..-07-.0.1 तीन महासंयोग का दुर्लभ योग है!!!!
ज्योतिष के अनुसार आगामी तीन जुलाई को तीन महासंयोग का दुर्लभ योग है। ज्योतिष और आध्यात्म दोनों दृष्टी से इस दिन तेरह साल बाद रवि पुष्य सर्वार्थ सिद्धि,गुप्त नवरात्र और जगदीश रथ यात्रा का महासंयोग होने जा रहा है। रवि पुष्य नक्षत्र जहां नए कार्य की शुरुआत व खरीद-फरोख्त के लिए सिद्धिदायक माना जाता है,वहीं शक्ति की साधना व उपासना के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व के साथ ही साथ लौह, अयस्क और कोर्पोरेट जगत के शेयर खरिदी में ज्यादालाभ होगा क्योंकि आगामी 5 जुलाई को संबंधित क्षेत्र में बढ़ोत्तरी का योग है। दूसरी ओर आध्यात्मिक द-ष्टी से देखा जाय तो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा दिवस पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन का पुण्यलाभ भी मिलेगा। शुभकार्यों के लिए अत्यन्त शुभ समय इसलिए है क्योंकि तीन जुलाई को सूर्योदय से रात 10.26 बजे तक रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह स्वयं में सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दिन प्रतिपदा व अमावस की द्वितीया के दिन कोई भी शुभ कार्य बगैर मुहूर्त जाने किया जा सकता है, इसलिए इस तिथि को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है । इस दिन चंद्रमा का बल अधिक रहता है। तंत्र साधनाओं की अगर बात की जाय तो यह सिद्धी-प्राप्ती के लिए भी अहम दिन होगा क्योंकि एक दिन पूर्व शनिवार रात से गुप्त नवरात्र प्रारंभ होगी। अगले दिन द्वितीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग के कारण इसका विशेष महत्व रहेगा। इसी दिन जगदीश रथ यात्रा दिवस भी है। तीन बड़े धार्मिक योग का संयोग 13 साल बाद बन रहा है। इससे पूर्व ऐसा योग 6 जुलाई 1997 में बना था।
वर्ष में चार नवरात्री होते हैं। इनमें आश्विन में शारदीय व चैत्र में वासंतीक प्रकट नवरात्र मानी जाती हैं,जबकि माघ व आषाढ़ में होने वाली नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाती है। इस गुप्त नवरात्र का समापन ऐन्द्री पूजा एवं भड़ली नवमी पर होगा। रवि पुष्य के दिन से भड़ली नवमी के बीच शुभ कार्य व गृह उपयोगी वस्तुओं व स्वर्ण-चांदी खरीदना शुभ, समृद्धि कारक होता है। यदि वाहन, मकान, प्लाट, व्यावसायिक मशिने वगैर खरिदा जाय तो भी अत्यन्त शुभदायक होगा।-

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