प्रिय बिश्नोई जी,


धन्यवाद..आपके  ज्ञान और सुझाव के लिए..लगता हे दुनिया  में अकेले हो..वर्ना तुम्हें पता होता की श्रद्धा जो हमारे स्वर्गवासी परिजनों के प्रति हम व्यक्त करते हें..उसे ही “श्राद्ध” कहा जाता हें..यदि घर-परिवार में कोई बड़ा( पिता-दादा जी ) हो तो उनसे पूछना  की क्या और केसे तथा क्यूँ किया/ मनाया जाता हें “श्राद्ध”..जब कभी कुंडली की गृह दशा बिगड़ेगी  न तो हम जेसे ही किसी पंडित के पास जाकर चक्कर काटोगे प्यारे..इसलिए उन सभी नियमों का पालन/ इज्जत करना सीखो जो हमारे बुजुर्गों/ समाज ने बनायें हें..हमेशा खुश और सुखी रहोगे..वेसे भी यदि एक बार/दफा मेरा बायोडाटा/प्रोफाईल पढ़ा लेते तो धंधे वाली बात नहीं लिखते..प्रभु जी..अधिक के लिए आप मुझसे बात/चर्चा  कर सकते हें..स्वागत/अभिनन्दन/प्रतीक्षरत…आपका अपना…धन्यवाद..आप्पने कमेंट्स किया उसके लिए…आपके उज्जवल भविष्य की कामना  के साथ…

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