किस वार में क्या करें ?
रवि आदि सप्त वारों की प्रकृति एवम उनमें किए जाने वाले कार्यों का वर्णन पुराणों ,मुहूर्त ग्रंथों एवम फलित ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार निम्नलिखित अनुसार है ——––
वार
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प्रकृति
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यात्रा मेंदिशा
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त्याज्यदिशा
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किए जाने वाले कार्य
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रविवार
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ध्रुव
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पूर्व ,उत्तर , ,अग्नि कोण
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पश्चिम ,वायव्य
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गृह प्रवेश ,राज्य कार्य ,स्वर्ण एवम ताम्बे का क्रय विक्रय तथा धारण करना ,विज्ञानं ,अनाज ,अग्नि एवम बिजली के कार्य
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सोमवार
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सम
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दक्षिण ,पश्चिम ,वायव्य
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उत्तर ,पूर्व ,आग्नेय
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राज्याभिषेक ,गृह शुभारम्भ ,कृषि ,लेखन ,दूध -घी व तरल पदार्थों का क्रय विक्रय ।
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मंगलवार
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उग्र
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दक्षिण , पूर्व,अग्नि कोण |
पश्चिम,,वायव्य , उत्तर
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विवाद एवम मुकद्दमे का आरम्भ ,शस्त्र अभ्यास ,शौर्य के कार्य ,शल्य चिकित्सा ,बिजली के कार्य ,अग्नि से संबधित कार्य ,धातुओं का क्रय विक्रय |
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बुधवार
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चर,सौम्य
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दक्षिण ,
नैऋत्य ,पूर्व |
उत्तर ,पश्चिम ,ईशान |
यात्रा,मंत्रणा ,लेखन ,गणित ,शेयर ,व्यापार,ज्योतिष ,शिल्प ,लेखा कार्य ,शिक्षा ,बोद्धिक कार्य,संपादन ,संदेश भेजना ,मध्यस्थता करना | |||||
गुरुवार
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क्षिप्र
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उत्तर ,पूर्व ,ईशान |
दक्षिण , पूर्व , नैऋत्य , |
यात्रा ,धार्मिक कार्य ,विद्याध्ययन ,बैंक का कार्य ,वस्त्र अलंकार धारण करना ,प्रशासनिक कार्य,स्वर्ण का क्रय ,पुत्र एवम गुरु से सम्बंधित कार्य | |||||
शुक्रवार
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मृदु
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पूर्व उत्तर ईशान |
नैऋत्य ,पश्चिम ,दक्षिण |
गृह प्रवेश ,कन्या दान ,सहवास ,नृत्य ,गायन ,संगीत ,कलात्मक कार्य ,आभूषण ,श्रृंगार ,सुगन्धितपदार्थ ,वस्त्र ,वाहन क्रय ,चाँदी ,सुखोपभोग के साधन | |||||
शनिवार
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दारुण
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नैऋत्य,पश्चिम ,दक्षिण |
पूर्व उत्तर ईशान
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