लगभग इसी से मिलती-जुलती कथा मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा-सप्तशती में भी मिलती है। शुम्भ-निशुम्भनामक दो दैत्य थे। उनके उपद्रव से पीडित होकर देवताओं ने महाशक्ति का आह्वान किया, तब पार्वती की देह से कौशिकीप्रकट हुई, जिनके अलग होते ही देवी का स्वरूप काला हो गया। इसलिए शिवप्रियापार्वती काली नाम से विख्यात हुई। आराधना तंत्रशास्त्रमें कहा गया है- कलौ काली कलौकाली नान्यदेव कलौयुगे।कलियुग में एकमात्र काली की आराधना ही पर्याप्त है। साथ ही, यह भी कहा गया है-कालिका मोक्षदादेवि कलौशीघ्र फलप्रदा।मोक्षदायिनीकाली की उपासना कलियुग में शीघ्र फल प्रदान करती है। शास्त्रों में कलियुग में कृष्णवर्ण [काले रंग] के देवी-देवताओं की पूजा को ही अभीष्ट-सिद्धिदायक बताया गया है, क्योंकि कलियुग की अधिष्ठात्री महाशक्ति काली स्वयं इसी वर्ण [रंग] की हैं। माना जाता है कि काली का रूप रौद्र है। उनके दांत बडे हैं। वे अपनी चार भुजाओं में क्रम से खड्ग, मुंड, वर और अभय धारण करती हैं। शिव की पत्नी काली के गले में नरमुंडोंकी माला है। हालांकि उनका यह रूप भयानक है, लेकिन कई ग्रंथों में उनके अन्य रूप का भी वर्णन है। भक्तों को जगदंबा का जो रूप प्रिय लगे, वह उनका उसी रूप में ध्यान कर सकता है। बनें पुत्र तंत्रशास्त्रकी दस महाविद्याओंमें काली को सबसे पहला स्थान दिया गया है, लेकिन काली की साधना के नियम बहुत कठोर हैं। इसलिए साधक पहले गुरु से दीक्षा लें और मंत्र का सविधि अनुष्ठान करें। यह सभी लोगों के लिए संभव नहीं है, इसलिए ऐसे लोग काली को माता मानकर पुत्र के रूप में उनकी शरण में चले जाएं। जो व्यक्ति जटिल मंत्रों की साधना नहीं कर पाते हों, वे सिर्फ काली नाम का जप करके उनकी अनुकंपा प्राप्त कर सकते हैं। टलते हैं संकट मान्यता है कि आज के समय में कठिन परिस्थितियों से सामना करने में काली अपने भक्तों की सहायता करती हैं। आज मनुष्य अपने को सब तरफ से असुरक्षित महसूस कर रहा है। काली माता का ध्यान करने से उनके मन में सुरक्षा का भाव आता है। उनकी अर्चना और स्मरण से बडे से बडा संकट भी टल जाता है। हम सभी मिलकर उनसे यह प्रार्थना करें कि वे अभाव और आतंक-स्वरूप असुरों का नाश कर मानवता की रक्षा करें। काली जयंती तंत्रग्रंथोंके अनुसार साधक आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन काली-जयंती मनाते हैं, लेकिन कुछ विद्वानों के विचार से जन्माष्टमी [भाद्रपद-कृष्ण-अष्टमी] काली की जयंती-तिथि है।