कैरियर और कारकांश कुण्डली—- (Career & Karakamsh Kundali)—-
बदलते परिवेश में जितना मुश्किल कैरियर निर्माण करना होता जा रहा है उससे भी कहीं ज्यादा कठिन कैरियर का चुनाव करना हो गया है। आज हमारे देश में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्वभर में शिक्षा समाप्त करने के पश्चात अकसर छात्र इस असमंजस में पड़ जाते है कि किस क्षेत्र में भविष्य संवारा जाए। यही वह समय होता है जब लिया गया कोई भी निर्णय कैरियर को बना तथा बिगाड़ सकता है।
आज ऐसा दौर चल पड़ा है कि किसी भी क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उससे जुड़े पाठयक्रमों का अनेकों संस्थाओं द्वारा संचालन एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि सभी अपने कोर्सों की विशेषताओं को इस तरह से पेश करते हैं कि लगता है कि उस क्षेत्र में ही भविष्य निर्माण कर लिया जाए। लेकिन किसके लिए क्या उचित और क्या अनुचित है, यह तो वही व्यक्ति बखूबी जानता है जिसे अपने कैरियर का निर्माण करना है।
यह बात बिल्कुल सही है कि निर्णय लेने में भमz तथा भाववेश जरूर आड़े आते हैं लेकिन यदि इन दस मूलमंत्रों पर अमल किया जाए तो जाहिर तौर पर सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है।
योग्यता को ध्यान में रखें:- हमेशा कैरियर चुनने से पहले अपनी योग्यता को ध्यान में रखें। क्योंकि वही व्यक्ति अपना भविष्य उज्जवल बना सकता है जो अपनी रूचि व काबिलियत के अनुरूप कैरियर चुनता है।
चमक-दमक में न पड़े:- अक्सर देखा जाता है कि छात्र कैरियर विकल्प को अपनाते समय उसकी चमक-दमक को देखते हैं। लेकिन यह सोच भविष्य निर्माण के लिहाज से अत्यंत घातक सिद्ध हो सकती है। क्योंकि इस तरह की चमक-दमक मात्र कुछ दिनों तक ही कायम रहती है। अत: कैरियर का चुनाव करते समय इससे परहेज करना बेहतर होता है।
दो-चार विकल्प रखें:- आज के प्रतियोगिता के दौर में सिपर्फ एक राह पर चलना कतई फायदे का सौदा नहीं है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह कैरियर में दो-चार विकल्प जरूर रखे। हो सकता है कि आप एक तरपफ असपफल हों तो अन्य विकल्पों को अपनाकर कामयाबी भी पा सकते हंै। जो व्यक्ति इस प्रकार की व्यवस्था पर अमल करता है वह सदा मानसिक तनाव झेलने से बच जाता है।
पसंदीदा कैरियर से स्वयं का आंकलन करें:- यह अति आवश्यक है कि आप खुद का आंकलन पसंदीदा कैरियर से कर लें। इसके लिए सबसे पहले अपनी योग्यता तथा कार्य क्षमता की एक रूपरेखा तैयार करें तथा इसके पश्चात~ पसंदीदा कैरियर का खाका तैयार करें और पिफर दोनों को दृष्टि में रखकर ही निर्णय लें।
भाववेश में चुनाव न करें:- कैरियर का चयन हमेशा शांतचित तथा सोच-विचार के उपरांत करना ही फायदेमंद होता हैं। किसी के बहकावे में या दबाव में आकर फैसला लेने से सदा बचें। सुने सबकी लेकिन करे अपने मन की। क्योंकि भविष्य में इसके परिणाम आपको स्वयं भुगतने पड़ेंगे। अक्सर देखने में आता है कि बच्चे मां-बाप की इच्छाओं के चलते भाववेश में आकर अपनी रूचि व योग्यता के विपरीत चयन कर बैठते हैं जोकि बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सभी पहलुओं पर नजर डालें:- यह बात कापफी अहमियत रखती है कि जिस कैरियर का चुनाव आप कर रहे हैं उसके हर पहलू से आप रूबरू हो जाएं। जैसे भविष्य में सफलता की कितनी संभावनाएं मौजूद हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह कितना सुरक्षित है तथा वेतन व तरक्की को घ्यान में यह कितना कारगर हो सकता है इत्यादि।
जानकारों की सलाह लें:- किसी भी क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए अति आवश्यक है कि आप समय-समय पर उन कार्यों से जुड़े व्यक्तियों से सलाह जरूर लें। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप इस बात से अवगत हो जाते हैं कि उक्त क्षेत्र में भविष्य में क्या-क्या संभावनाएं मौजूद है तथा इस क्षेत्र में कदम रखने के बाद आप कितने सफल हो सकेंगे।
तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखें:- किसी भी व्यक्ति के लिए कैरियर संबंधी निर्णय मंे यह बेहद आवश्यक होता है कि वह सबसे पहले अपनी आर्थिक स्थिति को देखे। उसके बाद व्यक्तिगत तथा इसके पश्चात~ सामाजिक। अगर इन तीनों बातों को ध्यान में रखकर चयन किया जाए तो जाहिर तौर पर सफल कैरियर बनाया जा सकता है।
श्रम एवं पूंजी बाजार को भी नजर में रखें:- यह बात काफी मायने रखती है कि किस क्षेत्र में कितने परिश्रम के पश्चात कितनी आय अर्जित की जा सकती है। किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले इस बात पर जरूर ध्यान दें कि वर्तमान ही नहीं अपितु भविष्य में भी उसमें श्रम के अनुरूप पूंजी मिल सकती है अथवा नहीं। इसके पश्चात~ ही यह फैसला करें कि आपका इस क्षेत्र में प्रवेश करना उचित है या अनुचित।
आत्मसंतुष्टि का भी ध्यान रखें:- इंसान की प्रवृति होती है कि वह किसी भी कार्य को तब तक रूचिपूर्वक नहीं करता है, जब तक की उसमें उसे आत्मसंतुष्टि का आभास न हो। अगर कोई ऐसा कैरियर चुन लिया जाए जिसमें आत्मसंतुष्टि ही नहीं मिले तो जाहिर है कि उसमें सफलता पाना भी कठिन होगा। सफलता तभी मिल सकती है जब कार्य आत्मसंतुष्टि प्रदान करने वाला हो।
आज युवाओं के बीच सबसे अधिक चिंता का विषय आजीविका है.चिंता के इस विषय का समाधान ज्योतिष विधि से किया जाए तो मुश्किल काफी हद तक आसान होसकती है. ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार हमारी कुण्डली में सब कुछ लिखा हैबस उसे गहरी से
जानने की आवश्यकता है.आइये जानें क्या कहती है कुण्डलीकैरियर के बारे में.
आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को देखा जाता है (Tenth Bhava is for Career).दशम भाव अगर खाली है तब दशमेश जिस ग्रह के नवांश मेंहोता है उस ग्रह के अनुसार आजीविका का विचार किया जाता है.द्वितीय एवंएकादश भाव में ग्रह अगर मजबूत स्थिति में हो तो वह भी आजीविका मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार व्यक्ति कीकुण्डली में दशमांश शुभ स्थान पर मजबूत स्थिति में होता है
(Strongly placed tenth lord)तो यह आजीविका के क्षेत्र में उत्तम संभावनाओं कादर्शाता है.दशमांश अगर षष्टम,अष्टम द्वादश भाव में हो अथवा कमज़ोर हो तोयह रोजी रोजगार के संदर्भ में कठिनाई पैदा करता है.
जैमिनी पद्धतिके अनुसार व्यक्ति के कारकांश कुण्डली में लग्न स्थान में सूर्य या शुक्रहोता है तो व्यक्ति राजकीय पक्ष से सम्बन्धित कारोबार करता है अथवा सरकारीविभाग में नौकरी करता है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न स्थान में हो (Moon in Ascendant in Karakamsh Kundali)और शुक्र उसे देखता हो तो इस स्थिति में अध्यापन के कार्य में सफलता और कामयाबी मिलती है.कारकांश में चन्द्रमा लग्नमें होता है और बुध उसे देखता है तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में कैरियर कीबेहतर संभावनाओं को दर्शाता है.कारकांश में मंगल के लग्न स्थान पर होने सेव्यक्ति अस्त्र,शस्त्र,रसायन एवं रक्षा विभाग से जुड़कर सफलता कीऊँचाईयों को छूता है. कारकांश लग्न में जिस व्यक्ति के बुध होता(Mercury in Ascendant of Karakamsh Kundali)है वह कला अथवा व्यापार कोअपनी आजीविका का माध्यम बनता है तो आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है.कारकांशमें लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेतसमझना
चाहिए.सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवाचिकित्सक हो सकता है.
ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे,छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति मेंकृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांशकुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (Ketu in fourth house of Karakamsh Kundali)व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने सेलोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगरलग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युतहोता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता
है.
कारकांशमें लग्न से पंचम स्थान पर मंगल (Mars in fifth house of Karakamsh—-
Kundali)होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी
मिलतीहै.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला मेंमहारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होताहै.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाताहै.
जन्मांक से कैरियर चुनकर सफलता प्राप्त करें!—
दोस्ती, प्रेम, विवाह या कैरियर
आज के जीवन में एक तो पैसे का महत्व बहुत बढ़ गया है और दूसरे आज के युवा अपने विवाह को लेकर अधिक चिन्तित भी नहीं हैं। इनके लिए विवाह या प्रेम का महत्व गौण होता जा रहा है। ये युवा मानते हैं कि प्रेम या विवाह एक उम्र के बाद कभी भी किया जा सकता है, परन्तु नौकरी एक उम्र के बाद कभी नहीं मिलेगी। वर्तमान परिस्थितियां देखते हुए माता-पिता भी यही चाहने लगे हैं कि उनके बच्चे पहले अपने कैरियर पर ध्यान देकर आत्मनिर्भर हो जाएं और उसके बाद ही विवाह के बंधन में बंधें। शायद यही कारण है कि आज के युवा प्रेम या विवाह के स्थान पर अपने कैरियर के प्रति अधिक सजग रहने लगे हैं और इस विषय में इन युवाओं की कमोबेश एक सी राय नज़र आ रही है।
एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत 27 वर्षीय दीप्ति सेठ अपनी बेबाक राय प्रकट करती हैं। उनके अनुसार,“वर्तमान पीढ़ी पहले की तुलना में बहुत समझदार हो गई है। पहले अगर माता-पिता विवाह के लिए कहते थे, तो उनके युवा बच्चे चुपचाप उनकी आज्ञा का पालन कर लेते थे। और फिर उस समय आज की तरह कैरियर, जॉब या बिजनेस को लेकर इतनी मारा-मारी भी नहीं होती थी, लेकिन आज जमाना बदल गया है। मुझे नहीं लगता कि आज का कोई भी पढ़ा-लिखा समझदार युवा बिना अपना कैरियर संवारे शादी-विवाह जैसी भयानक भूल करेगा। हां, वह कुछ समय के लिए किसी के प्रति आकर्षित तो जरूर हो सकता है, लेकिन अगर उसके पास बहुत ज्यादा दौलत और विकल्प नहीं है, तब तो वह शादी के बारे में सोचेगा भी नहीं। और उसे सोचना भी नहीं चाहिए।´´