की दीवारों एवं पर्दों का रंग हल्का हरा, हल्का नीला होना चाहिए या सेन्टर की दीवारों व पर्दों का कलर लाइट रखना चाहिए। इससे वहां कार्यरत अध्ययन करने व कराने वालों के दिमाग में शांति रहती है। गहरे रंग उग्रता लाते हैं। 
10 सेन्टर के बाहर लकड़ी, प्लास्टिक या किसी धातु से बना सेन्टर का खूबसूरत साइनबोर्ड अवश्य लगाना चाहिए, जो आपके यहां आने जाने वालों को अच्छी तरह दिखाई दे सके। आकर्षक साइनबोर्ड लगाने से सेन्टर की प्रसिद्धि में वृद्धि होती है। बोर्ड पर उचित रोशनी की व्यवस्था भी करना चाहिये।
11 सेन्टर का प्रवेष द्वार पूर्व ईषान, दक्षिण आग्नेय, पष्चिम वायव्य या उत्तर ईषान मंे ही होना चाहिए। कभी भी पूर्व आग्नेय, दक्षिण, पष्चिम नैऋत्य या उत्तर वायव्य में नहीं होना चाहिए।
12 सेन्टर के फर्ष का लेवल समतल अथवा उत्तर, पूर्व एवं ईषान कोण में नीचा और दक्षिण, पष्चिम एवं नैऋत्य कोण में ऊंचा रहना चाहिए। 
13 सेन्टर में पूजा का स्थान व पीने का पानी ईषान कोण में ही रखना चाहिए। यहाँ ईशान कोण में डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया जा सकता है।

इन साधारण किंतु चमत्कारिक वास्तुशास्त्र सिद्धांतों के आधार पर यदि कम्प्यूटर ट्रैनिंग सेन्टर  का किया जाऐ तो उत्तरोतर प्रगति संभव है। 

 पं0 दयानन्द शास्त्री 
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,  
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार, 
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) 326023
मो0 नं0 —0902439006
E-Mail –    vastushastri08@yahoo.com, 
                 -vastushastri08@rediffmail.co

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