आभूषण एवं महिला जातक —
भारतीय संस्कृति में गहने पहनना एक रस्म और मर्यादा के अन्तर्गत आते हैं। आभूषण एवं गहनों से केवल शारीरिक सौन्दर्य ही नहीं निखरता वरन् इससे स्वास्थ्य रक्षा भी होती हैं। शरीर को सजाने के साथ-साथ अनजाने में गहने हमारे शरीर के लिए चिकित्सा का कार्य भी करते हैं। आभूषण पहनने का चलन उतना ही पुराना हैं जितना कि मानव सभ्यता का विकास। आभूषण केवल महिलाएँ ही धारण नहीं करती बल्कि पुरूष भी उन्हें किसी न किसी रूप में धारण करते आये हैं। विज्ञान की आधुनिक खोज से भी आभूषणों द्वारा स्वास्थ्य लाभ की पुष्टि हो चुकी हैं।
कुछ महिला जातक धनी होने के बावजूद भी कम जेवर पहनने का शौक रखती हैं, तो कुछ महिला जातक अधिक से अधिक आभूषण खरीदने के प्रयास करती हैं। बाजार, शादी या अन्य समारोहों में जाते समय अधिक से अधिक गहने पहनकर खुबसूरती का पर्याय बनती हैं। इसके स्थान पर कुछ महिला जातक साधारण रहती हैं। आइए जानते हैं इसके ज्यातिषीय कारण जो निम्न हैं –
आभूषण कम पसन्द आने के ग्रह योग: – मकर एवं कुंभ लग्न वाली महिला जातकों को जेवर (आभूषण) पसन्द कम होते हैं। यदि लग्नेश शनि के नक्षत्र में हो तो ऐसा होता हैं। चर्तुथ भाव में शनि हो और चतुर्थेश निर्बल हो तो यह आभूषण ना पसन्द का कारण बनते हैं। शुक्र, शनि के साथ युति में हैं और शनि का जातक के लग्न से सम्बन्ध हो तो जेवर पसन्द नहीं आते। यदि कुण्डली में भाग्य स्थान में शनि हो, लग्नेश निर्बल हो अथवा शनि की दृष्टि हो तो भी महिला को आभूषण कम पसन्द होते हैं। यदि महिला जातक की कुण्डली में शनि द्वादश भाव में बैठा हो और शुक्र कमजोर होने पर भी जेवर का शौक नहीं रहता हैं।
आभूषण अधिक पसन्द आने के ग्रह योग: – यदि कुण्डली में शुक्र चर्तुथ भाव में, तुला, मीन या वृषभ राशियों में बैठा हो उस जातक को आभूषण अधिक पसन्द होगा। जातक की कुण्डली में सप्तम भाव में शुक्र प्रबल होकर स्थित हैं तो जातक को आभूषण अधिक पसन्द होगें। जन्म कुण्डली में शुक्र व चन्द्र के बीच युति सम्बन्ध, राशि परिवर्तन , दृष्टि सम्बन्ध या नक्षत्रीय सम्बन्ध स्थापित हो ऐसी महिला जातक को आभूषण अधिक पसन्द होगें। यदि एकादश भाव या लग्न में लग्नेश, आयेश और राहू एक साथ बैठे हो तो भी जातिका को आभूषण पसंद होगें। यदि कुण्डली में शुक्र लग्न , चर्तुथ, पंचम, सप्तम, एकादश या द्वादश भाव में हो तो उन महिला जातकों को भी आभूषण अधिक प्रिय होगें। यदि कुण्डली में शुक्र चतुर्थेश के साथ युति दृष्टि अथवा राशि परिवर्तन का सम्बन्ध बना रहा हो तो वह जेवर पसन्द आने का कारण बनेगा।
उपरोक्त कारणों में मुख्य रूप से देखा जाए तो ज्योतिष में शुक्र ग्रह एवं चतुर्थ भाव जेवर से सम्बन्ध बनाता हैं सामान्यतः वृषभ राशि या लग्न , तुला राशि या लग्न की महिला जातक को जेवर तुलनात्मक रूप से अधिक प्रिय होगें। इसी प्रकार महिला जातक की कुण्डली का लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) यदि भरणी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ या पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होने पर भी आभूषण प्रिय होगें।
अतः उक्त दोनों प्रकार की स्थितियों ही महिला जातक की आभूषण के प्रति रूची या अरूची को दर्शाती हैं।
इसी से पता चल जाता हैं कि महिला जातक आभूषण प्रिया होगी या नहीं।
पं. दयानन्द शास्त्री
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार,
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) ..6023
मो0 नं0…..

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