ज्योतिष में दशम् स्थान अर्थात कर्म स्थान से मुख्य रूप से आपकी आजीविका का विचार किया जाता है। यदि आपके दशम् स्थान में सूर्य शून्य से दस अंशों तक है तो आपको उच्च पद प्राप्ति का पूर्ण योग बनता है। आप सेना या प्रशासन में शीर्ष पदों पर आसीन हो सकते हैं। चन्द्र दशम् स्थान में हो तो तरल पदार्थ संबंधित व्यापार की संभावनाएं ज्यादा प्रतीत होती हैं। यदि शनि या राहु कर्म स्थान, लग्न आदि में हों तो व्यक्ति की आजीविका तकीनीकी शिक्षा, प्रॉपर्टी, भूमि संबंधी कारोबार अथवा प्राविधिक शिक्षा संबंधी शिक्षकों के रूप में निर्धारित हो सकती है। दशम्, लग्न और धन स्थान में उच्च राशि का मंगल सेना, पुलिस, प्रशासनिक कारक का ग्रह माना गया है। उच्च प्रशासन के क्षेत्र में भी मंगल . से .0 अंश तक बेहद प्रभावी माना जाता है। कर्म स्थान, धन स्थान, लग्न में बुध और बृहस्पति मुख्यत: शिक्षण, पत्रकारिता, लेखन, धार्मिक कार्य, अभिनय आदि के क्षेत्र में जीविका के अवसर उपलब्ध कराते हैं। द्वितीय भाव में शुक्र गायन दशम् में जलीय व्यापार और लग्न में शुक्र औषधि क्षेत्र में प्रभावी भूमिका अदा करता है। जन्मांक में शुक्र की मजबूत स्थिति संगीत के क्षेत्र में विशेष अवसर उपलब्ध कराता है। इन भावों में शुक्र और मंगल की युति चिकित्सा क्षेत्र में विशेष सफलता का कारक बनती है। शुक्र और मंगल का स्थान संबंध व दृष्टि संबंध भी चिकित्सा मामलों में बेहतर सफलता का कारक माना गया है। अंतिम निष्कर्ष यह निकलता है कि सूर्य व मंगल प्रशासनिक सेवा, चंद्रमा व्यवसायिक क्षेत्र, बुध व बृहस्पति शिक्षा, शुक्र व्यवसायिक और शनि ग्रह प्राविधिक शिक्षा के क्षेत्र में जीविका निर्माण का काम करते हैं। भाव, भावेरा और करका: के सिद्धांत के आधर पर यह निम्न, मध्य, उच्च स्तर तक व्यक्ति को ले जाने की क्षमता प्रदान करते हैं।
आपके ग्रह निर्धारित करते हैं आजीविका—
आपके ग्रह निर्धारित करते हैं आजीविका—-
प्रत्येक मनुष्य की शिक्षा ही आजीविका संसाधन वृद्धि का कारण बनती है। आजीविका के बेहतर संसाधन तभी जुटाए जा सकते हैं, जब आपकी शिक्षा रोजगार परक हो अर्थात व्यवसायिक श्रोत भी इसमें शामिल हों। आप व्यवसायी बनना चाहते हैं, सेना के अफसर, डॉक्टर, इंजीनियर, गायक या अच्छे लेखक इन सभी क्षेत्रों में आपके सितारे किसी न किसी रूप में आपको प्रेरित करते हैं। अगर कुण्डली में ग्रह अच्छी स्थिति में हैं तो आपको बेहतर पोजीशन मिलती है।