आइये मदद/ सहायता करें–“जन  संम्वेदना “संस्था की...आप सभी विद्वान् गण..ज्योतिष,वास्तु, हस्तरेखा   और अन्य विधाओ के जानकर यदि समय का दान कर कुछ मदद/ सहायता करना चाहे तो हम सभी मिलकर एक परामर्श शिविर का आयोजन कर सकते हे इस संस्था की सहायतार्थ…हमारी सेवाएं निशुल्क रहे और इस संस्था को कुछ आर्थिक लाभ(फंड एकत्र ) हो जाये / सके तो हमें भी पुन्य / दुआएं  / इश्वर की कृपा मिलेगी…आप में से जो भी विद्वान्/ सज्जन इस पाव/पुण्यमयी..नेक कार्य में सहयोगी बनाना चाहे वे सभी शीघ्र संपर्क करें—

पता :- राजेंद्र अग्रवाल, संस्थापक-जनसंम्वेदना  ,डॉक्टर्स क्लब भवन, सी.आई.कॉलोनी, जँहागीराबाद ,भोपाल (मध्यप्रदेश)मोब.-.98.60..975 ..टेलीफोन नंबर–(0755)–25576007  


०1..–केसे और क्यों बनी जनसंवेदना..????
वाक्या करीब पांच साल पुराना है। महाराष्ट्र प्रवास के दौरान रेलवे लाइन पार करते समय एक ट्रेन के नीचे आते मैं बाल-बाल बचा। तभी एक ने कमेन्ट्स किया, बच गये वरना लावारिस की तरह मरते और अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं मिलता। उस अंजान व्यक्ति की यह अंतिम बात मुझे चुभ गई। भोपाल आकर लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार की जानकारी ली तो हेैरत में पड़ गया। पुलिस के पास न तो कोई फंड, न दीगर व्यवस्थायें, न कोई ऐसी संस्था जो इस काम में पुलिस का हाथ बंटाती हो। तब ही लावारिस व गरीब लोगों की मौत पर उनके अंतिम संस्कार कराने में हाथ बंटाने के लिये जन संवेदना नामक संस्था का गठन किया। विषय संवेदनशील था लेकिन एकदम नया। उद्देश्य जानने के बाद लोग मौके पर तो संवेदनायें जताते लेकिन पीट फेरते ही मजाक उड़ाने से भी नहीं चूकते। दूसरों की बात ही क्यों की जाये, शुरुआत में तो परिजनों के गले भी मेरी बात नहीं बैठी। मैं अपने ध्येय पर कायम रहा। शुरुआत में काफी दिक्कतें आना स्वाभाविक है। अपना मिशन जारी रखा। पांच साल बाद अब संस्था को देश के अनेक राज्यों के लोग मदद कर रहे हैं। विशेषकर राजस्थान के लोग इस मामले में अधिक संवेदनशील हैं। मप्र खासकर भोपाल में अब तक अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। बहरहाल, संस्था अपने मिशन में जुटी रही और आज मुझ्र यह बताते हुये संतोष है कि जनसंवेदना अब तक सात सौ से अधिक लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार में सहयोग प्रदान कर चुकी है। राजधानी के प्रत्येक थाने के पुलिस कर्मियों को जनसंवेदना की सेवाओं की जानकारी है। जरुरत के समय वह संस्था की मदद लेते हैं। अब भी मेरा ज्यादातर समय अपने ध्येय को पूरा करने में गुजरता है। लीक से हटकर कार्य करने में तकलीफ होना स्वाभाविक है। कहते हैं-संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं। पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क, भाग्य-दुर्भाग्य सब इसी धरती पर है।

02 ..-जनसंवेदना (मानव सेवा में समर्पित संस्था) को दिये गये सहयोग के कारण संस्था मानव सेवा के कार्य में कृत संकल्पित है। इसी श्रंखला में संस्था ने निराश्रित, बेसहारा एवं लावारिस लोगों को ‘भोजन कराओं योजना’ भोपाल महानगर में प्रारंभ की इस योजना में आपके परिवार में पुण्यतिथि, जन्मोंत्सव, विवाह वर्षगांठ एवं अन्य कोई आयोजन के अवसर पर आप इस पुण्य योजना में सहभागी हो सकते है। इसके लिये संस्था द्वारा भोजन के पैकेट (१० रूपये प्रति पैकेट) आर्डर पर तैयार करवाये जाते है, आप चाहे तो भोजन पैकेट के आर्डर कर पुण्य कार्य में सहभागी बन सकते है। कम से कम ५० पैकेट भोजन के बंटवाकर इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें। इस पुण्य कार्य के लिये संस्था द्वारा वाहन सेवा भी उपलब्ध कराई जायेगी। … 
विस्तृत जानकारी के लिये संस्था के हेल्पलाईन नम्बर पर संम्पर्क करें। 

०3..-संस्थाध्यक्ष राधेश्याम  अग्रवाल ने बताया कि ‘हेल्पएज इन्डिया’ द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह जानकारी मिली है कि प्रदेद्गा में 80 प्रतिद्गात वरिष्ठ जन दुर्व्यवहार से पीड़ित होकर दुरावस्था के शिकार  है।अपनों से ठुकराने के बाद कतिपय वरिष्ठजन वारिस होते हुए भी लावारिस की जिन्दगी वृद्धआश्रम, फुटपाथ, रैनबसेरा, उपासना स्थल पर व्यतीत कर अपना जीवन यापन कर रहे है। संस्था इस वास्तविता को पिछले छह वर्षो से नजदीक से देख रही है। सर्वे रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद प्रदेद्गा सरकार वरिष्ठजन आयोग के गठन का तत्काल निर्णय लेकर जनहित में फैसला करें।जनसंवेदना (मानव सेवा में समर्पित संस्था द्वारा) ने  वरिष्ठजनों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए पत्र लिखकर वरिष्ठजनों की समस्याओं के निराकरण एवं उनकी सुरक्षा एवं समन्वय को लेकर वरिष्ठजन आयोग गठन किये जाने की मांग की है।
पता :- राजेंद्र अग्रवाल, संस्थापक-जनसंम्वेदना  ,डॉक्टर्स क्लब भवन, सी.आई.कॉलोनी, जँहागीराबाद ,भोपाल (मध्यप्रदेश)मोब.-09826013975 ..टेलीफोन नंबर–(0755)–25576007  

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here