विदेश में जाकर धन कमाने के योग—–
आजकल सभी युवाओ की ख्वाहिश यही होती है कि वह विदेश जाकर खूब कमाएं. लेकिन, विदेश जाने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एवं योग यह तय करते हैं कि वह विदेश जाएगा या नहीं. अगर विदेश यात्रा के योग बलशाली नहीं हैं तो व्यक्ति के विदेश जाने की संभावना कम रहती है. जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग कमज़ोर होते हैं उन्हें विदेश में वह सफलता नहीं मिलती है जिनकी ख्वाहिश वह रखते हैं.विदेश में कितने समय के लिए प्रवास होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदेश में थोड़े समय का ही प्रवास होता है।विदेश यात्रा के योग के लिए चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान जो तृतीय स्थान होता है, उस पर गौर करना पड़ता है। इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमेश का भी विचार करना होता है। परदेस जाना यानी नए माहौल में जाना। इसलिए उसके व्यय स्थान का विचार करना भी आवश्यक होता है। जन्मांग का व्यय स्थान विश्व प्रवास की ओर भी संकेत करता है।विदेश यात्रा का योग है या नहीं, इसके लिए तृतीय स्थान, नवम स्थान और व्यय स्थान के कार्येश ग्रहों को जानना आवश्यक होता है। ये कार्येश ग्रह यदि एक दूजे के लिए अनुकूल हों, उनमें युति, प्रतियुति या नवदृष्टि योग हो तो विदेश यात्रा का योग होता है। अर्थात उन कार्येश ग्रहों की महादशा, अंतरदशा या विदशा चल रही हो तो जातक का प्रत्यक्ष प्रवास संभव होता है। अन्यथा नहीं।इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमेश का भी विचार करना होता है। परदेस जाना यानी नए माहौल में जाना। ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है. कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं. ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है.कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेष यात्रा का योग बनता है. पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है. भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है.चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है. आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है. इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है.विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये. इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में बनता है तो विदेश जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदेश में आप धन कमा सकते हैं.
विदेश यात्रा योग का फल ( ज्योतिष द्वारा)—-
कुण्डली में विदेश यात्रा के योग होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको विदेश जाने का अवसर मिलेगा. इस विषय में ज्योतिषीयों का मत है कि योग अगर कमज़ोर हैं तो विदेश में आजीविका की संभावना कम रहती है इस स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपने ही देश में नौकरी अथवा कोई व्यवसाय करे.विदेश यात्रा योग के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है व्यय स्थान। विदेश यात्रा का निश्चित योग कब आएगा, इसलिए उपरोक्त तीनों भावों के कार्येश ग्रहों की महादशा-अंतरदशा-विदशा पर गौर करने पर सही समय का पता किया जा सकता है।विदेश में कितने समय के लिए वास्तव्य होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदेश में थोड़े समय का ही प्रवास होता है। व्यय स्थान में अगर स्थिर राशि हो तो कुछ सालों तक विदेश में रहा जा सकता है। यदि द्विस्वभाव राशि हो तो परदेस आना-जाना होता रहता है। इसके साथ-साथ व्यय स्थान से संबंधित कौन-से ग्रह और राशि हैं, इनका विचार करने पर किस देश में जाने का योग बनता है, यह भी जाना जा सकता है।सर्वसाधारण तौर पर यदि शुक्र का संबंध हो तो अमेरिका जैसे नई विचार प्रणाली वाले देश को जाने का योग बनता है। उसी तरह अगर शनि का संबंध हो तो इंग्लैंड जैसे पुराने विचारों वाले देश को जाना संभव होता है। अगर राहु-केतु के साथ संबंध हो तो अरब देश की ओर संकेत किया जा सकता है।
तृतीय स्थान से नजदीक का प्रवास, नवम स्थान से दूर का प्रवास और व्यय स्थान की सहायता से वहाँ निवास कितने समय के लिए होगा यह जाना जा सकता है।
कुंडली के तृतीय, सप्तम और नवम, द्वादश स्थानों से प्रवास के बारे में जानकारी मिलती है। तृतीय स्थान से आसपास के प्रवास, सप्तम स्थान से जीवन साथी के साथ होने वाले प्रवास, नवम से दूरदराज की यात्रा व द्वादश से विदेश यात्रा का योग देखा जाता है।कुंडली के तृतीय, सप्तम और नवम, द्वादश स्थानों से प्रवास के बारे में जानकारी मिलती है। तृतीय स्थान से आसपास के प्रवास, सप्तम स्थान से जीवन साथी के साथ होने वाले प्रवास, नवम से दूरदराज की यात्रा व द्वादश से विदेश यात्रा का योग देखा जाता है।यदि ये स्थान व इनके अधिपति बलवान हो तो जीवन में यात्रा योग आते ही रहते हैं। पंचम-नवम स्थानों के अधिपति स्थान परिवर्तन कर रहे हो तो उच्च शिक्षा हेतु यात्रा होती है। व्यय में शनि, राहु, नैपच्यून हो तो विदेश यात्रा अवश्य होती है। प्रवास स्थान में पापग्रह हो तो यात्रा से नुकसान हो सकता है। यदि लग्नेश-अष्टमेश का कुयोग हो तो यात्रा में दुर्घटना होने के योग बनते हैं। नवमेश पंचम में हो तो बच्चों के द्वारा यात्रा कराए जाने के योग होते हैं। प्रवास स्थान गुरु के प्रभाव में हो तो तीर्थयात्रा के योग बनते हैं। नवम केतु भी तीर्थ यात्रा कराता है। वायु तत्व राशि के व्यक्ति हवाई यात्रा के प्रति आकर्षित होते हैं। जल तत्व के व्यक्तियों को जलयात्रा के अवसर मिलते हैं। वहीं पृथ्वी व अग्नि तत्व के व्यक्ति सड़क या‍त्रा करते हैं।
.. नवम स्थान का स्वामी चर राशि में तथा चर नवमांश में बलवान होना आवश्यक है।
.. नवम तथा व्यय स्थान में अन्योन्य योग होता है।
.. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान या व्यय स्थान के ग्रह की दशा चल रही हो।
4. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान और व्यय स्थान का स्वामी चाहे कोई भी ग्रह हो वह यदि उपरोक्त स्थानों के स्वामियों के नक्षत्र में हो तो विदेश यात्रा होती है।
यदि तृतीय स्थान का स्वामी भाग्य में, भाग्येश व्यय में और व्ययेश भाग्य में हो, संक्षेप में कहना हो तो तृतियेश, भाग्येश और व्ययेश इनका एक-दूजे के साथ संबंध हो तो विदेश यात्रा निश्चित होती है।
हस्तरेखा द्वारा जाने विदेश यात्रा योग—-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथों में शुक्र क्षेत्र (शुक्र क्षेत्र के संबंध में पूर्व में लेख प्रकाशित किया गया है) के सामने ही हथेली के दूसरी ओर चंद्र क्षेत्र होता होता है। वैसे तो चंद्र क्षेत्र व्यक्ति की कल्पना शक्ति, बौद्धिक क्षमता, मनोवृत्ति, कला प्रेम आदि को दर्शाता है।- यदि चंद्र क्षेत्र उन्नत हो तो व्यक्ति की कल्पना शक्ति काफी अच्छी होती है। वह कला प्रेमी होता है।- यदि चंद्र क्षेत्र दबा हुआ है तो वह व्यक्ति की कल्पना शक्ति बहुत कम होती है। वह कोई भी कार्य अधिक रूचि से नहीं कर सकता।- यदि चंद्र क्षेत्र अत्यधिक उन्नत हो और स्वास्थ्य रेखा (स्वास्थ्य रेखा के संबंध में लेख पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है) दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति को सिरदर्द, पागलपपन जैसे मानसिक रोग हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि वह आत्महत्या जैसे प्रयास भी कर सकता है।
यदि आपकी भी इच्छा विदेश यात्रा करने की हो, तो आप अपने हाथ में स्थित कुछ रेखाओं के आधार पर यह जान सकते हैं कि विदेश यात्रा का योग है या नहीं।
—यदि शुक्र पर्वत से कोई रेखा धनुष के समान चंद्र पर्वत पर पहुंचती हो तथा मघ्यमा अंगुली पर अर्द्ध चंद्र हो तो व्यक्ति समुद्र मार्ग से विदेश यात्रा करता है।
—यदि चंद्र क्षेत्र पर बराबर दो लम्बी रेखाएं ऊपर की ओर उठ रही हों, तो व्यक्ति को विदेश यात्रा कराती हैं।
—यदि शुक्र क्षेत्र से तथा प्रजापति क्षेत्र से दो समानांतर रेखाएं ऊपर की ओर बढ़ती हों, तो व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
—मणिबंध से कोई रेखा निकल कर ऊपर की ओर जाती हो, तो व्यक्ति की विदेश जाने की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
—मणिबंध से कोई रेखा निकल कर चंद्र पर्वत की ओर जा रही हो, तो व्यक्ति जीवन में कई बार विदेश यात्रा करता है।
—मणिबंध में यव का चिह्न भी जातक को सौभाग्यशाली बनाता है एवं विदेश यात्रा कारक होता है।
– यदि आपके हाथ की जीवन रेखा (जीवन रेखा के संबंध में लेख पूर्व में प्रकाशित) दोष रहित है और जीवन से कुछ रेखाएं चंद्र क्षेत्र की आ रही हैं तो ये रेखाएं व्यक्ति के विदेश यात्रा योग को दर्शाती हैं। रेखा जितनी लंबी और गहरी होगी विदेश यात्रा का योग उतना ही प्रबल माना जाता है।
विदेश जाने हेतु क्या उपाय करें?
– रोजाना राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
– यदि राहु की महादशा हो तो विदेश से ज्यादा लाभ होता है, अत: गोमेद धारण करें।
– आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
– विष्णुसहस्रनाम का जाप करें।

1 COMMENT

  1. Parnam pandit ji mera nam Arun Kumar hai merit date of birth .. Nov 1988 time 11:00am or mera janam shahjahanpur u.p me hoa hai kya meri kismat me videsh yatra hai kaya main videsh me set ho sakta hu kirpea muje batao

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