क्या जुड़वाँ बच्चा का जन्म समय और इस केसामान  कुंडली ऑर फल में कभी समानता तो कभी भिन्नता होती हें..????पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया

जुड़वाँ बालक के जन्म में आधुनिक विज्ञानिक मत के अनुशर स्त्री बिज और पुरुष के आनुव्शिक गुणों सग्रहेला क्रोमोसोंस्न्स होते हे , स्त्री क्रोमोसोंस और पुरुष के क्रोमोसोंस दोनों जुदा जुदा प्रकारके होते हे फलित स्त्रिबिज में समान प्रकार के स्त्री क्रोमोसोंस के विन्भींन प्रकार के पुरुष क्रोमोसोंस की संखिया ज्यादा होने से पुत्र जन्म होते हे
आर्युवेदिक थियेरी के अनुशार को अंशे क्रोमोसोंस्नी थियेरी में जुदी रिते अनुमोदन देता हे आर्युवेद की थियेरी में पुरुष वीर्य और स्त्री के आत्र्व बने एक बनते हे इस में गर्भ बननेकी सक्यता होते हे लेकिन फलनि कर्ण में पुरुष के वीर्य के प्रमाण जयादा प्रमाण में होने से पुत्र और पुत्री होते हे इस में स्त्री के आतार्व का प्रमाण ज्यादा हो तो और दोनों सेम होने से जुड़वाँ संतान पैदा होते हे,
कोसिम्क थियरी में गोचर के ग्रहों का बहुत जयादा महत्व देता हे आकाश मडल में सूर्य और शनि के अनुसधान – युति या प्रति युति द्रष्टि के परिवतन से होते हे जो मगल मेष के वर्चिक में पोतनी राशिमे भ्रमण करता हे तो इस गला में पुत्रो के जन्म जयादा होते हे , मतलब के इस समय गला से नव मास आगे गर्भ धान बना हूवा हे,
ज्योतिष शास्त्र मुजब जन्म लग्न से पति पत्नी के पचम स्थान और सप्तमेश स्थानमें दुस्वभाव राशि में होने से दुस्वभाव में होने वाला ग्रहो की द्रष्टि पचम स्थान पर होने से जुड़वाँ बच्चा का जन्म होने की शक्यता ज्यादा होती हे,
खास लेकर ५-११ भावे सूर्य और शनि उच्च के बनकर साम सामे बेठा हुवे तब अगर सूर्य शनि बलवान थई प्रतियोग में आते तब आकाशमडल में कोस्मिक वर्तावार्ण के प्रभाव हेठड होते हे इस प्रभाव के कारण जुड़वाँ बच्चा पैदा होने की सक्यता ज्यादा होती हे,
ये क्रोमोसोंस वातावरण में जब गर्भ धारण होते हे इस वखत माता पिता के वार्सो के अधिकार ज्यादा होते हे इस में जेशा माता हो एशी लड़की होते हे एषा पिता हो एषा ही पुत्र होते हे इस आनुवशीय वारसो बालक की कुडली में प्रतिबिबित रिफ्लेक्ट मिलता होता हे जिसमे देखे तो पिता की कुंडली में जो सूर्य – शनि के जोडन हो वाही सूर्य – शनि के जोडन पुत्र की कुंडली में होते हे, जब पिता की कुंडली में लग्नेश राहू हो तब पुत्र की कुंडली में लग्नेश या सप्तमेश राहू दिखाय देते हे जब कोय बार एषा भी होना होते हे के पिता की कुंडली में शनि और राहू जिश राशि में हे वाही राशि में शनि और राहू पुत्र की कुंडली में दिखाय देता हे,
इस में भी में बहुत शुधारा के शाथ कहू तो इस में अकेले पिता की कुंडली नही लेकिन माता की कुंडली भी दिखाना जरुरी होती हे कभी कभी माता की कुंडली के ग्रह भी पुत्र की कुंडली में दिखाय देता हे, जब देखे तो पिताकी कुंडली में लग्नेश राहू हो तो माता की कुंडली में सप्तमेश राहू होते हे वाही पुत्र की कुंडली में इस स्थान में रहू होते हे, जब माता की लग्न राशि से दशमी राशि या पिता की लग्न राशि से दशमी राशि पुत्र की होती हे, वाही बहत निश्चित होते हे,
अब देखेगे गर्भ केन्द्र की तरफ
बड़ा भागे जुड़वाँ बच्चा एक के बाद एक जन्म होते हे तब इस के समय गालो सिर्फ १० से १५ मिनिट के होते हे, जन्म लगन की राशि संधिकाल माँ न भी आवती हे या दोनों के जन्म लग्न भी एक होते हे इस लिए दोनों की कुंडली बहुत सेम दिखे देती हे दोनों के अभियास लग्न धधो रोजगार मांदगी एक्सीडेंट चडति पड़ती बधू सेम दिखे देते हे कभी कभी बहुत विरुद्ध पकृति में दिखे देते हे, एषा भी अक्स्मातिक इतिहाश में दिखाय देते हे
किग आठमाँ ड्यूक ऑफ विडसर और उमराव दोनों एकी तारीख एकी समये जन्म हुवाथा दोनों के देखाव भी बहुत सेम था दोनों के स्वभाव भी बहुत सेम था दोनों नेवी में एकी साथ जोड़ा था जब ड्यूक ऑफ विडसर किग बना तब जुड़वाँ उमराव भी पद लिया दोनों के जीवन में बहुत उत्कुंत प्रेम प्रशंग भी बना हे एडवर्ड आठवाऐ जब प्रेम पकरन के खातिर राजपाट छोड़ा था तब उमराव ने भी घर छोड़ ने का समय आ गया था,
इस से भी बहुत विरुद्ध दो जुड़वाँ बच्च पैदा हवा था इस में भी दोनों की एक तारीख एक समय एस स्थान में जन्म हवा था इस में एक लड़की और दूसरा लड़का था इस में लड़की के अभियास, देखाव, स्वभाव, शादी, लग्न जीवन, सब ठीक था जब लड़के के अभियास कम था, देखाव भी ठीक था, शादी भी बहुत बड़ी उम्रर में हूवि बाद लग्न जीवन में वाद विवाद के सघर्ष करना पडा, इस में क्या हे दोनों की कुंडली सेम थी दोनों के बनाव विनभींन था इस में जुड़वाँ बच्चा के लिए सूक्ष्म कुंडली के लिए देखना जरुरी होते हे
दखला तरीके १.
१ जुड़वाँ बच्चा के जन्म में एक लड़का और एक लड़की हे इस में जन्म स्थान अमदावाद दिनाक ०१/१०/१९९३ के दिन वहेली सवार ०५/३०/०० के समय लड़का जन्म हवा था और इस दिनाक में ०५/४०/०० में लड़की के जन्म हूवा था, इस में लड़का का जन्म पहेला हूवा था इस अद पीछे से फलित हूवा था पहेला फलित हूव एंड में लड़की के जन्म हूवा था इस में जन्म लग्न निकलने से लड़का बड़ा था परन्तु आधान लग्न से देखे तो लड़की बड़ी हे जुड़वाँ बचो में इस फलकी रहेती हे
दाखला तरीके २.
ये दुश्ररा किशा में दोनो लड़का हे जन्म दिनाक ०१/१२/१९९३ के दिन सवारे ०५/३०/०० और दूसरा लड़का के इस दिनाक को जन्म समय ०५/४०/०० के हे जन्म स्थान अमदावाद लग्नोदय से लग्नात समय ०३/४३ से ०५/५७ तक तुला लग्न हे यहाँ भी लग्न संधिगत नही हे दोनों लड़का का तुला लग्न ही आता हे, ये लग्न सेम हे, इस में क्या हे बड़ा लड़का कोम्पुटर हडवेर का काम करता हे वाही दिखाव बहुत अच्छा हे और इस के अभियास भी अच्छा था, और दूसरा लड़का ने कटलरी की सोप खोली हे, इस के दिखाव भी सामान्य हे, अभियास में भी थोडा कमजोर था, इस के परिणाम में देखने में सूश्म कुंडली पद्धति से कुंडली कठ्नी पड़ती हे
सुथुल लग्न पर से सूक्ष्म कुंडली
दिनाक ०१/१२/१९९३ के लड़काओ के जन्म ०५/३०/०० हे वाही लड़का जन्म लग्न रा. ०६ / अं २३ / क. ५७ / वि. २१ आता हे जब दूसरा लड़का के जन्म लग्न में रा. ०६ / अं. २६ / क. १० / वि. १३ आता हे लेकिन पहेला लड़का के कुद्ररति स्थूल २३’ – ५७ जब दूसरा लड़का के कुदरती स्थूल २६’ -१० होते हे इस में तुला २३’-५७ कला नि कलाओ निकालो २३ गुना ६० + ५७ = १४३७ कला १४३७ ने ३० से भागी राशि निकली १४३७/३० राशि ४७ – अंस २७
फ़कत राशि ४७/१२ भागता ११ सेष आये कुभ राशि सेष २७’ नि आई इस स्थूल जन्म लग्न की राशि में उमेरने से ७+११ =१८ -१२ = दूसरा लड़का के सूक्ष्म लग्न कन्या राशि के १७’ अंश के आया
लड़का णु कुदरती (स्थूल ) लग्न तुला २६’ अंश -१० कला
२६ अंस १० कला की कलाओ = १५७० / ३० = ५२ अंश – १० कला
५२ अंश /१२ = ४ शेष वधि हे…….. ४ शेष राशि १०’
स्थूल लग्न राशि ७+४ शेष राशि = ११ मी राशि कुम्भ लग्न -१०’ वाही इस लड़का के सूक्ष्म लग्न कुम्भ राशि १०’ अंश आया हे
पहेला लड़का की कुंडली में कन्या लग्न हे और दुश्ररा लड़का की कुम्भ लग्न की कुंडली बनाकर इसमें ग्रह जोड ने से दो नो लडको के फल बहुत फरक होते हे ………..,
जय द्वारकाधीश ………, जय श्रीकृष्णा……. , हर हर महादेव ……..

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