अपनी अंगुलियों के आकार से जानें स्वभाव और भविष्य…R.D.GUPTA—-


क्या आप जानते हैं कि हस्तज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति के अंगुलियों के सिर्फ अग्रभाग के आकार को देखकर भी उसके बारे में भविष्य कथन किया जा सकता है। जानिए कि कैसे आप सिर्फ किसी की अंगुलियों के आकार को देखकर भी जान सकते है उसका स्वभाव और भविष्य-
हमारे हाथ की अंगुलियों की बनावट अलग-अलग प्रकार की होती हैं। आकृति एवं बनावट के आधार पर आप यह समझ सकते हैं कि व्यक्ति की प्रकृति कैसी है।

बेडौल अंगुली : दार्शनिक एवं वकील बनने में यह आकृति सहायता पहुंचाती है। साधारण व्यक्ति के ये अंगुली अशुभ होती है, जिसके हाथ में ऎसी अंगुली है, वह शकी, स्वार्थी, चिड़चिड़े स्वभाव का होगा। ऎसी अंगुली वाले को पेट या नेत्र की कोई बीमारी हो सकती है। ऎसा व्यक्ति प्रत्येक कार्य को सोच समझकर करता है। ऎसे व्यक्ति कानूनी सलाहकार, चिकित्सक एवं गणितज्ञ होते हैं।

सुंदर सरल अंगुली : सुंदर सरल अंगुली गंभीरता, सुंदर स्वास्थ्य, भूगोल एवं वाणिज्य ज्ञान आदि किसी भी विषय के विशेषज्ञ का प्रतीक हैं। जीवन के प्रथम भाग में इन लोगों को थोड़ा परिश्रम करना पड़ता है, किंतु मध्य आयु से लेकर जीवन के शेष भाग तक ये लोग सुखी रहते हैं। ऎसे व्यक्ति व्यवहार ज्ञान के प्रति प्रखर होते हैं। ये कठोर परिश्रमी होते हैं। समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर लेते हैं।

चौकोर अंगुली : चौकोर अंगुली वाले व्यक्ति प्रत्येक रू प से प्रकृतिवादी होते हैं। संसार के विख्यात, जड़वादी पण्डितों में बहुतों के हाथ में इस प्रकार की अंगुली देखी जा सकती हैं। ऎसी अंगुली वाले व्यक्ति अपने बुद्धिबल से कठिन से कठिन कार्यो में सफलता प्राप्त करते हैं। बड़े-बड़े कवि, साहित्यकारों के हाथ में ऎसी ही अंगुली होती हैं। ऎसी अंगुली वाले जीवन में हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करने के प्रयास करते हैं तथा धर्म, दान आदि में विशेष रूचि रखते हैं।

तीखी अंगुलियां- तीखी अंगुलियों के अग्रभाग तीखे होते हैं, वे लोग समाज में अग्रणी होती हैं। ऐसे व्यक्ति दार्शनिक होते हैं। बहुत समझदार होते हैं। इनके जीवन का सफलता कम ही रहती है क्योंकि ये लोग अक्सर कल्पनाओं में खोए रहते हैं।

चपटी अंगुलियां- चपटी अंगुलियां कार्यकुशलता और फूर्ती का की सूचक होती है। ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों में बराबर लगे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं। आत्मविश्वास के बल पर ही हर काम में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग हर चीज सीखने का प्रयास करते हैं। अपने कार्यों से समाज में नया योगदान देने में सफल रहते हैं।

नुकीली अंगुलियां- ये अंगुलियां सुन्दर विचारों और सुन्दर कार्यों की ओर इशारा करती हैं। इन लोगों के जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं। कभी ये खुशी की चरम सीमा पर होते हैं तो कभी ज्यादा निराश होता है।

वर्गाकार अंगुलियां- जिन व्यक्तियों के हाथों वर्गाकार अंगुलियां होती है।व्यक्ति जीवन में हर काम प्लानिंग के साथ करते हैं। ऐसे लोग अपनी हर एक योजना पर बहुत ज्यादा सोच विचार करते हैं। इनके हर काम में नियमितता रहती है इसीलिए ये सफलता प्राप्त करते हैं।
अंगुलियों के उद्गम स्थान पर ग्रहों का निवास होता है और उस स्थान को वलय कहा जाता है। कौन सी अंगुली में कौन सा ग्रह का निवास है एवं ग्रह के स्वभाव एवं प्रकृति के अनुसार किस अंगुली का क्या कार्य है जानें-

तर्जनी : अंगूठे के पास वाली अंगुली को तर्जनी अंगुली कहते हैं और इस अंगुली के उद्गम पर बृहस्पति ग्रह का निवास होने से इसे बृहस्पति की अंगुली कहा जाता है। गुरू ग्रह का संबंध ज्ञान एवं प्रशासन से है।

उदाहरण:
जब आप किसी बच्चे को चुप कराना चाहते हैं, तो आप बिना बोले तर्जनी अंगुली को सीधी खड़ी कर अपने मुंह के पास ले जाते हैं और देखते ही बच्चा चुप हो जाता है।

दूर खड़े व्यक्ति को पास बुलाने के लिए आप इस अंगुली को सीधा कर अपनी तरफ हिलाते हैं और दूर खड़ा व्यक्ति आपके पास आ जाता है।

हथेली को जमीन की तरफ करके तर्जनी अंगुली को ऊपर-नीचे करने पर देखने वाला व्यक्ति बैठ जाता है और हथेली को ऊपर की ओर अंगुली को हिलाने पर बैठा व्यक्ति खड़ा हो जाता है।

अत: तर्जनी अंगुली से जो कार्य हुए हैं, वह बृहस्पति ग्रह की प्रकृति के अनुसार हुए हैं, क्योंकि बृहस्पति ग्रह प्रशासनिक कार्यो का कारक है।
मध्यमा : हाथ में मध्यमा अंगुली सभी अंगुलियों से थोड़ी बड़ी होती है। इसके उद्गम स्थान पर शनि ग्रह का निवास होता है। शनि पापी एवं क्रोधी ग्रह है। इस अंगुली को सीधा कर हिलाने से व्यक्ति चिढ़ जाता है और नाराज हो जाता है। यह ग्रह के स्वभाव एवं प्रकृति का फल है।

अनामिका : इस अंगुली के उद्गम स्थान पर सूर्य ग्रह का निवास होता है। हमारे यहां सभी शुभ कार्य सूर्य की साक्षी में सम्पन्न कराए जाते हैं। किसी व्यक्ति को शुभ कार्य के लिए जब आप टीका लगाते हैं तो यही अंगुली कार्य करती है। योग क्रिया करने वाले साधक भी नासिका या कान को पकड़ते हैं, तो अनामिका और अंगूठे का प्रयोग करते हैं।

कनिष्ठिका : इस अंगुली के उद्गम स्थान पर बुध ग्रह का निवास है। जब बच्चे आपस में दोस्ती करते हैं, तो दोनों हाथ की इन्हीं अंगुलियों को पकड़कर करते हैं। गणगौर-तीज की पूजा दो-दो औरतें मिलकर करती हैं और पूजन में दोनों औरतें अपने हाथ की कनिष्ठिका अंगुली को आपस में मिलाकर पूजन करती हैं। ऎसा इसलिए किया जाता है कि बुध ग्रह मेल-मिलाप, दोस्ती का कारक ग्रह और अपनी प्रकृति के अनुसार व्यक्ति से कार्य करवाता है।

अंगूठा: इसके उद्गम स्थान पर शुक्र ग्रह का निवास होता है। जब कोई किसी व्यक्ति को अंगूठा बताता है या हिलाता है तो आदमी अप्रसन्न हो जाता है और चिढ़ने लगता है। शुक्र ऎशो-आराम, काम-वासना का द्योतक है और आदमी के अंगूठे के दिखाने, हिलाने से अप्रसन्न हो जाता है।

चंद्रमा और मंगल हाथ की हथेली में स्थित होते हैं। चंद्रमा का स्थान हथेली के अंतिम कोने में और मंगल का स्थान शुक्र के नीचे होता है। जब हम किसी से राजीनामा करते या मिलते हैं तो आपस में हाथ मिलाते हैं। इसके अलावा कभी किसी से झगड़ा होने पर हम थप्पड़ भी लगा देते हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह और मस्तिष्क से इसका संबंध है। मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा गया है। इसका स्वभाव क्रोधी है। यह पाप ग्रह है और लड़ाई का कारक है। जन्म पत्रिका में जिस प्रकार ग्रहों के अनुसार व्यक्ति का उत्थान-पतन एवं विवाह होता, उसी प्रकार हमारे हाथ में स्थित ग्रहों के अनुसार मनुष्य कार्य, आचरण, व्यवहार करता है।

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