क्यों हें ऋण मुक्ति से ही समृद्धि संभव-???–
जानें किस दिन कौन से डेढ़ घंटे:-
लेकिन पांच ऋण- देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण, भूत-ऋण एवं मनुष्य ऋण में से किसी भी ऋण का उपाय नहीं किया जाए तो धनवान होने की संभावना निर्मूल है। यदि अध्ययन-अध्यापन करें तो ब्रह्मयज्ञ होने से ऋषि ऋण से मुक्ति मिलती है। हवन-पूजन करने से देवयज्ञ होने पर देव ऋण पूर्ण होता है। श्राद्ध-तर्पण-पूर्वजों के निमित्त दानादि कर्म से पितृ ऋण उतर जाता है। बलिवैश्व देव एवं पंचबलि करने से भूत ऋण चुक जाता है। अतिथि सत्कार-मानव सेवा से मनुष्य ऋण समाप्त होता है।
इन कर्जों से निवृत्ति मिलने पर हमें भौतिक कर्ज की आवश्यकता नहीं होती है। इस कर्म के पूर्ण होने पर गृहस्थ के यहाँ लक्ष्मी निवास करती है। ‘या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः।’ इस शास्त्र वाक्य से घर में समृद्धि का स्वयं निवास रहता है। लक्ष्मी से व्यक्ति सुरक्षित, सुसंपन्न, आश्रय देने वाला होकर इस जीवन को सुगमता से पार कर लेता है। अतः दरिद्रता-ऋण से मुक्ति के लिए पुण्यों का संचय करना आवश्यक है।
रूप चतुर्दशी के दिन पवित्रता से पांच प्रकार के पुष्पों की माला में दूर्वा व बिल्वपत्र लगाकर देवी को अर्पित करें। माल्यार्पण करते समय मौन रखें। यह प्रयोग प्रभावकारी होकर यश की वृद्धि करता है।
दीपावली की रात्रि में ग्यारह बजे के बाद एकाग्रता से बैठकर नेत्र बंद करके ऐसा ध्यान करें कि सामने महालक्ष्मी कमलासन पर विराजमान हों और आप उनके ऊपर कमल पुष्प चढ़ा रहे हैं। ऐसे कुल 108 मानसिक कमल पुष्प अर्पित करें। ऐसा करने से लक्ष्मी की कृपा होती है। साथ में विष्णु सहस्रनाम या गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें तो अति उत्तम है।
अन्नकूट के दिन भोजन बनाकर देवता के निमित्त मंदिर में, पितरों के निमित्त गाय को, क्षेत्रपाल के निमित्त कुत्ते को, ऋषियों के निमित्त ब्राह्मण को, कुलदेव के निमित्त पक्षी को, भूतादि के निमित्त भिखारी को दें। साथ में वृक्ष को जल अर्पित करें, सूर्य को अर्घ्य दें, अग्नि में घी अर्पित करें, चींटियों को आटा तथा मछली को आटे की गोली देने से घर में बरकत आती है।
भाईदूज के दिन प्रातः शुद्ध पवित्र होकर रेशमी धागा गुरु व ईष्ट देव का स्मरण करके धूप दीप के बाद उनके दाहिने हाथ में यह डोरा बांधें। डोरा बांधते समय ईश्वर का स्मरण करते रहें। यह प्रयोग वर्षपर्यंत सुरक्षा देता है। सूर्य षष्ठी के दिन सायंकाल तांबे के लोटे में कुमकुम, केसर, लाल फूल डालकर सूर्य की ओर मुंह करके जल दें। जल देकर वहीं सात बार घूमें। यह तेज प्रदायक प्रयोग है। अक्षय नवमी के दिन इक्कीस आंवले, एक नारियल देवता के सामने रखकर श्रद्धा-भक्ति से प्रणाम करना चाहिए। चढ़े हुए आंवले व नारियल के साथ कपड़ा व मुद्रा रखकर बहन व ब्राह्मण को दे दें। यह दान आपके पुण्यों को अक्षय प्रदान करता है।
देव प्रबोधनी एकादशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। देवता के जागने के इस दिन से शुभ काम की शुरुआत होती है। संस्कारादि कार्यों की प्रारंभता के लिए श्रेष्ठ दिन में आप सिंदूर व गाय के घी या शुद्ध घी मिलाकर अनार की लकड़ी से निम्न यंत्र घर में किसी भी पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर की दीवार पर लिखें। यदि दीवार पर स्थान नहीं मिलें तो किसी चोकोर अखंडित पत्थर पर भी यह यंत्र बना सकते हैं।
विशेष परिस्थिति में बिना लाइन वाले सफेद कागज पर भी बनाकर पूर्व या उत्तर की ओर रख सकते हैं। इस यंत्र को लिखकर उस पर पुष्प, अक्षत, धूप, दीप व नेवैद्य से पूजना चाहिए। फिर उसके सामने 108 बार ‘ॐ दू दुर्गायैः नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए, ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है।
सभी प्रकार की बाधा का शमन होता है। यंत्र में अंक हिन्दी वर्णमाला के लिखें। यंत्र बाएं से दाएं ओर की तथा नीचे से ऊपर करके लिखें।
कर्ज लेने की आदत व्यक्ति को परमुखापेक्षी बना देती है। अगर आप भी कर्ज के बोझ तले दबे हैं, तो चिंतित न हों। शास्त्रों में इसके उपायों की व्याख्या दी हुई है।
– मंगलवार को लिया गया कर्ज स्थाई हो जाता है इसलिए न तो इस दिन कर्ज लें और न ही कर्ज के लिए बैंक आदि में आवेदन करें।
– बुधवार को दिए गए कर्ज का पैसा कठिनाई से वापस होता है। बुधवार के दिन न कर्जा लें और न कर्ज दें।
– मंगल की दशा-अंतर्दशा-प्रत्यंतर दशा में ऋण न लें।
– घर का नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) ऊंचा रखें, तथा ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) नीचा रखें।
– रविवार के योग में हस्त नक्षत्र या अमृतसिद्धि योग आने पर कर्ज न लें।
– अथर्ववेद के छठवें कांड के 117, 118, 119 इन तीन सूक्तों का नियमित पाठ करने या करवाने से ऋण मुक्ति होती है।
– “मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद।
स्थिरासनो महाकाय: सर्वकामविरोधक:।।”
– इस मंत्र की नित्य एक माला प्रात: जपने से ऋण मुक्ति होती है। यह जप दीपक की साक्षी में होना चाहिए।
– अशोक का वृक्ष तथा नर-मादा केले का वृक्ष ऋण मुक्ति देते हैं। अत: इन्हें लगाकर इनकी नियमित देखभाल करनी चाहिए।
– ऋणमोचक मंगल स्तोत्र तथा ऋणहत्ताü गणेश स्तोत्र का भी विधि विधान पूर्वक किया गया पाठ ऋण मुक्ति कारक होता है।
– जब आप कर्ज उतारने में सक्षम हो जाएं तब कर्ज की प्रथम किश्त शुक्ल पक्ष के मंगलवार को देना ठीक रहता है।
– रविवार को हस्त नक्षत्र या अमृतसिद्धि योग घटित होने पर कर्ज चुकाना अतिशुभ होता है।
ऋण मुक्ति एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए श्री गणपति का विशेष मंत्र—–
मेष राशि:– जब भी आकाश में मंगल- मकर या मेष राशि में अथवा मिथुन, कन्या, कुंभ राशि में, गुरू मेष, सिंह, तुला या धनु राशि में, सूर्य- मिथुन, कन्या, कुंभ में अथवा राहु-मिथुन, कन्या, कुंभ राशि में आता है, तब कर्ज से मुक्ति मिलती है।
वृष राशि:— गोचरवश जब भी शनि-कुंभ, मीन, कर्क में, गुरू वृष, कन्या, वृश्चिक में, शुक्र-मीन में और राहु-कर्क, तुला, मीन राशि में या सूर्य-कर्क अथवा मीन राशि में आएगा तो कर्ज चुकेगा।
मिथुन राशि:— शनि-सिंह या मेष राशि में, गुरू-मिथुन, तुला या कुंभ राशि में, शुक्र- मीन राशि में, राहु-सिंह, वृश्चिक या मेष राशि में, बुध-मिथुन, कन्या में या सूर्य-सिंह मेष राशि में आता है, तब कर्ज चुकता है।
कर्क राशि:— जब भी शनि-कन्या, वृष राशि में आए, गुरू-कर्क, वृश्चिक, मीन में, राहु-कन्या, वृश्चिक, वृष, मिथुन में, चंद्रमा-कर्क, वृष, मीन में, सूर्य व मंगल- वृष, कन्या राशि में आए, तो कर्ज मुक्ति के योग बनते हैं।
सिंह राशि:— गोचरवश जब भी शनि-तुला, मिथुन राशि में, गुरू-सिंह, धनु या मेष राशि में, राहु तुला, मकर या मिथुन राशि में, गुरू-सिंह, धुन, मेष राशि में, राहु-तुला, मकर, मिथुन राशि में, सूर्य-सिंह, धनु, मेष, मिथुन राशि में, मंगल मिथुन राशि में आए, तो कर्ज चुकेगा।
कन्या राशि:— शनि जब वृश्चिक या कर्क राशि में, गुरू-कन्या, मीन, वृष राशि में, राहु-वृश्चिक, कुंभ, कर्क राशि में, सूर्य-वृश्चिक, कर्क राशि में, बुध-कन्या, मिथुन राशि में आए, तो कर्ज चुकता है।
तुला राशि:—- गोचरवश जब भी शनि, मकर, सिंह, धनु राशि में, गुरू-तुला, मिथुन राशि में, राहु-धनु, मीन, सिंह राशि में, सूर्य-धनु, सिंह राशि में या शुक्र-कुंभ, तुला राशि में आए, तो कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
वृश्चिक राशि:— आकाश में गोचरवश शनि- मकर, कन्या राशि में या गुरू-वृश्चिक मीन, कर्क में, राहु-मकर, मेष, कन्या में, सूर्य-मकर, कन्या राशि में, मंगल- मकर, वृश्चिक, मीन राशि में आए, तो कर्ज चुकेगा।
धनु राशि:— जब भी आकाश में गोचरवश शनि-कुंभ, तुला राशि में, गुरू-धनु, मीन, सिंह, मेष राशि में, राहु- कुंभ, वृष, तुला राशि में या सूर्य- मंगल कुंभ, तुला राशि में आए, तो कर्ज चुकेगा।
मकर राशि:— शनि-तुला मकर, वृश्चिक, मीन या कुंभ राशि में, गुरू-वृष, कर्क, कन्या राशि में, राहु-मीन, वृश्चिक, मिथुन राशि में या सूर्य-मंगल-मीन वृश्चिक राशि में आए तो कर्ज चुकने के योग बनते हैं।
कुंभ राशि:— गोचरवश शनि- मेष तुला, कुंभ या मकर राशि में, गुरू- कुंभ मिथुन, तुला राशि में, राहु-मेष, कर्क, धनु राशि में या सूर्य मंगल-मेष, धनु राशि में आए तो कर्ज चुकेगा।
मीन राशि:— जब भी आकाश में गोचरवश शनि-मकर, कुंभ, वृष राशि में, गुरू-मीन, कर्क, वृश्चिक या धनु राशि में, राहु- वृष, सिंह या मकर राशि में, सूर्य व मंगल- वृष या मकर राशि में आए, तो कर्ज चुकेगा।