***हमारा अंधविश्वास और ज्योतिष!**—सच क्या हे.. -पवन तलहन????
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क्या ज्योतिष भाग्य को बदल देता है और विधाता के लिखे लिख को बदल देता है!
क्या कोई विधाता के लेख को मिटा सकता है?
क्या कोई गति को रोक सकता है?
क्या कोई समय में परिवर्तन ला सकता है?
क्या टूने-टोटकों से भाग्या में होने वाले अशुभ फल को नियंत्रण में किया जा सकता है?
ऐसे अनेकों प्रश्न……है!
ज्योतिष एक मीठा विष है, जिसके जीवन में घुल जाता है उसे कहीं का नहीं छोड़ता! ज्योतिष भय प्रधान है! ज्योतिष मुख्य कर्म में सदैव वाधक बनता है! ज्योतिषी सदैव इस बात कि घोषणा करते हैं कि तुम यह करो वो करो आप का भाग्य बदल जायेगा! ईश्वर के विधान को कोई नहीं बदल सका! यदि ऐसा होता तो भगवान श्री राम को १४ वर्ष का वनवास न जाना पड़ता! भगवान श्री रामजी के गुरु जैसा आज इस पृथ्वी पर कौन है? अगर विधाता का लेख बदला जा सकता तो महाभारत का युद्ध न होता! सीता, लक्ष्मण सहित श्री रामजी वनवास को न जाते! सती माता पार्वती जी सती न होती! श्री गणेश जी का सिर न कटता! भगवान विष्णु जी का सिर धड से अलग न होता! ब्रह्मा जी का एक सिर धड से अलग न होता तो आज वह पञ्चमुखी होते! स्वयं ईश जो कालों के भी काल महाकाल हैं उनको भी वनों में भटकना पड़ा जो स्वयं भाग्य-विधाता हैं! लक्ष्मी जी विष्णु जी को छोड़कर न जाती! विष्णु जी को घोड़े का सिर न लगाना पड़ताl जो ईश्वर सब कुछ कर सकते हैं, वह विधान को बदल देते! अगर विधि के विधान के लिखे को स्वयं ईश्वर बदल सकते तो ऐसा न होता!
अर्थात कहने का मतलव यह कि विधि के विधान को स्वयं परमात्मा भी नहीं बदलते, फिर एक साधारण मनुष्य कैसे बदल सकता है! जो सदैव छल-कपट का सहारा लेता है, फिर वह कैसे भाग्य बदलने दावा करता है! यदि आप कहते हैं कि आप का भाग्य ज्योतिषी ने बदल दिया है तो यह एक भयंकर भूल है क्योंकि वह तो पहले से निश्चित था जो जो होना था, पहले ही लिखा गया था! यदि हम ज्योतिष को एक पथदर्शक के रूप में लेते हैं तो यह एक सच्चा मित्र है! अन्यथा यह विष है, इससे बड़ा शत्रु कोई नहीं!
आज शनि-राहु-मंगल-केतु आदि ग्रहों का भय डाल कर ज्योतिषी अपने व्यापार बढ़ावा दे रहे हैं! इसके सिवा कुछ भी नहीं!
यदि कोई हमारा भला कर सकता है तो वह ईश्वर है, गुरु है, प्रभु का नाम [कीर्तन, सत्संग, कथा श्रवण और तप] है, संतो की सेवा है! सच्चे मन से प्रभु सिमरन करो, सब शुभ ही शुभ होगा! मन में स्थिरता लाने की आवश्यकता है! मन को ईधर उधर मत भटकने दो, ईश्वर चरणों में लगाओ!
ज्योतिषियों के जितने चक्र में फंसोगे उतना ही आप ईश्वर से दूर होते चले जाओगे!
अंत समय जब आयेगा, तब पछताओगे! अंत समय कब आ जाये, कुछ पता नहीं! इसलिये अंधविश्वास और भ्रम में न पड़कर भगवान् पर विश्वास करो, जिससे ईश्वर सांसारिक और परलौकिक सुख दे और कोई अनहोनी न होने दे!
ज्योतिष शास्त्र हमारा एक धर्म ग्रन्थ है, इस की मर्यादा भंग नहीं होनी चाहिये! शास्त्र की जो मर्यादा को भंग करते हैं, उनसे बचना चाहिये! हम सब को मिलकर ज्योतिष-शास्त्र की रक्षा करनी चाहिये!

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