गृह योग और सितारों का रोगों से संबंध—-
ग्रह-नक्षत्रों का असर समाज, मनुष्‍य, प्रकृति पशु-पक्षी तक देखा जा सकता है। जहां आपके जन्‍मांक में ग्रह स्थिति बेहतर होने से आपको बेहतर फल प्राप्‍त होते हैं। वहीं ग्रह स्थिति आपको बलवान भी बना सकती है और आपको रोग ग्रस्‍त भी कर सकती है। मृत्‍यु तुल्‍य कष्‍ट के साथ मृत्‍यु भी दे सकती है। अर्थात यह कहा जा सकता है कि जन्‍मांक में षष्‍ठ, षष्‍ठेस, लग्‍न, लग्‍नेश के आधार पर आपका स्‍वास्‍थ्‍य निर्भर रहता है। यदि आपकी कुंडली में लग्‍न उत्‍तम है, लग्‍नेश केन्‍द्र त्रिकोणगत है तो आपका स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर रहेगा। शरीर पर अपने अपने अंगों पर क्रमश: सभी ग्रहों का एकाधिकार होता है और जो भी ग्रह कमजोर स्थिति में होगा उसी अंग को पीड़ा किसी न किसी रूप में पहुंचेगी। भावों के आधार पर आकलन करने पर रोग के संबंध में स्थिति पूर्णत: स्‍पष्‍ट हो जाती है:—
सूर्य— यदि कमजोर है तो हृदय रोग, आंतों के रोग हो सकते हैं।
चन्‍द्र— कमजोर होने पर छाती से संबंधित रोग, टीबी, शीत विकार, ज्‍वर अनिद्रा और मानसिक रोगों की वृद्धि होगी।
बुद्ध— ठीक न होने पर एलर्जी, कन्‍धे, गले और हाथ की उंगलियों पर किसी रोग का प्रकोप हो सकता है।
गुरु —के कमजोर होने पर कमर से जांघ तक कष्‍ट और जिगर से संबंधि रोग हो सकते हैं।
मंगल— की स्थिति ठीक न होने पर रक्‍त विकार, तीव्र ज्‍वर, चेचक, आकष्मिक दुर्घटनाएं, घाव, चोट, ब्‍लड प्रेशर जैसी परेशानी आ सकती है।
शुक्र— कमजोर होने पर बांझपन, मुत्राशय संबंधी रोग और गुप्‍त रोग हो सकते हैं।
शनि— की स्थिति ठीक न होने पर वायु विकार, घुटनों में दर्द, श्‍वास रोग, शूल रोग और पांव संबंधी रोग हो सकते हैं।
निवारण:—-
सूर्य:— अनिष्‍टकर हैं तो माणिक धारण करें। सूर्य मंत्र का जाप करें। दान करें।
चन्‍द्र:— मोती धारण करें। चन्‍द्र मंत्र का जाप करें, दान दें।
मंगल:– मूगा धारण करें, मंगल स्‍त्रोत्र का पाठ, लाल वस्‍तुओं का दान करें।
बुद्ध:— पन्‍ना धारण कीजिए। भगवान विष्‍णु का उपासना करें। गाय को हरा चारा दें। हरी सब्जियां, हरे वस्‍त्र का दान कीजिए।
गुरु:— पुखराज, पीला वस्‍त्र धारण कीजिए। पीला अन्‍न दान कीजिए। गुरुवार का व्रत कीजिए।
शुक्र:– हीरा धारण करें। दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें। शुक्रवार का व्रत करें। कन्‍या पूजन कीजिए।
शनि:– नीलम धारण करें। शनिवार व्रत कीजिए। शनि मंत्र का जाप उत्‍तम रहेगा।
(ग्रह चाहे अनुकूल स्थिति में हो या प्रतिकूल, हमेशा ही मनुष्‍य को प्रभावित करते हैं। हालांकि पूजन-उपचार आदि से उनके प्रभाव को बढ़ाया या कम किया जा सकता है।)

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