कैरियर और कारकांश कुण्डली—- (Career & Karakamsh Kundali)—-
बदलते परिवेश में जितना मुश्किल कैरियर निर्माण करना होता जा रहा है उससे भी कहीं ज्यादा कठिन कैरियर का चुनाव करना हो गया है। आज हमारे देश में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्वभर में शिक्षा समाप्त करने के पश्चात अकसर छात्र इस असमंजस में पड़ जाते है कि किस क्षेत्र में भविष्य संवारा जाए। यही वह समय होता है जब लिया गया कोई भी निर्णय कैरियर को बना तथा बिगाड़ सकता है।
आज ऐसा दौर चल पड़ा है कि किसी भी क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उससे जुड़े पाठयक्रमों का अनेकों संस्थाओं द्वारा संचालन एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि सभी अपने कोर्सों की विशेषताओं को इस तरह से पेश करते हैं कि लगता है कि उस क्षेत्र में ही भविष्य निर्माण कर लिया जाए। लेकिन किसके लिए क्या उचित और क्या अनुचित है, यह तो वही व्यक्ति बखूबी जानता है जिसे अपने कैरियर का निर्माण करना है।
यह बात बिल्कुल सही है कि निर्णय लेने में भमz तथा भाववेश जरूर आड़े आते हैं लेकिन यदि इन दस मूलमंत्रों पर अमल किया जाए तो जाहिर तौर पर सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है।
योग्यता को ध्यान में रखें:- हमेशा कैरियर चुनने से पहले अपनी योग्यता को ध्यान में रखें। क्योंकि वही व्यक्ति अपना भविष्य उज्जवल बना सकता है जो अपनी रूचि व काबिलियत के अनुरूप कैरियर चुनता है।
चमक-दमक में न पड़े:- अक्सर देखा जाता है कि छात्र कैरियर विकल्प को अपनाते समय उसकी चमक-दमक को देखते हैं। लेकिन यह सोच भविष्य निर्माण के लिहाज से अत्यंत घातक सिद्ध हो सकती है। क्योंकि इस तरह की चमक-दमक मात्र कुछ दिनों तक ही कायम रहती है। अत: कैरियर का चुनाव करते समय इससे परहेज करना बेहतर होता है।
दो-चार विकल्प रखें:- आज के प्रतियोगिता के दौर में सिपर्फ एक राह पर चलना कतई फायदे का सौदा नहीं है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह कैरियर में दो-चार विकल्प जरूर रखे। हो सकता है कि आप एक तरपफ असपफल हों तो अन्य विकल्पों को अपनाकर कामयाबी भी पा सकते हंै। जो व्यक्ति इस प्रकार की व्यवस्था पर अमल करता है वह सदा मानसिक तनाव झेलने से बच जाता है।
पसंदीदा कैरियर से स्वयं का आंकलन करें:- यह अति आवश्यक है कि आप खुद का आंकलन पसंदीदा कैरियर से कर लें। इसके लिए सबसे पहले अपनी योग्यता तथा कार्य क्षमता की एक रूपरेखा तैयार करें तथा इसके पश्चात~ पसंदीदा कैरियर का खाका तैयार करें और पिफर दोनों को दृष्टि में रखकर ही निर्णय लें।
भाववेश में चुनाव न करें:- कैरियर का चयन हमेशा शांतचित तथा सोच-विचार के उपरांत करना ही फायदेमंद होता हैं। किसी के बहकावे में या दबाव में आकर फैसला लेने से सदा बचें। सुने सबकी लेकिन करे अपने मन की। क्योंकि भविष्य में इसके परिणाम आपको स्वयं भुगतने पड़ेंगे। अक्सर देखने में आता है कि बच्चे मां-बाप की इच्छाओं के चलते भाववेश में आकर अपनी रूचि व योग्यता के विपरीत चयन कर बैठते हैं जोकि बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सभी पहलुओं पर नजर डालें:- यह बात कापफी अहमियत रखती है कि जिस कैरियर का चुनाव आप कर रहे हैं उसके हर पहलू से आप रूबरू हो जाएं। जैसे भविष्य में सफलता की कितनी संभावनाएं मौजूद हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह कितना सुरक्षित है तथा वेतन व तरक्की को घ्यान में यह कितना कारगर हो सकता है इत्यादि।
जानकारों की सलाह लें:- किसी भी क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए अति आवश्यक है कि आप समय-समय पर उन कार्यों से जुड़े व्यक्तियों से सलाह जरूर लें। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप इस बात से अवगत हो जाते हैं कि उक्त क्षेत्र में भविष्य में क्या-क्या संभावनाएं मौजूद है तथा इस क्षेत्र में कदम रखने के बाद आप कितने सफल हो सकेंगे।
तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखें:- किसी भी व्यक्ति के लिए कैरियर संबंधी निर्णय मंे यह बेहद आवश्यक होता है कि वह सबसे पहले अपनी आर्थिक स्थिति को देखे। उसके बाद व्यक्तिगत तथा इसके पश्चात~ सामाजिक। अगर इन तीनों बातों को ध्यान में रखकर चयन किया जाए तो जाहिर तौर पर सफल कैरियर बनाया जा सकता है।
श्रम एवं पूंजी बाजार को भी नजर में रखें:- यह बात काफी मायने रखती है कि किस क्षेत्र में कितने परिश्रम के पश्चात कितनी आय अर्जित की जा सकती है। किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले इस बात पर जरूर ध्यान दें कि वर्तमान ही नहीं अपितु भविष्य में भी उसमें श्रम के अनुरूप पूंजी मिल सकती है अथवा नहीं। इसके पश्चात~ ही यह फैसला करें कि आपका इस क्षेत्र में प्रवेश करना उचित है या अनुचित।
आत्मसंतुष्टि का भी ध्यान रखें:- इंसान की प्रवृति होती है कि वह किसी भी कार्य को तब तक रूचिपूर्वक नहीं करता है, जब तक की उसमें उसे आत्मसंतुष्टि का आभास न हो। अगर कोई ऐसा कैरियर चुन लिया जाए जिसमें आत्मसंतुष्टि ही नहीं मिले तो जाहिर है कि उसमें सफलता पाना भी कठिन होगा। सफलता तभी मिल सकती है जब कार्य आत्मसंतुष्टि प्रदान करने वाला हो।
आज युवाओं के बीच सबसे अधिक चिंता का विषय आजीविका है.चिंता के इस विषय का समाधान ज्योतिष विधि से किया जाए तो मुश्किल काफी हद तक आसान होसकती है. ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार हमारी कुण्डली में सब कुछ लिखा हैबस उसे गहरी से
जानने की आवश्यकता है.आइये जानें क्या कहती है कुण्डलीकैरियर के बारे में.
आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को देखा जाता है (Tenth Bhava is for Career).दशम भाव अगर खाली है तब दशमेश जिस ग्रह के नवांश मेंहोता है उस ग्रह के अनुसार आजीविका का विचार किया जाता है.द्वितीय एवंएकादश भाव में ग्रह अगर मजबूत स्थिति में हो तो वह भी आजीविका मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार व्यक्ति कीकुण्डली में दशमांश शुभ स्थान पर मजबूत स्थिति में होता है
(Strongly placed tenth lord)तो यह आजीविका के क्षेत्र में उत्तम संभावनाओं कादर्शाता है.दशमांश अगर षष्टम,अष्टम द्वादश भाव में हो अथवा कमज़ोर हो तोयह रोजी रोजगार के संदर्भ में कठिनाई पैदा करता है.
जैमिनी पद्धतिके अनुसार व्यक्ति के कारकांश कुण्डली में लग्न स्थान में सूर्य या शुक्रहोता है तो व्यक्ति राजकीय पक्ष से सम्बन्धित कारोबार करता है अथवा सरकारीविभाग में नौकरी करता है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न स्थान में हो (Moon in Ascendant in Karakamsh Kundali)और शुक्र उसे देखता हो तो इस स्थिति में अध्यापन के कार्य में सफलता और कामयाबी मिलती है.कारकांश में चन्द्रमा लग्नमें होता है और बुध उसे देखता है तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में कैरियर कीबेहतर संभावनाओं को दर्शाता है.कारकांश में मंगल के लग्न स्थान पर होने सेव्यक्ति अस्त्र,शस्त्र,रसायन एवं रक्षा विभाग से जुड़कर सफलता कीऊँचाईयों को छूता है. कारकांश लग्न में जिस व्यक्ति के बुध होता(Mercury in Ascendant of Karakamsh Kundali)है वह कला अथवा व्यापार कोअपनी आजीविका का माध्यम बनता है तो आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है.कारकांशमें लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेतसमझना
चाहिए.सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवाचिकित्सक हो सकता है.
ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे,छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति मेंकृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांशकुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (Ketu in fourth house of Karakamsh Kundali)व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने सेलोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगरलग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युतहोता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता
है.
कारकांशमें लग्न से पंचम स्थान पर मंगल (Mars in fifth house of Karakamsh—-
Kundali)होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी
मिलतीहै.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला मेंमहारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होताहै.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाताहै.
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सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि यह सभी ग्रह कैरियर के स्थायित्व के लिए अति लाभकारी माने जाते हैं। यदि सूर्य लाभेश या कर्मेश हो तो वह जातक सरकारी नौकरी और उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है। सूर्य और बुध की साथ में युति हो तो अति बुद्धिमान होता है। तथा प्रशासनिक, न्यायाधिश, अभिभाषक आदि क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकता है।मंगल यदि जन्म पत्रिका में कर्मेश या लाभेश मित्र राशि से युक्त हो या किसी शुभ ग्रह की उस पर दृष्टि हो तो जातक भवन, भूमि से लाभ उठाने वाला, कॉलोनाइजर या भवन ठेकेदार के कार्य में पूर्ण सफल होता है। सूर्य मंगल की युति उसे तहसीलदार, पटवारी आदि कार्यों में सफलता दिलाती है।बुध, गुरु यह दोनों ग्रह भी जातक को उच्च पदासीन करते हैं तथा बुद्धि, विद्या धर्म क्षेत्र में सफलता दिलाते हैं। व्यवसाय में भी इन दोनों ग्र्रहों कि प्रबलता से सफलता मिलती है। बुध एवं गुरु दोनों व्यापार कारक ग्रह है। इनका जन्म पत्रिका में शुभ स्थान नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित होना जातक को वित्तीय रूप से अधिक मजबूत बनाता है। वह कर्मशील भाग्यवान तथा धर्मशील, धनवान होता है।शुक्र, शनि उन युवाओं को ज्यादा मददगार है जो फैशन या सिने जगत में सफलता प्राप्त करना चाहते है। शुक्र वैभवपूर्ण ग्रह है अत: शुक्र उच्चस्थ या स्वराशि होकर लाभेश होकर स्थित हो तो जातक को ग्लेमर या ग्लेरमरयुक्त व्यवसाय में अधिक सफलता मिलती है। शनि भी इसमें महत्वपूर्ण होता है। शनि जातक को तकनिशियन, इंजीनियर, चार्टेड एकाउंटेंट, गणितज्ञ आदि बनने में सहायक होता है। डॉक्टर को यदि राहु कर्मेश दशम स्थान में स्थित हो तो वह बहुत बड़ा सर्जन बनने की योग्यता रखता है।
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जन्‍मांक से कैरियर चुनकर सफलता प्राप्‍त करें!—
आप अपना जन्‍मांक जानना चाहते हैं। यदि हां तो आईए आपको बताते हैं कि इसे कैसे जानें।
जन्‍मांक आपकी जन्‍म दिनांक का मूलांक है। जन्‍मांक .से9 तक ही होते हैं।
आपको मात्र अपनी जन्म दिनांक चाहिए जिससे आप अपना जन्‍मांक ज्ञात कर सकें। मान लो आप किसी मास की 1. दिनांक को उत्‍पन्‍न हुए हैं तो आपका जन्‍मांक होगा 1+2 =. अर्थात् आपका जन्‍मांक 3 है। यदि किसी का जन्‍म 2. दिनांक को होता तो उसका जन्‍मांक होता 2+0 =2 अर्थात् जन्‍मांक 2 है। यदि किसी का जन्‍म 31 दिनांक को होता तो उसका जन्‍मांक होगा 3+1=4 अर्थात् उसका जन्‍मांक 4 है। इस प्रकार आप किसी का जन्‍मांक सरलता से ज्ञात कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 1 है तो आपका स्‍वामी सूर्य ग्रह है। आप चिकित्‍सक, वकालत, प्रशासक, नेता, राजकीय सेवा, मन्त्री, डिजाइनर, ग्रुप लीडर, आविष्कारक या नेतृत्‍व प्रधान कार्यों से आजीविका अर्जित कर जीवन सफल बना सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 2 है तो आपका स्‍वामी चन्‍द्र ग्रह है। आप कलात्‍मक कार्यों में विशेष सफल हो सकते हैं। चित्रकारी, कलाकार, संगीतकार, अध्‍यापक, कथाकार, उपन्‍यासकार, कैमिस्‍ट, दार्शनिक, तरल पदार्थ, सुगन्धित पदार्थ, कलात्‍मक व सजावट की वस्‍तुएं, रत्‍न व्‍यवसाय, आभूषणों का व्‍यवसाय, डेयरी, दूध, शोधकर्त्ता, नृत्य, संगीत, कविता आदि कार्यों को करके आजीविका अर्जित कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 3 है तो आपका स्‍वामी गुरु ग्रह है। आप विद्वता, गुरुता एवं शोध या मस्तिष्‍क सम्‍बन्‍धी कार्यों में विशेष सफल रह सकते हैं। आप अध्‍यापन, पुरोहित, लेखन, संपादक, पत्रकारिता, पादरी, पंडित, कथावाचक, दलाली, खाद्य पदार्थ, कन्‍फैक्‍सनरी, कानूनज्ञ, दार्शनिक, विज्ञापन ऐजन्‍सी, चिकित्‍सक, लेखक, इंजीनियर सचिव, राजदूत, जननेता, टेकनीशियन, कम्युनिकेशन और मनोरंजन, एक्टिंग, म्यूजिक, राइटिंग से आजीविका चयन करके जीवनयापन कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 4 है तो आपका स्‍वामी राहु या नकारात्‍मक सूर्य ग्रह है। आप तकनीकी कार्य, कम्‍प्‍यूटर, प्रशासक, फैशन डिजाइनर, ग्राफिक कलाकार, योजना विभाग, सलाहकार, पुरातत्त्व विभाग, वायुयान विभाग, ऑपरेटर, डाकविभाग, सूचना विभाग, बिजली, इंजीनियर, बिल्डर, प्रोग्रामर, अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट, इकोलॉजिस्ट या मैकेनिक के रूप में कैरियर बनाकर आजीविका अर्जित कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 5 है तो आपका स्‍वामी बुध ग्रह है। आप बैंक, एकाउन्‍टेण्‍ट, डेरी, पुस्‍तकालय, मैनेजमैन्‍ट, कैमिकल, ऑटोमोबाईल, खोजी पत्रकारिता, प्रकाशन, विज्ञापन, स्टॉक्स, ट्रेवल, लेखन या एविएशन के क्षेत्र में कैरियर बनाकर जीवनयापन कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 6 है तो आपका स्‍वामी शुक्र ग्रह है। आप शराब, रेस्‍टोरेण्‍ट, फिल्‍म, सजावट, मॉडलिंग, विज्ञापन, फिल्‍म, प्रचारक, ऩत्‍य, गायन, कलाकार, अभिनेता, अध्यापक, सोशल वर्कर, मेडिकल प्रोफेशनल, कुक या सिविल सर्वेंट के रूप में आजीविका चयन करके सफल हो सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 7 है तो आपका स्‍वामी केतु या नकारात्‍मक चन्‍द्र ग्रह है। आप गुप्‍तचरी, जासूस, औषधि विक्रेता, धर्मगुरू, अध्‍यात्‍म, ज्‍योतिष, पर्यटक, आविष्‍कारक, उद्योग, योगी, तरल पदार्थ, साहित्‍यकार, फिल्‍म व्‍यवसाय, ललित कला, कैमिस्‍ट, लैक्‍चरार, वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, जाँचकर्ता, दार्शनिक, जासूस या मिस्ट्री लेखक के रूप में कैरियर चयन करके सफलता संग जीवनयापन कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 8 है तो आपका स्‍वामी शनि ग्रह है। आप बीमा, मशीनरी, ठेकेदारी, मुद्रण, ज्‍योतिषी, कूटनीतिज्ञ, जंगलात विभाग, सिगरेट, धातु व्‍यवसाय, तेल व्‍यवसाय, दलाली, भूमि व भवन व्‍यवसाय, रत्‍न व्‍यवसाय, पशु उद्योग, हॉकर, शोधकार्य, सेवा कार्य, समाजसेवा, नेता, सेल्स मैनेजर, बैंकर, स्टॉक ब्रोकर, मैनेजिंग डायरेक्टर या एथलिट के रूप में कैरियर चयन करके जीवनयापन कर सकते हैं।
आपका जन्‍मांक 9 है तो आपका स्‍वामी मंगल ग्रह है। आप खेल, सेना, पुलिस, जज, खनिज, सीमेण्‍ट, टेलीफोन, श्रमिक, योद्धा, सैनिक, रेडियो, आकाशवाणी, जमीन-जायदायद, रंग व्‍यवसाय, पेंट व्‍यवसाय, सर्जिकल व्‍यवसाय, लेक्चरर, फिजिशियन, मानवतावादी, वकील, कसाई, विद्युत आदि के क्षेत्र में कैरियर चयन करके आजीविका अर्जित कर सकते हैं।
आप अपने जन्‍मांक के अनुसार कैरियर चयन करेगे तो इससे आपके विकास का पथ सरल हो जाएगा। आप कुछ और करना चाहते हैं तो उसके लिए पूर्ण समर्पण भावना से प्रयास करें। प्रयासों में ही भाग्‍य परिवर्तन की क्षमता होती है।
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दोस्ती, प्रेम, विवाह या कैरियर
एक समय वह था कि जब युवा वर्ग के लोग अपने विवाह या प्रेम को अधिक महत्व देते थे, लेकिन आज की युवा पीढ़ी इनके स्थान पर अपने कैरियर को अधिक महत्व देने लगी है। इन युवाओं का कहना है कि वर्तमान समय प्रतियोगिता का समय है और इसमें वही युवा सफल हो सकता है जो अपनी समस्त शक्ति एवं क्षमता को एकत्रित कर अपने कैरियर में लगा दे। आज के युवक-युवतियां बहुत महत्वाकांक्षी हैं। ये अपने कैरियर को लेकर न केवल गम्भीर हैं, बल्कि उतावले भी हैं।
आज के जीवन में एक तो पैसे का महत्व बहुत बढ़ गया है और दूसरे आज के युवा अपने विवाह को लेकर अधिक चिन्तित भी नहीं हैं। इनके लिए विवाह या प्रेम का महत्व गौण होता जा रहा है। ये युवा मानते हैं कि प्रेम या विवाह एक उम्र के बाद कभी भी किया जा सकता है, परन्तु नौकरी एक उम्र के बाद कभी नहीं मिलेगी। वर्तमान परिस्थितियां देखते हुए माता-पिता भी यही चाहने लगे हैं कि उनके बच्चे पहले अपने कैरियर पर ध्यान देकर आत्मनिर्भर हो जाएं और उसके बाद ही विवाह के बंधन में बंधें। शायद यही कारण है कि आज के युवा प्रेम या विवाह के स्थान पर अपने कैरियर के प्रति अधिक सजग रहने लगे हैं और इस विषय में इन युवाओं की कमोबेश एक सी राय नज़र आ रही है।
युवाओं की राय
दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. कर रहे 24 वर्षीय रोहण गुप्ता कहते हैं, “मेरे विचार से तो आज के दौर में हरेक युवा की पहली पसन्द उसका कैरियर ही होगा। आजकल कंपटीशन का जो रूख है उसे देखते हुए हमें पहले अपने कैरियर पर ही ध्यान देना चाहिए। मैरिज या लव अफेयर करने के बाद कैरियर बनाना और भी मुश्किल हो जाता है। कैरियर के बिना मैरिज या अफेयर करने को तो मैं अपने पैरों पर अपने आप कुल्हाड़ी मारना कहुंगा और ऐसी गलती कम से कम मैं तो कभी नहीं करना चाहूंगा।´´
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से बी.ए. कर रहे के.एम. कुरैशी भी ऐसा ही कुछ कहते हैं कि अपना कैरियर छोड़कर प्यार-मोहब्बत में पड़ना बेवकूफी है। लेकिन मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि युवाओं को प्यार करने का हक ही नहीं है, बल्कि मैं तो यह कहना चाहता हूं कि युवाओं की पहली पसन्द उनका कैरियर ही होना चाहिए। प्यार-मोहब्बत की जगह कैरियर के बाद ही आनी चाहिए। तभी उनका कैरियर और प्यार कामयाब हो सकता है। मैंने खुद कुछ ऐसे लोगों को देखा है जिन्होंने प्यार-मोहब्बत के चक्कर में मजनू बनकर अपना सारा कैरियर बर्बाद कर लिया और अब उन्हें अपनी गलती का अहसास भी हो रहा है। जहां तक मेरा सवाल है, मैं तो ऐसा कभी नहीं करूंगा।
एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत 27 वर्षीय दीप्ति सेठ अपनी बेबाक राय प्रकट करती हैं। उनके अनुसार,“वर्तमान पीढ़ी पहले की तुलना में बहुत समझदार हो गई है। पहले अगर माता-पिता विवाह के लिए कहते थे, तो उनके युवा बच्चे चुपचाप उनकी आज्ञा का पालन कर लेते थे। और फिर उस समय आज की तरह कैरियर, जॉब या बिजनेस को लेकर इतनी मारा-मारी भी नहीं होती थी, लेकिन आज जमाना बदल गया है। मुझे नहीं लगता कि आज का कोई भी पढ़ा-लिखा समझदार युवा बिना अपना कैरियर संवारे शादी-विवाह जैसी भयानक भूल करेगा। हां, वह कुछ समय के लिए किसी के प्रति आकर्षित तो जरूर हो सकता है, लेकिन अगर उसके पास बहुत ज्यादा दौलत और विकल्प नहीं है, तब तो वह शादी के बारे में सोचेगा भी नहीं। और उसे सोचना भी नहीं चाहिए।´´
34 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सिद्धार्थ गौतम के मुताबिक, “वर्तमान समाज की परिस्थितियों को देखते-समझते हुए ऐसा कौन सा समझदार युवा होगा जो अपने कैरियर को ताक पर रखकर प्रेम या शादी को प्राथमिकता देना चाहेगा। आज के युवक-युवतियां आज की परिस्थितियों के हिसाब से चलते हुए बहुत प्रतिस्पर्धी और प्रतियोगी हो गए हैं। आज शादी से ज्यादा जरूरी है आत्मनिर्भर होना।
शादी या प्रेम के बिना तो जीवन चल सकता है, लेकिन नौकरी या व्यवसाय के बिना जीवन नहीं चल सकता। जीवन में प्रेम या शादी भी जरूरी है, लेकिन उनका स्थान कैरियर के बाद ही आना चाहिए। एक न्यूनतम आयु सीमा के बाद जीवन में कभी भी प्रेम और शादी की जा सकती है, किन्तु कैरियर के सम्बंध में यह बात विपरीत है। नौकरी आदि एक अधिकतम आयु सीमा तक ही मिल पाती हैं। उसके बाद आपके लिए नौकरी के रास्ते बन्द हो जाते हैं।´´
मनोविज्ञानी की राय
मनोविज्ञानी डॉ. सी.एस. अग्रवाल इस विषय में बताती हैं कि आज के पढ़े-लिखे शहरी युवाओं के लिए उनका कैरियर अधिक महत्व रखता है। आज के ये युवा अपने कैरियर के प्रति काफी संवेदनशील रहने लगे हैं। उनके लिए उनका कैरियर, भविष्य, पद और पैसा ज्यादा महत्व रखता है। अगर आप ध्यान दें, तो पाएंगे कि आज के पढ़े-लिखे शहरी युवाओं में कम पढ़े-लिखे या ग्रामीण परिवेश के युवाओं की तुलना में महत्वाकांक्षाएं भी अलग हैं। परीक्षाओं या उनके परिणाम वाले दिनों में आत्महत्या करने जैसी जो दु:खद घटनाएं सामने आती हैं उनके पीछे भी कारण भिन्न होते हैं।
जहां ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में प्रेम को लेकर आत्महत्याएं अधिक देखने-सुनने को मिलती हैं, वहीं शहरों के पढ़े-लिखे युवाओं के आत्महत्या करने वाली ज्यादातर घटनाओं का कारण कैरियर से सम्बंधित होता है। हालांकि आत्महत्या हताशा को प्रकट करती है और युवाओं को ऐसा गलत कदम कभी भी नहीं उठाना चाहिए फिर भी इस उदाहरण से इतना तो पता चल ही जाता है कि आज के पढ़े-लिखे शहरी युवाओं में अपने कैरियर को लेकर कितना तनाव है और कितनी जबरदस्त चाह है।
अभिभावकों की भूमिका
एक बैंक में कार्यरत 52 वर्षीय श्रीमती सुधा पाठक 3 युवा बच्चों की मां हैं। वे मानती हैं, “आज की युवा पीढ़ी में आ रहे इस बदलाव के पीछे उनके माता-पिता की भी मुख्य भूमिका है। वे भी अपने बच्चों पर शादी के लिए नहीं, बल्कि कैरियर बनाने के लिए दबाव डालने लगे हैं। जबकि पहले बच्चों पर इस बात के लिए दबाव डाला जाता था कि वे एक निश्चित उम्र या पढ़ाई के बाद शादी करके अपना घर बसा लें।
माता-पिता के लिए यह जरूरी नहीं था कि उनके बच्चे अपने पैरों पर खड़े हुए हैं या नहीं। उस समय आज जैसी महंगाई भी नहीं थी। लेकिन आज के समय में ये सारी चीजें एकदम बदली हुई हैं। अब न केवल बच्चे, बल्कि उनके माता-पिता भी यही चाहते हैं कि शादी से पहले बच्चे आत्मनिर्भर हो जाएं। और यह ठीक भी है। अब महंगाई ही इतनी बढ़ चुकी है कि अकेले आदमी की कमाई में घर चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है।´´

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