तंत्र शास्र की जानकारी—
तंत्र शास्त्र भारत की एक प्राचीन विद्या है। यह शास्त्र, वेदों के समय से हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग रहा है। विश्वास है कि तंत्र ग्रंथ भगवान शिव के मुख से आविर्भूत हुए हैं। उनको पवित्र और प्रामाणिक माना गया है। भारतीय साहित्य में ‘तंत्र’ की एक विशिष्ट स्थिति है, पर कुछ साधक इस शक्ति का दुरुपयोग करने लग गए, जिसके कारण यह विद्या बदनाम हो गई।
जनसाधारण में इसका व्यापक प्रचार न होने का एक कारण यह भी था कि तंत्रों के कुछ अंश समझने में इतने कठिन थे कि गुरु के बिना समझे नहीं जा सकते थे। अतः जनता का उनके प्रति अन्धकार में रहना स्वाभाविक ही था। ज्ञान का अभाव ही शंकाओं का कारण बना।
तंत्र शास्त्र वेदों के समय से हमारे धर्म का अभिन्न अंग रहा है। वैसे तो सभी साधनाओं में मंत्र, तंत्र एक-दूसरे से इतने मिले हुए हैं कि उनको अलग-अलग नहीं किया जा सकता, पर जिन साधनों में तंत्र की प्रधानता होती है, उन्हें हम ‘तंत्र साधना’ मान लेते हैं। ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे’ की उक्ति के अनुसार हमारे शरीर की रचना भी उसी आधार पर हुई है जिस पर कि पूर्ण ब्रह्माण्ड की।
तांत्रिक साधना का मूल उद्देश्य सिद्धि से साक्षात्कार करना है। इसके लिए अन्तर्मुखी होकर साधनाएँ की जाती हैं। तांत्रिक साधना को साधारणतया वाम मार्ग कहा जाता है।
कुछ साधकों का लक्ष्य केवल प्रेत सिद्धि होता है, श्मशान में जाकर मांस-मदिरा आदि पदार्थों के द्वारा प्रेतात्माओं को सिद्ध कर लेते हैं। ऐसे साधकों की अंतिम गति खराब होती है। वे प्रेतात्माएँ उन साधकों को अपनी योनि में ले जाती हैं। श्मशान में साधना करने वाले का निडर होना आवश्यक है। जो निडर नहीं हैं, वे दुस्साहस न करें। तांत्रिकों का यह अटूट विश्वास है, जब रात के समय सारा संसार सोता है तब केवल योगी जागते हैं।
‘या निशा सर्वभूतानां, तस्यां जागर्ति संयमी।’
नोट :- तांत्रिक साधना का मूल उद्देश्य सिद्धि से साक्षात्कार करना है। यह एक अत्यंत ही रहस्यमय शास्त्र है। इसी रहस्य की संपूर्ण जानकारी देने हेतु हम यह सामग्री आपके लिए उपलब्ध करा रहे हैं। चूँकि इस शास्त्र की वैधता विवादित है अतः हमारे द्वारा दी जा रही सामग्री के आधार पर किसी भी प्रकार के प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य तांत्रिक की सलाह अवश्य लें। अन्यथा किसी भी प्रकार के लाभ-हानि की जिम्मेदारी आपकी होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here