कैसे फूल भगवान को कभी न चढ़ाए…?
भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन-आरती की जाती है। सभी पूजन कर्म में पुष्प का विशेष महत्व बताया गया है। फूलों के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसी वजह से सभी प्रकार की पूजा-अर्चना में पुष्प अर्पित किए जाते हैं। सभी देवी-देवताओं को अलग-अलग पुष्प पसंद हैं। अपनी-अपनी पसंद पुष्प चढ़ाने से देवी-देवता जल्द प्रसन्न होते हैं।
भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए प्राचीन काल से पुष्प चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। पुष्पों के महत्व को देखते हुए शास्त्रों कुछ खास नियम बनाए गए हैं कि कैसे फूल भगवान को नहीं चढ़ाने चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने फूल को सुंघ लिया है तो वह फूल भूलकर भी भगवान को अर्पित न करें। इसके अतिरिक्त अशुद्ध हाथों से छूने के बाद पुष्प अपवित्र हो जाता है। इन्हें न चढ़ाएं। भौरों से सुंघने से फूल अपवित्र नहीं होता वह भगवान को अर्पित किया जा सकता है। यदि पूजन से पहले फूलों को किसी अपवित्र बर्तन में रख दिया गया हो तो वे फूल भी देवी-देवताओं को चढ़ाने योग्य नहीं हैं। कोई फूल जमीन पर गिर गया है तो उसे भी अर्पित न करें। पूरी तरह से न खिले फूल को भी भगवान के समक्ष अर्पित नहीं करना चाहिए। यदि किसी पुष्प से कोई बुरी गंध आ रही है या सड़ांध आ रही है तो वह फूल भी पूजन में शामिल न करें। बाएं हाथ से किसी भी प्रकार के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए।
फूलों के संबंध में इन बातों को अपनाने से भगवान की कृपा जल्द ही प्राप्त होती है और हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इन बातों की अनदेखी करने पर पापों में बढ़ोतरी होती है जिससे हमें कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ सकते हैं और जीवन से सुख और खुशियां चली जाती हैं।

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